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JEE Mains : टॉपर देशांक ने कहा- सोशल मीडिया और पार्टियां नहीं, सिर्फ पढ़ाई रही मेरी प्राथमिकता

अमर उजाला नेटवर्क, मुरादाबाद Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Wed, 08 Feb 2023 12:54 AM IST
सार

सिर्फ आईआईटी से इंजीनियरिंग करना ही मेरा लक्ष्य नहीं है। इसके बाद स्टार्ट अप के क्षेत्र में एक बड़ा आयाम स्थापित करना मेरा सपना है। जेईई मेंस (प्रवेश परीक्षा) में देश में प्रथम रैंक पाने वाले देशांक प्रताप सिंह ने यह बात कही है।

JEE Mains: Topper Deshank said that my only priority was studies
सफलता का स्वाद.... - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

सोशल मीडिया या पार्टियां नहीं बल्कि हर बार पढ़ाई ही मेरी प्राथमिकता रही है। मैं आगे भी इसे जारी रखना चाहता हूं। सिर्फ आईआईटी से इंजीनियरिंग करना ही मेरा लक्ष्य नहीं है। इसके बाद स्टार्ट अप के क्षेत्र में एक बड़ा आयाम स्थापित करना मेरा सपना है। जेईई मेंस (प्रवेश परीक्षा) में देश में प्रथम रैंक पाने वाले देशांक प्रताप सिंह ने यह बात कही है।



उन्होंने बताया कि कोचिंग का समय सुबह 8 से दोपहर एक बजे तक रहता है। इसके बाद हर दिन छह घंटे मैं स्वाध्याय (सेल्फ स्टडी) को देता हूं। बीमारी की स्थिति के अलावा कभी मैंने पढ़ाई के निर्धारित समय से कटौती नहीं की। मेरे पिता और मां अध्यापक हैं। बचपन में मैं भी गणित का अध्यापक बनना चाहता था। इसके बाद कक्षा सात में आया तो कंप्यूटर व अविष्कारों में रुचि जागी। तब मैंने इंजीनियर बनने का सपना देखा। इसके बाद पिता व शिक्षकों से पूछा कि इंजीनियर कैसे बनते हैं।


राह स्पष्ट हुई तो पिता ने मेरी रुचि को देखते हुए कक्षा 8 में ही कोचिंग ज्वाइन करा दिया। इसका फायदा मुझे मिला। दूसरे छात्रों की अपेक्षा मेरा अंक प्रतिशत बढ़ता गया। हर साल इसमें बढ़ोतरी हुई तो मुझे विश्वास रहता था कि तैयारी सही चल रही है। दो साल पहले जब मैं कक्षा 10 में था तो मेरे बड़े भाई देवांश का आईआईटी दिल्ली में चयन हो गया। इसके बाद इंजीनियर बनने की मेरी ललक दोगुनी हो गई। मैंने तय कर लिया कि जब तक जेईई में सफलता नहीं मिल जाएगी, किसी पार्टी में नहीं जाऊंगा। आज इसका परिणाम आने पर  मेरी खुशी का ठिकाना नहीं है।

इसका श्रेय मैं अपने माता-पिता, भाई व गुरुजनों को देता हूं। सोशल मीडिया के प्रश्न पर देशांक ने बताया कि उन्हें पढ़ाई के लिए कक्षा 11 में मोबाइल मिल गया था लेकिन कभी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने का नहीं सोचा और न ही इसके लिए समय मिला। यूट्यूब पर विज्ञान के कई चैप्टर समझे, आईआईटी की गणित की कक्षाओं की वीडियो देखीं। इससे मेरी रुचि और बढ़ती गई।

शतरंज व टेनिस खेलकर करते हैं मनोरंजन
देशांक ने बताया कि मनोरंजन के लिए शतरंज व टेबिल टेनिस खेलते हैं। इससे मानसिक तनाव नहीं होता और ऊर्जा मिलती है। देशांक के बड़े भाई ने उन्हें शतरंज खेलना सिखाया। एक शिक्षक ने जब कक्षा में कहा कि शतरंज से बौद्धिक स्तर में सुधार होता है। इसके बाद उन्होंने शतरंज को पसंदीदा खेल बना लिया। कई बार स्कूल के शतरंज मुकाबलों में पहला स्थान प्राप्त किया।

सोचा नहीं था कि 100 परसेंटाइल मिलेगा
देशांक का कहना है कि मुझे यह तो यकीन था कि परीक्षा परिणाम सकारात्मक रहेगा लेकिन यह नहीं लगा था कि शत प्रतिशत अंक मिलेंगे। मुझे लगता है कि पार्टियों में न जाना और सोशल मीडिया का इस्तेमाल न करना सही निर्णय था। देशांक ने कहा कि कक्षा छह में जब एक दोस्त से उनके दो अंक कम रह गए, तब प्रतियोगिता का भावना विकसित हुई। हालांकि इससे पहले भी कक्षा में स्थान प्राप्त करते रहे थे लेकिन यह नहीं लगता था कि दूसरों से आगे निकलना है।
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गणित में जारी है 100 में 100 का सिलसिला
देशांक ने बताया कि कक्षा नौ के बाद गणित में 100 में से 100 अंक लाने का सिलसिला जारी है। यूट्यूब पर आईआईटी की कक्षाओं की वीडियो से सीखने और खुद पढ़ने का यह नतीजा है। देशांक ने बताया कि मेरी कोशिश रहती है कि प्रश्न को किस तरह कम से कम समय में सही हल किया जा सके। इस कोशिश की बदौलत कई शॉर्ट ट्रिक उन्होंने खुद तैयार की हैं। इस तैयारी को धार देने में कोचिंग संस्थान स्कॉलर्स डेन का पूरा सहयोग देशांक ने बताया है। पिता ऊदल सिंह ने बताया कि देशांक कक्षा 11 तक के विद्यार्थियों की गणित की पढ़ाई में मदद भी करते हैं।

अपना स्टार्ट अप कर बिजनेसमैन बनने की चाहत
देशांक प्रताप सिंह इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद कंप्यूटर के क्षेत्र में अपना स्टार्ट अप करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने बीटेक में कंप्यूटर साइंस स्ट्रीम का चुनाव किया है। अपनी कंपनी शुरू कर कंप्यूटर की नई पीढ़ी में सॉफ्टवेयर डेवलप करना, कंप्यूटर पार्ट्स मेकिंग में उन्होंने गहरी रुचि बताई है। वह अपने दोस्तों के साथ मिलकर यह काम करना चाहते हैं।

रात भर जागकर नहीं, रोजाना पढ़ना जरूरी
किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को देशांक ने संदेश दिया है कि सफलता के लिए रातभर जागकर पढ़ना जरूरी नहीं है। बल्कि रोजाना समय निर्धारित कर पढ़ना जरूरी है। यदि हम हर दिन परीक्षा मानकर रोजाना अपनी तैयारी मन से करेंगे तो वार्षिक परीक्षा से पहले रात भर जागने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने छात्रों को सलाह दी है कि सबसे पहले टाइम टेबल बनाएं। इसके बाद टाइन टेबल को अपने अनुसार नहीं बल्कि खुद को टाइम टेबल के अनुसार ढालिए।

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