जर्जर पाठशालाओं में तराशा जा रहा है देश का भविष्य
मुजफ्फरनगर। सिस्टम की नाकामी और जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण जिले में एक सौ से अधिक जर्जर हो चुकी प्राथमिक पाठशालाओं में देश का भविष्य तराश जा रहा है। मुरादनगर हादसे से सबक लेते हुए जर्जर परिषदीय विद्यालयों की सुध ली गई। जांच में यह तथ्य सामने आया कि जिले के 951 में से 111 विद्यालयों की हालत काफी खस्ताहाल है। चिह्नित किए गए जर्जर भवनों में 104 प्राथमिक और सात उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। बघरा ब्लाक में सबसे ज्यादा 23 स्कूलों की हालत दयनीय है। इनमें 74 तो ऐसे भवन हैं, जिनके स्थानों पर नया भवन बन गया है। फिर भी इन्हें ध्वस्त नहीं कराया गया। 37 खस्ताहाल भवनों में बच्चों का बाकायदा पढ़ाई हो रही है। बीएसए ने इन सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को पत्र भेजकर सुरक्षित भवन में ही बैठने और बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराने के निर्देश दिए हैं।
ब्लॉक--- जर्जर स्कूल
बघरा------23
बुढ़ाना----10
नगर क्षेत्र--06
पुरकाजी---17
सदर------13
शाहपुर-----14
चरथावल---18
जानसठ-----01
मोरना-------09
टोटल स्कूल--111
इन्होंने कहा---
जर्जर भवनों को चिह्नित कर लिया है। शिक्षकों को पत्र भेज कर सुरक्षित कमरों में बैठने को कहा गया है। जर्जर भवन से कुछ स्कूल दूसरे स्कूल में मर्ज किए गए हैं। जो जर्जर भवन हैं, उनके मूल्यांकन का कार्य किया जा रहा है। फिर उन्हें नीलाम करा कर ध्वस्त कराया जाएगा।
मायाराम
बीएसए
जिले में परिषदीय स्कूलों के जर्जर भवन की सूची मिली है, जिनमें 74 स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर है, 37 स्कूल मरम्मत लायक हैं, जहां पढ़ाई चल रही है। विभागीय अधिकारियों को तुरंत प्रक्रिया पूरी कर जर्जर भवनों को ध्वस्त कराने के आदेश दिए गए हैं।
- आलोक यादव
मुख्य विकास अधिकारी
बारिश में स्कूल में टपकता है पानी
शाहपुर। सोरम का प्राथमिक विद्यालय 90 साल पुराना है। प्रधानाध्यापक देवेंद्र सिंह ने बताया कि अंग्रेजी शासन काल में 1930 में स्कूल बना था। 425 बच्चे पंजीकृत हैं। भवन जर्जर हालत में पहुंच गया है। बरसात में पूरे भवन में पानी टपकता है। अफसरों को कई बार अवगत कराया, मगर नया भवन नहीं बना। इस भवन का कोई भरोसा नहीं है। कभी भी अनहोनी हो सकती है।
बच्चों की सुरक्षा का रखना पड़ता है ध्यान
तितावी। हैदरनगर के प्राथमिक स्कूल नंबर- एक के प्रधानाध्यापक निशुतोष ने बताया कि कुछ नए कमरे बने हैं, मगर पुरानी और जर्जर बिल्डिंग पास में है। उससे खतरा बना रहता है। बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देना पड़ता है। इसी क्षेत्र के प्राइमरी स्कूल नंबर एक के प्रधानाध्यापक अखलाक अहमद ने बताया कि हाईवे चौड़ीकरण में पूरा स्कूल ही चला गया। केवल तीन कमरे बचे हैं, जिसमें से एक जर्जर है। पुरानी बिल्डिंग में बैठा नहीं सकते। जर्जर बिल्डिंग नए से मिली हुई है। खतरा पूरा है। अभी बच्चे नहीं आ रहे हैं।
लखान विद्यालय की हालत भी दयनीय
