मुरादाबाद। रुपये के मूल्य में आई अप्रत्याशित गिरावट और डालर के ताकतवर होने से महानगर के मेटल निर्यात के कारोबार को करारा झटका लगा है। निर्यात संबंधित तैयार होने वाले उत्पादों जुड़े रॉ मैटेरियल और केमिकल्स महंगे होने लगे हैं। इससे निर्यातक असमंजस में पड़ गए हैं। उन्हें आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है। मालूम हो कि रुपये के मूल्य में बीते दस महीने के भीतर दस फीसदी की आई गिरावट आई है।
डालर में आई मजबूती की वजह से रा मैटेरियल महंगे होते जा रहे हैं। जिसका खामियाजा शहर के निर्यातकों को उठाना पड़ रहा है। गौरतलब है कि निर्यात होने वाले हस्तशिल्प उत्पादों में सिर्फ मेटल का ही क्षेत्र ऐसा है जो आयात होने वाली वस्तुओं पर पूरी तरह निर्भर है। इसका देश में फिलहाल कोई विकल्प भी नहीं है। यही वजह है कि डालर के मूल्य बढ़ते ही आयात होने वाले रॉ मैटेरियल की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। निर्यातकों और दस्तकारों को प्रतिदिन बढ़े हुए दर से रॉ मैटेरियल खरीदने पड़ रहे है। जबकि उनके पास बायर्स का आर्डर पुराने दर पर है। ऐसे में उन्हें लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ईपीसीएच के अध्यक्ष अरविंद वढेरा का कहना है कि निर्यातकों के लिए यह दौर बड़ा कठिन हो गया है। पहले से ही निर्यातक तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं। अब उन्हें महंगाई की मार भी झेलनी पड़ेगी।
निर्यातक नजमुल इस्लाम का कहना है कि उनका कारोबार ब्राश का है। डालर के मूल्य बढ़ते ही इसकी कीमत आसमान छूने लगी है। ऐसी स्थिति उन्हें परेशानियों में लाकर खड़ा कर दिया है।
अश्विनी गगनेजा का कहना है कि रुपये की कमजोरी का सीधा असर उनके कारोबार पर पड़ रहा है। रॉ मैटेरियल दिन प्रति दिन महंगे होते जा रहे हैं।