पूरनपुर। झाड़ियों में छिपाकर रखा गया शिकार न मिलने पर बाघ गुस्से में आ गया। उसकी जोरदार दहाड़ से किसान दहशत में आ गए। वनकर्मियों ने जंगल जाने की मनादी कर दी है। साथ ही गश्त भी तेज कर दी है।
हरीपुर जंगल के रेंजर मंगत सिंह मलिक ने बताया कि बाघ शिकार को झाड़ियों में छिपाने के बाद चार-पांच घंटे बाद उसको खाने पहुंचता है। वह शाम को वहां पहुंचा, जहां उसने जगन्नाथ का शव खींचकर छिपाया था। शिकार मौके पर न मिलने पर बाघ जोर से दहाड़ा। इसकी सूचना जंगल किनारे बसे एक सिख फार्मर ने उन्हें दी। इस पर वन विभाग की टीम फिर मौके पर पहुंची और जंगल किनारे बसे किसानों को सतर्क किया। जंगल न जाने की हिदायत के साथ ही रात में कमरों में सुरक्षित सोने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि बाघ के मुंह मेें मानव का खून लग गया है। इससे खतरा पहले की अपेक्षा कई गुना बढ़ गया है। इसको लेकर गांवों में घूमकर जंगल न जाने की मनादी कर दी गई। इसको लेकर ढिंढोरा भी पिटवाया गया। मालूम हो कि कल रविवार को हरीपुर जंगल में कंपार्टमेंट नंबर 85 के समीप बाघ ने जंगल के रास्ते से निकल रहे सेहरामऊ उत्तरी थाना क्षेत्र के गांव जहूरगंज निवासी जगन्नाथ को मार डाला था। उनके शव को झाड़ियोें में छिपाकर बाघ जंगल में चला गया था। जगन्नाथ जंगल के रास्ते डीजल लेने शेरपुर जा रहा था। इधर, पोस्टमार्टम के बाद जगन्नाथ के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।