लखान के प्राथमिक स्कूल नंबर वन के प्रधानाध्यापक अक्षय कुमार ने बताया कि कमरा एक ही है। दूसरा कभी भी गिर सकता है। बाहर ही बैठाना पड़ता है। परेशानी तो बारिश में आती है।
बच्चों को बैठना पड़ता है बाहर
- जफरपुर प्राथमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक बोश चंद्र के अनुसार जर्जर भवन होने के कारण बच्चों को बाहर ही बैठाना पड़ता है। एक बिल्डिंग जर्जर है। उसकी ओर बच्चों को जाने से रोकना पड़ता है।
कभी भी गिर सकता है एक कमरा
लड़वा के निवर्तमान ग्राम प्रधान ऋषिपाल ने बताया कि प्राथमिक स्कूल का भवन पुराना है। दूसरे स्कूल में भी एक कमरा जर्जर हालत में है, जो कभी भी गिर सकता है।
पुराने भवन के कारण खतरे का बना रहता है अंदेशा
- नसीरपुर स्कूल की प्रधानाध्यापिका गीता देवी ने बताया कि एक पुरानी बिल्डिंग है, जो नई बिल्डिंग से मिली हुई है। पुरानी बिल्डिंग से बच्चों का खतरा रहता है।
हैदरनगर का पूर्व माध्यमिक विद्यालय, जिसमें अंदर भवन जर्जर अवस्था में है।- फोटो : MUZAFFARNAGAR
बघरा ब्लॉक के गांव जफरपुर का प्राथमिक विद्यालय, जो जर्जर है।- फोटो : MUZAFFARNAGAR
जफरपुर गांव के स्कूल का जर्जर पड़ा भवन।- फोटो : MUZAFFARNAGAR
गांव लखान का प्राथमिक विद्यालय नंबर एक, जो जर्जर अवस्था में है।- फोटो : MUZAFFARNAGAR
बघरा ब्लाक के गांव नसीरपुर का प्राइमरी स्कूल।- फोटो : MUZAFFARNAGAR
लड़वा गांव का कंपोजिट स्कूल, जिसमें बिल्डिंग जर्जर है।- फोटो : MUZAFFARNAGAR
प्राइमरी स्कूल तितावी नंबर-एक, जिसका भवन जर्जर है।- फोटो : MUZAFFARNAGAR
जर्जर पाठशालाओं में तराशा जा रहा है देश का भविष्य
मुजफ्फरनगर। सिस्टम की नाकामी और जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण जिले में एक सौ से अधिक जर्जर हो चुकी प्राथमिक पाठशालाओं में देश का भविष्य तराश जा रहा है। मुरादनगर हादसे से सबक लेते हुए जर्जर परिषदीय विद्यालयों की सुध ली गई। जांच में यह तथ्य सामने आया कि जिले के 951 में से 111 विद्यालयों की हालत काफी खस्ताहाल है। चिह्नित किए गए जर्जर भवनों में 104 प्राथमिक और सात उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। बघरा ब्लाक में सबसे ज्यादा 23 स्कूलों की हालत दयनीय है। इनमें 74 तो ऐसे भवन हैं, जिनके स्थानों पर नया भवन बन गया है। फिर भी इन्हें ध्वस्त नहीं कराया गया। 37 खस्ताहाल भवनों में बच्चों का बाकायदा पढ़ाई हो रही है। बीएसए ने इन सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को पत्र भेजकर सुरक्षित भवन में ही बैठने और बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराने के निर्देश दिए हैं।
ब्लॉक--- जर्जर स्कूल
बघरा------23
बुढ़ाना----10
नगर क्षेत्र--06
पुरकाजी---17
सदर------13
शाहपुर-----14
चरथावल---18
जानसठ-----01
मोरना-------09
टोटल स्कूल--111
इन्होंने कहा---
जर्जर भवनों को चिह्नित कर लिया है। शिक्षकों को पत्र भेज कर सुरक्षित कमरों में बैठने को कहा गया है। जर्जर भवन से कुछ स्कूल दूसरे स्कूल में मर्ज किए गए हैं। जो जर्जर भवन हैं, उनके मूल्यांकन का कार्य किया जा रहा है। फिर उन्हें नीलाम करा कर ध्वस्त कराया जाएगा।
मायाराम
बीएसए
जिले में परिषदीय स्कूलों के जर्जर भवन की सूची मिली है, जिनमें 74 स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर है, 37 स्कूल मरम्मत लायक हैं, जहां पढ़ाई चल रही है। विभागीय अधिकारियों को तुरंत प्रक्रिया पूरी कर जर्जर भवनों को ध्वस्त कराने के आदेश दिए गए हैं।
- आलोक यादव
मुख्य विकास अधिकारी
बारिश में स्कूल में टपकता है पानी
शाहपुर। सोरम का प्राथमिक विद्यालय 90 साल पुराना है। प्रधानाध्यापक देवेंद्र सिंह ने बताया कि अंग्रेजी शासन काल में 1930 में स्कूल बना था। 425 बच्चे पंजीकृत हैं। भवन जर्जर हालत में पहुंच गया है। बरसात में पूरे भवन में पानी टपकता है। अफसरों को कई बार अवगत कराया, मगर नया भवन नहीं बना। इस भवन का कोई भरोसा नहीं है। कभी भी अनहोनी हो सकती है।
बच्चों की सुरक्षा का रखना पड़ता है ध्यान
तितावी। हैदरनगर के प्राथमिक स्कूल नंबर- एक के प्रधानाध्यापक निशुतोष ने बताया कि कुछ नए कमरे बने हैं, मगर पुरानी और जर्जर बिल्डिंग पास में है। उससे खतरा बना रहता है। बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देना पड़ता है। इसी क्षेत्र के प्राइमरी स्कूल नंबर एक के प्रधानाध्यापक अखलाक अहमद ने बताया कि हाईवे चौड़ीकरण में पूरा स्कूल ही चला गया। केवल तीन कमरे बचे हैं, जिसमें से एक जर्जर है। पुरानी बिल्डिंग में बैठा नहीं सकते। जर्जर बिल्डिंग नए से मिली हुई है। खतरा पूरा है। अभी बच्चे नहीं आ रहे हैं।
लखान विद्यालय की हालत भी दयनीय
लखान के प्राथमिक स्कूल नंबर वन के प्रधानाध्यापक अक्षय कुमार ने बताया कि कमरा एक ही है। दूसरा कभी भी गिर सकता है। बाहर ही बैठाना पड़ता है। परेशानी तो बारिश में आती है।
बच्चों को बैठना पड़ता है बाहर
- जफरपुर प्राथमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक बोश चंद्र के अनुसार जर्जर भवन होने के कारण बच्चों को बाहर ही बैठाना पड़ता है। एक बिल्डिंग जर्जर है। उसकी ओर बच्चों को जाने से रोकना पड़ता है।
कभी भी गिर सकता है एक कमरा
लड़वा के निवर्तमान ग्राम प्रधान ऋषिपाल ने बताया कि प्राथमिक स्कूल का भवन पुराना है। दूसरे स्कूल में भी एक कमरा जर्जर हालत में है, जो कभी भी गिर सकता है।
पुराने भवन के कारण खतरे का बना रहता है अंदेशा
- नसीरपुर स्कूल की प्रधानाध्यापिका गीता देवी ने बताया कि एक पुरानी बिल्डिंग है, जो नई बिल्डिंग से मिली हुई है। पुरानी बिल्डिंग से बच्चों का खतरा रहता है।

हैदरनगर का पूर्व माध्यमिक विद्यालय, जिसमें अंदर भवन जर्जर अवस्था में है।- फोटो : MUZAFFARNAGAR

बघरा ब्लॉक के गांव जफरपुर का प्राथमिक विद्यालय, जो जर्जर है।- फोटो : MUZAFFARNAGAR

जफरपुर गांव के स्कूल का जर्जर पड़ा भवन।- फोटो : MUZAFFARNAGAR

गांव लखान का प्राथमिक विद्यालय नंबर एक, जो जर्जर अवस्था में है।- फोटो : MUZAFFARNAGAR

बघरा ब्लाक के गांव नसीरपुर का प्राइमरी स्कूल।- फोटो : MUZAFFARNAGAR

लड़वा गांव का कंपोजिट स्कूल, जिसमें बिल्डिंग जर्जर है।- फोटो : MUZAFFARNAGAR

प्राइमरी स्कूल तितावी नंबर-एक, जिसका भवन जर्जर है।- फोटो : MUZAFFARNAGAR