मुरादाबाद। नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) ने एलोपैथिक दवाओं के प्रयोग का अधिकार मांगा है। नीमा का कहना है कि जब पढ़ाई के दौरान उनके सिलेबस का चालीस प्रतिशत हिस्सा एलोपैथिक होता है तो फिर उन्हें एलोपैथिक दवाओं के प्रयोग का अधिकार भला क्यों नहीं दिया जाता। नीमा ने इस मुद्दे को नेताओं से विधानसभा में उठाने की मांग की है। नीम के पदाधिकारियों ने इस बाबत एक ज्ञापन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को भी सौंपा है।
नीमा की मुरादाबाद सिटी ब्रांच की जनरल सेक्रेटरी डा. शशि चौहान ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को एसोसिएशन ने ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि वह इस मुद्दे को अपनी पार्टी के माध्यम से विधानसभा में उठाएं। मांग की है कि भारतीय चिकित्सा पद्धति में (आईएसएम) डाक्टरों को एलोपैथिक दवाआें के प्रयोग संबंधी अधिकार पर न्यायालय की प्रतिकूल टिप्पणी से चिकित्सकों के सामने जो वैद्यानिक दिक्कतें आ रही हैं उन्हें कानून में संशोधन के जरिए दूर कराएं। डा. चौहान ने कहा कि तमाम सरकारी अस्पतालाें में आयुष डाक्टरों की संविदा पर नियुक्ति हैं जिनसे सरकार खुद तमाम काम लेती है, उनसे डिलीवर तक करवाई जाती है। तमाम बड़े अस्पतालाें में आयुर्वेदिक और यूनानी डाक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं ली जाती हैं। बोलीं, जब हम एलोपैथिक की पढ़ाई करते हैं, हमको दो महीना एलोपैथिक में इंटरनशिप कराई जाती है तो भला हम एलोपैथिक में प्रैक्टिस क्यों नहीं कर सकते? या तो सरकार को हमारे सिलेबस से एलोपैथिक के हिस्से को हटा देना चाहिए।