नोएडा। औद्योगिक शहर की कोरेगोटेड बाक्स इंडस्ट्री दम तोड़ रही है। लंबे समय से पांच प्रतिशत इंट्री टैक्स से उद्यमी परेशान हैं। ऐसे में इंडस्ट्री से नाता तोड़कर दूसरी राह पकड़ने का उद्यमियों ने निर्णय लिया है। वहीं, डॉलर की वजह से कच्चा माल, मिलों से आने वाली रद्दी और तैयार माल दोनों दिक्कत दे रहे हैं।
नोएडा की औद्योगिक इकाईयों में कोरेगोटेड बाक्स इंडस्ट्री का अपना ही जलवा रहा है। फेस वन से लेकर फेस थ्री तक तमाम इकाईयां लोगों को रोजगार देती रहीं हैं, लेकिन अब स्थिति में बदलाव आ चुका है। सरकार की उपेक्षा, डॉलर की चाल और मिलों से सहयोग नहीं मिलने की वजह से उद्यमी परेशान हो चुके हैं। इस इंडस्ट्री से जुड़े सुशील सूद ने बताया कि हिमाचल और उत्तराखंड की स्थापना होने पर तमाम इकाईयां वहां टैक्स बचाने के चक्कर में नोएडा से पलायन कर गईं। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने पांच प्रतिशत इंट्री टैक्स लगा दिया, जबकि दिल्ली और हरियाणा में यह सिर्फ एक प्रतिशत है। ऐसे में कई उद्यमियों ने अपना सामान समेट लिया है। अब डॉलर की बढ़ती कीमत दिक्कत दे रही है। इसके साथ मिलों से मिलने वाली रद्दी भी महंगी हो चुकी है, जिसका असर पैकेजिंग पर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार जल्द कोई ठोस निर्णय नहीं करेंगी तो यह इंडस्ट्री दम तोड़ देगी।
नोएडा। औद्योगिक शहर की कोरेगोटेड बाक्स इंडस्ट्री दम तोड़ रही है। लंबे समय से पांच प्रतिशत इंट्री टैक्स से उद्यमी परेशान हैं। ऐसे में इंडस्ट्री से नाता तोड़कर दूसरी राह पकड़ने का उद्यमियों ने निर्णय लिया है। वहीं, डॉलर की वजह से कच्चा माल, मिलों से आने वाली रद्दी और तैयार माल दोनों दिक्कत दे रहे हैं।
नोएडा की औद्योगिक इकाईयों में कोरेगोटेड बाक्स इंडस्ट्री का अपना ही जलवा रहा है। फेस वन से लेकर फेस थ्री तक तमाम इकाईयां लोगों को रोजगार देती रहीं हैं, लेकिन अब स्थिति में बदलाव आ चुका है। सरकार की उपेक्षा, डॉलर की चाल और मिलों से सहयोग नहीं मिलने की वजह से उद्यमी परेशान हो चुके हैं। इस इंडस्ट्री से जुड़े सुशील सूद ने बताया कि हिमाचल और उत्तराखंड की स्थापना होने पर तमाम इकाईयां वहां टैक्स बचाने के चक्कर में नोएडा से पलायन कर गईं। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने पांच प्रतिशत इंट्री टैक्स लगा दिया, जबकि दिल्ली और हरियाणा में यह सिर्फ एक प्रतिशत है। ऐसे में कई उद्यमियों ने अपना सामान समेट लिया है। अब डॉलर की बढ़ती कीमत दिक्कत दे रही है। इसके साथ मिलों से मिलने वाली रद्दी भी महंगी हो चुकी है, जिसका असर पैकेजिंग पर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार जल्द कोई ठोस निर्णय नहीं करेंगी तो यह इंडस्ट्री दम तोड़ देगी।