मुरादाबाद। यूपी की सियासत में भूचाल लाने वाले एनआरएचएम घोटाले में ही अभी तक मुरादाबाद का नाम सुर्खियों में रहा था। अब दो सीएमओ की हत्याओं में भी मुरादाबाद से जुड़ाव की बात सामने आई है। एनआरएचएम घोटाले की सबसे पहले बलि चढ़ने वाले डा. विनोद आर्या व डा. वीके सिंह की हत्या की स्क्रिप्ट भी मुरादाबाद में ही लिखी गई थी। दोनोें ही हत्याओं के आरोपी शूटर आशुतोष पांडेय की लोकेशन दोनों ही मर्डर से पहले और बाद में महानगर में मिली। वह रामगंगा विहार के एक रोटल में रुका हुआ था। ये बात सीबीआई की रिपोर्ट में सामने आई है। सीबीआई ने इस मामले में 28 मई को लखनऊ हाईकोर्ट में इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट सौंपनी है।
परिवार कल्याण महकमे की लड़ाई में सबसे पहले डा. विनोद आर्या की 27 अक्टूबर 2010 को लखनऊ के आर्यनगर में हत्या कर दी गई थी। इसके बाद दो अप्रैल 2011 को डा. वीके सिंह की भी हत्या की गई थी। इन हत्याकांडों को शुरुआती जांच में डा. वाईएस सचान का नाम सामने आया था। सचान ने देवरिया के शूटर आशुतोष पांडेय को इसके लिए सुपारी दी थी। पांडेय ने अपने गुर्गों के मार्फत दोनों हत्याओं को अंजाम दिया था। 22 जून 2011 को सचान की भी मौत हो गई थी।
इस मामले की जांच कर रही सीबीआई के हत्थे आशुतोष पांडेय तो अभी तक नहीं चढ़ सका है लेकिन दोनों हत्याओं से पहले व बाद में लगातार आशुतोष की लोेकेेशन मुरादाबाद के रामगंगा विहार इलाके में मिली थी वह यहीं के एक होटल में रुका हुआ था। इसके आधार पर ही सीबीआई ने इन हत्याकांडों की योजना मुरादाबाद में बनाए जाने की बात कही है। जांच में ये बात भी सामने आई थी कि आर्या व वीके सिंह की मौत में एक ही पिस्टल का इस्तेमाल किया गया था। सीबीआई को इस मामले की स्टेटस (निगरानी) रिपोर्ट हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 28 मई को पेश करनी है। बताया जा रहा है फिलहाल आशुतोष सीबीआई से बचने के लिए नेपाल भाग गया है।
तो इसी मामले में पहली बार आई थी सीबीआई
मुरादाबाद। 25 अगस्त 2011 को पहली बार सीबीआई ने मुरादाबाद में छापा मारा था। तब तक एनआरएचएम घोटाले की जांच शुरू नहीं हुई थी। दरअसल, सचान की हत्या के बाद 27 जुलाई 2011 को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सीबीआई को इन हत्याकांडों व लखनऊ में हुए गोलमाल की जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद ही 25 अगस्त 2011 को सीबीआई ने छापामारी की शुरुआत ही मुरादाबाद से की थी। छापे के दौरान सीबीआई ने रामगंगा विहार स्थित मिडटाउन क्लब तक ही अपनी जांच को सीमित रखा था। 16 सितंबर 2011 को सीबीआई ने दूसरी बार महानगर में छापा मारा था। इस छापे में सीबीआई ने सौरभ व विवेक के खातों को सील किया था।