विंध्याचल। पूर्णिमा के पावन अवसर पर जगत जननी आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन करने को भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। प्रयाग से महाकुंभ में स्नान करके विंध्य धाम पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने मां के चरणों में मत्था टेका। दर्शन-पूजन करने के उपरांत भक्ताें ने गंगा घाट पहुंचकर विधिवत स्नान किया। घंटा, घड़ियाल, शंख एवं माता के जयकारे से पूरा विंध्य धाम गुंजायमान हो रहा था।
विंध्य दरबार में मंगला आरती के उपरांत दर्शन-पूजन करने को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। विंध्याचल धाम में पहुंचे नर-नारियों व बच्चों ने विधिवत मां का दर्शन किया और मां के भव्य स्वरूप का दर्शन पाकर निहाल हो उठे। मंदिर के छत पर मुंडन संस्कार के साथ ही तीर्थ पुरोहितों द्वारा पाठ-अनुष्ठान आदि के कार्यक्रम भी किए गए। मंदिर में रविवार को उमड़ी दर्शनार्थियों की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा-व्यवस्था के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए थे। मंदिर में दर्शनार्थियाें का दबाव न बढ़े इसके लिए मंदिर से जुड़ने वाले कई मार्गों पर भक्तों की कतारें लगवाई गई थीं। विंध्याचल के गंगा घाटों पर भी सुबह से लेकर दोपहर बाद तक स्नान करने वालाें की भारी भीड़ जुटी रही। स्नान करने के बाद भक्तजन गुड़हल के माला-फूल के साथ नारियल, चुनरी, लाचीदाना आदि लेकर माता के पावन दरबार में पहुंचकर विधिवत दर्शन-पूजन किया। मां का दर्शन-पूजन के बाद भक्तों ने मंदिर परिसर में स्थित कई अन्य देवी-देवताओं का पूजन-अर्चन कर सुख-समृद्धि के लिए कामना की।
विंध्याचल। पूर्णिमा के पावन अवसर पर जगत जननी आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन करने को भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। प्रयाग से महाकुंभ में स्नान करके विंध्य धाम पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने मां के चरणों में मत्था टेका। दर्शन-पूजन करने के उपरांत भक्ताें ने गंगा घाट पहुंचकर विधिवत स्नान किया। घंटा, घड़ियाल, शंख एवं माता के जयकारे से पूरा विंध्य धाम गुंजायमान हो रहा था।
विंध्य दरबार में मंगला आरती के उपरांत दर्शन-पूजन करने को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। विंध्याचल धाम में पहुंचे नर-नारियों व बच्चों ने विधिवत मां का दर्शन किया और मां के भव्य स्वरूप का दर्शन पाकर निहाल हो उठे। मंदिर के छत पर मुंडन संस्कार के साथ ही तीर्थ पुरोहितों द्वारा पाठ-अनुष्ठान आदि के कार्यक्रम भी किए गए। मंदिर में रविवार को उमड़ी दर्शनार्थियों की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा-व्यवस्था के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए थे। मंदिर में दर्शनार्थियाें का दबाव न बढ़े इसके लिए मंदिर से जुड़ने वाले कई मार्गों पर भक्तों की कतारें लगवाई गई थीं। विंध्याचल के गंगा घाटों पर भी सुबह से लेकर दोपहर बाद तक स्नान करने वालाें की भारी भीड़ जुटी रही। स्नान करने के बाद भक्तजन गुड़हल के माला-फूल के साथ नारियल, चुनरी, लाचीदाना आदि लेकर माता के पावन दरबार में पहुंचकर विधिवत दर्शन-पूजन किया। मां का दर्शन-पूजन के बाद भक्तों ने मंदिर परिसर में स्थित कई अन्य देवी-देवताओं का पूजन-अर्चन कर सुख-समृद्धि के लिए कामना की।