नोएडा। रजिस्ट्रेशन में फर्जीवाड़ा कर सड़कों पर बसें दौड़ा रहे ऑपरेटरों पर परिवहन विभाग ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। परिवहन विभाग ने ऐसे 54 बस मालिकों के नाम नोटिस जारी किया है जिनकी बसें नोएडा से रजिस्टर्ड हैं, लेकिन दूसरे शहरों का नंबर इस्तेमाल किया जा रहा है। दिल्ली में जिस बस में गैंगरेप हुआ उसका सुराग नोएडा से जुड़ने के बाद ट्रैफिक पुलिस ने बसों के खिलाफ सघन अभियान चलाया था। इस दौरान करीब 250 बसों को सीज किया गया था। ट्रैफिक पुलिस के ‘ऑपरेशन बस’ के दौरान दस्तावेज संबंधित खामियां पाने का खुलासा अमर उजाला ने किया था। जिसके बाद परिवहन विभाग ने हरकत में आते हुए ऐसे बस मालिकों की सूची तैयार की थी, जिन्होंने दूसरे राज्यों से एनओसी के आधार पर नोएडा से रजिस्ट्रेशन कराने के बावजूद यहां का नंबर नहीं लिया है। ऐसी 54 बसों की पहचान की गई है जो नोएडा से रजिस्डर्ट हैं, लेकिन इन पर नंबर दिल्ली या हरियाणा का प्रयोग किया जा रहा है। नियमानुसार संबंधित राज्य से एनओसी के आधार पर सत्यापन होने तक ही पुराने नंबर का प्रयोग किया जा सकता है। इसके बाद जहां से बस रजिस्टर्ड है, वहां का नंबर लेना अनिवार्य है। संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) राजेश सिंह ने बताया कि इन बस ऑपरेटरों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं। जब तक यह बस ऑपरेटर नोएडा का नंबर नहीं लेते तब तक इन बसों को न तो फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जाएगा और न ही इनसे कोई कर लिया जाएगा। बताया जा रहा है कि जिले की सड़कों पर ऐसे कमर्शियल और निजी वाहन भारी संख्या में दौड़ रहे हैं जिन्होंने एनओसी के आधार पर नोएडा से रजिस्ट्रेशन करा लिया है, लेकिन नंबर हरियाणा, राजस्थान या फिर दिल्ली के हैं। ऐसे वाहन मालिकों की सूची भी तैयार की जा रही है।
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क्या है नियम
किसी भी राज्य से रजिस्टर्ड वाहन को दूसरे राज्य में स्थानांतरित कराने के लिए फॉर्म-28 भरकर एनओसी लेनी होती है। रजिस्ट्रेशन के कम से कम एक साल बाद ही एनओसी दी जाती है। इसके बाद ही दूसरे राज्य में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया जा सकता है। इसके बाद सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होने तक ही पुराना नंबर प्रयोग किया जा सकता है।