पीलीभीत। कलेक्ट्रेट के सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी केसी सक्सेना ने सीएमओ पर चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति भुगतान में 10 प्रतिशत कमीशन न देने पर मनमानी कटौती करने का आरोप लगाते हुए डीएम से शिकायत की है। डीएम ने मामले की सीडीओ को जांच सौंपी है।
डीएम को सौंपे पत्र में उन्होंने कहा है कि उनकी आयु 73 वर्ष है। अपने व पत्नी के इलाज पर खर्च हुए 29446 रुपए के चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति भुगतान के लिए 10 फरवरी 2012 को तत्कालीन डीएम को बिल प्रस्तुत किया था। डीएम ने 17 फरवरी को बिल का परीक्षण कराने के लिए सीएमओ कार्यालय भेज दिया। इस संबंध में वह सीएमओ डॉ राकेश तिवारी से मिले और बिल पर स्वीकृति देने का आग्रह किया। पत्र में कहा गया है कि उनसे 10 प्रतिशत कमीशन की मांग की गई। मना करने पर ढाई माह तक कार्यालय के चक्कर लगवाए गए। पत्र में कहा गया है कि चार मई को सीएमओ श्री तिवारी से भेंट होने पर उन्होंने भुगतान पत्रावली उन्हें दिखाई। जिस पर 28373 रुपए की संस्तुति की गई थी। कहा गया कि 10 प्रतिशत का भुगतान स्टेनो को कर पत्रावली प्राप्त कर लें। इस पर उन्होंने आपत्ति की तो बाहर बैठने को कहा गया। दो घंटे बाद पुन: बुलाकर उन्हें पत्रावली सौंप दी गई। इसमें भुगतान की राशि 19023 रुपए अंकित थी। इस पर उन्होंने आपत्ति की तो उन्हें चले जाने के लिए कहा गया। पत्र में पूरे प्रकरण की जांच कराने का आग्रह किया गया है। डीएम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सीडीओ को जांच के निर्देश दिए हैं।
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बिल पर नियमानुसार की है संस्तुति: सीएमओ
सीएमओ डॉ राकेश तिवारी का कहना है कि उन पर कमीशन मांगने का आरोप निराधार है। श्री सक्सेना के बिल प्राइवेट नर्सिंग होम के थे। विभाग का नियम है कि एम्स या एसजीपीजीआई की दरों पर ही संस्तुति की जा सकती है। वहीं मैंने किया है। उनका कहना है कि श्री सक्सेना उन पर पूरे बिल के भुगतान की संस्तुति का दबाव बना रहे थे। इसे न मानने पर आरोप लगाने शुरू कर दिए।
पीलीभीत। कलेक्ट्रेट के सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी केसी सक्सेना ने सीएमओ पर चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति भुगतान में 10 प्रतिशत कमीशन न देने पर मनमानी कटौती करने का आरोप लगाते हुए डीएम से शिकायत की है। डीएम ने मामले की सीडीओ को जांच सौंपी है।
डीएम को सौंपे पत्र में उन्होंने कहा है कि उनकी आयु 73 वर्ष है। अपने व पत्नी के इलाज पर खर्च हुए 29446 रुपए के चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति भुगतान के लिए 10 फरवरी 2012 को तत्कालीन डीएम को बिल प्रस्तुत किया था। डीएम ने 17 फरवरी को बिल का परीक्षण कराने के लिए सीएमओ कार्यालय भेज दिया। इस संबंध में वह सीएमओ डॉ राकेश तिवारी से मिले और बिल पर स्वीकृति देने का आग्रह किया। पत्र में कहा गया है कि उनसे 10 प्रतिशत कमीशन की मांग की गई। मना करने पर ढाई माह तक कार्यालय के चक्कर लगवाए गए। पत्र में कहा गया है कि चार मई को सीएमओ श्री तिवारी से भेंट होने पर उन्होंने भुगतान पत्रावली उन्हें दिखाई। जिस पर 28373 रुपए की संस्तुति की गई थी। कहा गया कि 10 प्रतिशत का भुगतान स्टेनो को कर पत्रावली प्राप्त कर लें। इस पर उन्होंने आपत्ति की तो बाहर बैठने को कहा गया। दो घंटे बाद पुन: बुलाकर उन्हें पत्रावली सौंप दी गई। इसमें भुगतान की राशि 19023 रुपए अंकित थी। इस पर उन्होंने आपत्ति की तो उन्हें चले जाने के लिए कहा गया। पत्र में पूरे प्रकरण की जांच कराने का आग्रह किया गया है। डीएम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सीडीओ को जांच के निर्देश दिए हैं।
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बिल पर नियमानुसार की है संस्तुति: सीएमओ
सीएमओ डॉ राकेश तिवारी का कहना है कि उन पर कमीशन मांगने का आरोप निराधार है। श्री सक्सेना के बिल प्राइवेट नर्सिंग होम के थे। विभाग का नियम है कि एम्स या एसजीपीजीआई की दरों पर ही संस्तुति की जा सकती है। वहीं मैंने किया है। उनका कहना है कि श्री सक्सेना उन पर पूरे बिल के भुगतान की संस्तुति का दबाव बना रहे थे। इसे न मानने पर आरोप लगाने शुरू कर दिए।