छह माह पहले निचली अदालत ने किया था दोषमुक्त
पीलीभीत। 24 साल पहले जंगल से लकड़ी काटने के तीन आरोपियों को अपर सत्र न्यायाधीश एसकेरस्तोगी ने 25-25 सौ रुपये अर्थदंड दिया है। इसमें से 15-15 सौ रुपये की राशि प्रतिकर के रूप वन विभाग को दी जाएगी। छह माह पहले निचली अदालत ने साक्ष्य के अभाव में इन मुजरिमों को दोषमुक्त कर दिया था।
थाना बिलसंडा के गांव नवदिया बंकी निवासी रतन सिंह और उसके दो पुत्रों हरी सिंह तथा लेख सिंह के खिलाफ वन विभाग ने मुकदमा दर्ज किया, जिसके अनुसार 27 मार्च 88 को दियूरिया जंगल में आरोपियों ने लकड़ी को चोरी से काटा। निचली अदालत ने तीन अक्तूबर 2011 को साक्ष्य के अभाव में इन मुजरिमों को दोषमुक्त कर दिया। निचली अदालत में कहा गया था कि वन विभाग ने स्वतंत्र साक्षी पेश नहीं किया है। रंजिश के आधार पर फंसाने का तर्क दिया गया था। शासकीय अधिवक्ता ने दोषमुक्त के आदेश के खिलाफ अपील की। अपर सत्र न्यायाधीश सुशील कुमार रस्तोगी की अदालत में सहायक शासकीय अधिवक्ता तारा दत्त ने अपील पर बहस की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने पाया कि इन मुजरिमों ने लकड़ी काटी है। वनकर्मियों के आने पर आरा, कुल्हाड़ी आदि छोड़कर मौके से फरार हो गए। कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 25-25 सौ रुपये जुर्माना से दंड़ित किया। इसमें से 15-15 सौ रुपये की राशि प्रतिकर के रूप में वन विभाग को मिलेगी। मुजरिमों ने आज ही जुर्माना जमा कर दिया।
इधर रतन सिंह और लेख सिंह पर वन विभाग ने 10 मार्च 1990 को भी जंगल से लकड़ी काटने का आरोप लगाकर मुकदमा किया था। निचली अदालत ने तीन अक्तूबर 2011 को इस केस में भी दोनों मुजरिमों को दोषमुक्त कर दिया था। इसके खिलाफ भी जिला शासकीय अधिवक्ता अपराध गुफरान अली रिजवी ने राज्य की ओर से अपील की। अपर सत्र न्यायाधीश ने अपील को स्वीकार कर लिया। निचली अदालत का दोषमुक्त का आदेश निरस्त कर दिया। दोनों आरोपियों को 25-25 सौ रुपये जुर्माना सुनाया। इनमें से 15-15 सौ की रकम वन विभाग को मिलेगी।