मुरादाबाद। स्टील उत्पादों में कोबाल्ट-60 की मौजूदगी से दाव पर लगी हुई निर्यातकों की साख को बचाने के क्रम में भाभा इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एमएचएससी में मंथन किया। निष्कर्ष निकाला कि उत्पादन स्तर पर सजगता और जांच की प्रक्रिया समय की मांग हो गई है। एक्सपोर्टर को नसीहत दी गई है कि स्टील उत्पादों में एक ही क्वालिटी का प्रयोग कोबाल्ट की काली छाया से दूर रखने में कारगर साबित होगा। इस मौके पर निर्यातकों ने भी अपनी जिज्ञासा वैज्ञानिकों से सवाल पूछकर शांत किया।
रेडियो एक्टिवेशन अवेयरनेस कार्यक्रम के तहत कोबाल्ट-60 के मसले पर एटामिक एनर्जी रेग्युलेटरी बोर्ड के प्रमुख एस ए हुसैन ने कहा कि रेडियो एक्टिव तत्वों की मौजूदगी की जांच उत्पादन शुरू किए जाने के पूर्व अहम है। जांच के बगैर स्टील पाटे का उपयोग नहीं किया जाए। खासकर किसी भी उत्पादों में एक ही क्वालिटी का माल इस्तेमाल किये जाएं। उदाहरण के तौर पर यदि मग बनाया जा रहा है तो उसके हैंडिल या ढक्कन निर्माण में अन्य क्वालिटी का प्रयोग नहीं किया जाए। इस तरह के प्रयोग से बचा जाए। निम्न स्तर की क्वालिटी का माल प्रयोग नहीं किया जाए। इस मौके पर आरके सिंह, आलोक पांडे और जीके पांडा ने तकनीकी सलाह निर्यातकों को दिए। रिसर्च टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्री एमएचएससी के लैब प्रमुख डा. रविंद्र शर्मा ने स्टील और लोहे की प्रोसेसिंग पर निर्यातकों को जानकारी दी। इस मौके पर ईपीसीएच के अध्यक्ष केएल कात्याल, अतुल भुटानी, आदर्श अग्रवाल, आलोक कात्याल आदि भी मौजूद रहे।