पीलीभीत। जंगल से बाहर अमरिया क्षेत्र में प्रवास किए बाघों का कुनबे की वर्तमान स्थिति को परखने के लिए शुक्रवार को टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एच राजामोहन ने क्षेत्र का दौरा किया। इस दौरान बाघों की अधिक चहलकदमी वाले इलाके का निरीक्षण कर स्थिति को देख ग्रामीणों से जानकारी जुटाई।
टाइगर रिजर्व के जंगल से बाहर निकले बाघ पिछले सात वर्षों से अमरिया क्षेत्र में चहलकदमी कर रहे है। शुरूआत में इनकी संख्या दो बताई जा रही थी, लेकिन रोकथाम के ठोस प्रयास न होने के चलते उनकी संख्या बढ़ती गई। यही वजह रही कि अमरिया क्षेत्र में घूम रहे बाघों की संख्या वर्तमान में आठ से अधिक बताई जा रही है। वहीं विशेषज्ञों की माने तो बाघों के कुनबे को क्षेत्र का वातावरण इतना पसंद आ गया कि उन्होंने मानव के बीच रहने के लिए अपना स्वभाव भी बदल लिया है। यही वजह है क्षेत्र में लगातार मौजूदगी के बाद भी पिछले डेढ़ सालों से किसी मानव को निवाला नहीं बनाया है। वहीं रोकथाम के लिए विभाग की ओर से बाघों को शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है। हालांकि इस सबके बावजूद बाघों की मौजूदगी के चलते क्षेत्रीय लोगों में दहशत का माहौल है। इधर शुक्रवार को टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एच राजामोहन ने अमरिया क्षेत्र के अंतर्गत बाघों की अधिक चहलकदमी वाले क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति को परखा। यहां उन्होंने सूरजपुर फार्म, शुक्ला फार्म, ड्यूनी डैम, देवहा नदी किनारे के इलाके में गहना से निरीक्षण कर ग्रामीणों से बातचीत की। इस मौके पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रभागीय निदेशक संजीव कुमार, रेंजर सतेंद्र चौधरी समेत वनकर्मी मौजूद रहे।
पीलीभीत। जंगल से बाहर अमरिया क्षेत्र में प्रवास किए बाघों का कुनबे की वर्तमान स्थिति को परखने के लिए शुक्रवार को टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एच राजामोहन ने क्षेत्र का दौरा किया। इस दौरान बाघों की अधिक चहलकदमी वाले इलाके का निरीक्षण कर स्थिति को देख ग्रामीणों से जानकारी जुटाई।
टाइगर रिजर्व के जंगल से बाहर निकले बाघ पिछले सात वर्षों से अमरिया क्षेत्र में चहलकदमी कर रहे है। शुरूआत में इनकी संख्या दो बताई जा रही थी, लेकिन रोकथाम के ठोस प्रयास न होने के चलते उनकी संख्या बढ़ती गई। यही वजह रही कि अमरिया क्षेत्र में घूम रहे बाघों की संख्या वर्तमान में आठ से अधिक बताई जा रही है। वहीं विशेषज्ञों की माने तो बाघों के कुनबे को क्षेत्र का वातावरण इतना पसंद आ गया कि उन्होंने मानव के बीच रहने के लिए अपना स्वभाव भी बदल लिया है। यही वजह है क्षेत्र में लगातार मौजूदगी के बाद भी पिछले डेढ़ सालों से किसी मानव को निवाला नहीं बनाया है। वहीं रोकथाम के लिए विभाग की ओर से बाघों को शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है। हालांकि इस सबके बावजूद बाघों की मौजूदगी के चलते क्षेत्रीय लोगों में दहशत का माहौल है। इधर शुक्रवार को टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एच राजामोहन ने अमरिया क्षेत्र के अंतर्गत बाघों की अधिक चहलकदमी वाले क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति को परखा। यहां उन्होंने सूरजपुर फार्म, शुक्ला फार्म, ड्यूनी डैम, देवहा नदी किनारे के इलाके में गहना से निरीक्षण कर ग्रामीणों से बातचीत की। इस मौके पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रभागीय निदेशक संजीव कुमार, रेंजर सतेंद्र चौधरी समेत वनकर्मी मौजूद रहे।