मुरादाबाद। उधार के निर्यात से निर्यातकों को हो रही परेशानी पर एसबीआई की नजर पड़ गई है। उसने इसे गंभीरता से लिया है। इस समस्या को कुछ हद तक हल ढूंढने के लिए एक बड़े स्तर पर बैठक करने का निर्णय लिया है। हालांकि बैठक की तिथि बहरहाल तय नहीं हो सकी है लेकिन डीजीएम बरेली का दावा है कि 15 दिनों के भीतर ही पीतल नगरी में मुंबई-दिल्ली के आर्थिक विशेषज्ञों और बैंक के आला अधिकारियों तथा निर्यातकों की बैठकें होगी। यह बैठक दो हिस्सों में होगी। अंतिम बैठक में उधार के कारोबार को हतोत्साहित किए जाने के मसले पर अहम निर्णय होने की संभावना है।
दरअसल हस्तशिल्प निर्यात का कारोबार बीते कुछ समय से उधार की नाव पर सवार होकर चल रहा है। जानकारों के मुताबिक लगभग 80 प्रतिशत कारोबार उधार पर ही हो रहा है। इससे बड़े-छोटे निर्यातकों को लंबे समय तक आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो उनकी उधार की नाव डूब भी जाती है। यह घटना 100 निर्यातकों में से 15 निर्यातकों के साथ साल में एक बार जरूर होता है। जिसके बाद निर्यातक न तो घर के रह जाते हैं और न ही घाट के। ऐसी विषम परिस्थिति से कुछ हद उबारने के लिए एसबीआई ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए निर्यातकों को कुछ हद तक राहत देने का मूड बनाया है। उप महाप्रबंधक बरेली, हरदयाल प्रसाद ने बताया कि इस समस्या का समाधान निकालने के लिए आर्थिक जगत के दिग्गजों से बैंक की बातचीत हो चुकी है। वे इस प्राब्लम का निष्कर्ष निकालने के लिए पीतल नगरी में मंथन करेंगे।
डालर 57 भी पहुंच सकता है
डालर की मजबूती के सवाल पर डीजीएम प्रसाद ने बताया कि इसका सही आकलन नहीं किया जा सकता। बावजूद इसके जो स्थिति है उसके आधार पर डालर का मूल्य 57 रुपये को छू सकता है। उन्होंने बताया कि ऐसा आकलन बाजार के रुख को देखते हुए लगाया जा सकता है।