ग्रेटर नोएडा। नौकरानी से दुष्कर्म के मामले में नोएडा के सेक्टर-15ए के एक मकान स्वामी के रिश्तेदार के चालक को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने 10 साल का कारावास सुनाया है।
सरकारी वकील चमन प्रकाश शर्मा ने बताया कि नोएडा के सेक्टर 15ए में एक दंपति के घर नौकरानी काम करती थी। दंपति का एक रिश्तेदार उनके घर आया था। उक्त रिश्तेदार के साथ उनकी गाड़ी का चालक चिड़ियापोश (छत्तीसगढ़) निवासी वीरेंद्र यादव भी था। 14 मार्च 2010 को घर में अकेला होने पर चालक ने नौकरानी के साथ दुष्कर्म कर दिया। इस दौरान उसने पीड़ित नौकरानी का एमएमएस भी तैयार कर लिया। नौकरानी ने किसी को भी घटना की जानकारी नहीं दी। नौकरानी के गर्भवती होने पर मकान मालकिन को शक हुआ, तो उन्होंने उससे पूछताछ की। इस पर नौकरानी ने उन्हें पूरी घटना की जानकारी दे दी। इसके बाद नौकरानी की ओर से सेक्टर-20 कोतवाली में तहरीर दी गई। करीब तीन माह बाद 11 जून 2010 को चालक के खिलाफ दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
पुलिस ने वीरेंद्र को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। मामले की सुनवाई एडीजे (चतुर्थ) शशिभूषण पांडेय की कोर्ट में हुई। सुनवाई के दौरान सात गवाह पेश किए गए। गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने वीरेंद्र को दोषी करार दिया। उसे 10 साल की सजा सुनाई गई। साथ ही 10 हजार रुपये जुर्माना भी किया गया है। जुर्माना अदा न करने पर दोषी को एक साल का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा।
ग्रेटर नोएडा। नौकरानी से दुष्कर्म के मामले में नोएडा के सेक्टर-15ए के एक मकान स्वामी के रिश्तेदार के चालक को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने 10 साल का कारावास सुनाया है।
सरकारी वकील चमन प्रकाश शर्मा ने बताया कि नोएडा के सेक्टर 15ए में एक दंपति के घर नौकरानी काम करती थी। दंपति का एक रिश्तेदार उनके घर आया था। उक्त रिश्तेदार के साथ उनकी गाड़ी का चालक चिड़ियापोश (छत्तीसगढ़) निवासी वीरेंद्र यादव भी था। 14 मार्च 2010 को घर में अकेला होने पर चालक ने नौकरानी के साथ दुष्कर्म कर दिया। इस दौरान उसने पीड़ित नौकरानी का एमएमएस भी तैयार कर लिया। नौकरानी ने किसी को भी घटना की जानकारी नहीं दी। नौकरानी के गर्भवती होने पर मकान मालकिन को शक हुआ, तो उन्होंने उससे पूछताछ की। इस पर नौकरानी ने उन्हें पूरी घटना की जानकारी दे दी। इसके बाद नौकरानी की ओर से सेक्टर-20 कोतवाली में तहरीर दी गई। करीब तीन माह बाद 11 जून 2010 को चालक के खिलाफ दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
पुलिस ने वीरेंद्र को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। मामले की सुनवाई एडीजे (चतुर्थ) शशिभूषण पांडेय की कोर्ट में हुई। सुनवाई के दौरान सात गवाह पेश किए गए। गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने वीरेंद्र को दोषी करार दिया। उसे 10 साल की सजा सुनाई गई। साथ ही 10 हजार रुपये जुर्माना भी किया गया है। जुर्माना अदा न करने पर दोषी को एक साल का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा।