कांधला (शामली)। जमीयत-उलेमा-ए हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मुसलमानों के लिए दुनियावी तालीम के साथ-साथ दीनी तालीम भी बेहद जरूरी है। दीनी तालीम के बगैर मुसलिम समाज मुरझाए हुए दरख्त की तरह है। गांव गढ़ीदौलत में सोमवार को मदरसा जामिया बदरूल उलूम में आयोजित सालाना जलसे में मुख्य अतिथि मौलाना महमूद मदनी ने तकरीर करते हुए कहा कि ईमान एक पेड़ की तरह होता है। अगर हमारे पास ईमान है, तो हमारी जिंदगी पूरी तरह से कामयाब रहेगी। अगर, उस पर गुनाह का बोझ डाला जाए, तो जहन से ईमान नष्ट हो जाता है। हमारे अंदर दीन होगा तो अल्ल्लाह हमारी जिंदगी को सुकुन से भर देंगे। मौलाना मदनी ने कहा कि पूरे विश्व में जो मदरसे चल रहे हैं, वे ही हमारी नस्लों के लिए निजात का एक जरिया है। दुनियावी तालीम से इस्लाम को कोई परहेज नहीं है, लेकिन मुसलमानों के लिए दीनी तालीम बेहद जरूरी है। मौलाना सलमान देवबंदी, मौलाना शौकत, मौलाना बदरूल हुदा, मौलाना मकसूद सहित अन्य उलेमा ने भी मुसलिम समुदाय के लोगों को दीनी और आधुनिक शिक्षा ग्र्रहण करने पर जोर दिया। मौलानाओं ने सुन्नत के हिसाब से नमाज अदा करने और कपड़े पहनने पर भी जोर दिया। मौलाना आकिल ने जलसे का संचालन करते हुए मदरसे के वार्षिक आय और व्यय के ब्यौरे को पेश किया। जलसे के समापन पर मोहतमीम हजरत मौलाना कामिल साहब ने देश में अमन-चैन के लिए दुआ कराई।
कांधला (शामली)। जमीयत-उलेमा-ए हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मुसलमानों के लिए दुनियावी तालीम के साथ-साथ दीनी तालीम भी बेहद जरूरी है। दीनी तालीम के बगैर मुसलिम समाज मुरझाए हुए दरख्त की तरह है।
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गांव गढ़ीदौलत में सोमवार को मदरसा जामिया बदरूल उलूम में आयोजित सालाना जलसे में मुख्य अतिथि मौलाना महमूद मदनी ने तकरीर करते हुए कहा कि ईमान एक पेड़ की तरह होता है। अगर हमारे पास ईमान है, तो हमारी जिंदगी पूरी तरह से कामयाब रहेगी। अगर, उस पर गुनाह का बोझ डाला जाए, तो जहन से ईमान नष्ट हो जाता है। हमारे अंदर दीन होगा तो अल्ल्लाह हमारी जिंदगी को सुकुन से भर देंगे। मौलाना मदनी ने कहा कि पूरे विश्व में जो मदरसे चल रहे हैं, वे ही हमारी नस्लों के लिए निजात का एक जरिया है। दुनियावी तालीम से इस्लाम को कोई परहेज नहीं है, लेकिन मुसलमानों के लिए दीनी तालीम बेहद जरूरी है। मौलाना सलमान देवबंदी, मौलाना शौकत, मौलाना बदरूल हुदा, मौलाना मकसूद सहित अन्य उलेमा ने भी मुसलिम समुदाय के लोगों को दीनी और आधुनिक शिक्षा ग्र्रहण करने पर जोर दिया। मौलानाओं ने सुन्नत के हिसाब से नमाज अदा करने और कपड़े पहनने पर भी जोर दिया। मौलाना आकिल ने जलसे का संचालन करते हुए मदरसे के वार्षिक आय और व्यय के ब्यौरे को पेश किया। जलसे के समापन पर मोहतमीम हजरत मौलाना कामिल साहब ने देश में अमन-चैन के लिए दुआ कराई।
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