मिर्जापुर। गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बाबा नाजिम हुसैन चिश्तिया का सालाना उर्स शनिवार को मनाया गया। इस अवसर पर बाबा के मजार पर चादरपोशी और मन्नतें मांगने का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। भरुहना गांव स्थित बाबा के मजार पर दुआ मंागने के लिए जायरीनों का तांता लगा रहा।
नाजिम बाबा सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित विशाल भंडारे में बड़ी संख्या में नर-नारियों ने प्रसाद ग्रहण किया। नाजिम बाबा ने मानव कल्याण के लिए घोर साधना की, जिसके फलस्वरूप उनको सिद्धि प्राप्त हुई। मुस्लिम परिवार में जन्म लेने के बाद भी लोग यह नहीं जान पाए थे कि बाबा हिंदू है या मुसलमान। फकीरी से जुड़कर भी नाजिम बाबा ने गृहस्थ जीवन का बखूबी निर्वहन किया। साहित्य, संगीत, कला और साधना का नाजिम बाबा के जीवन में अद्भुत संगम देखने को मिलता था। बाबा के सालाना उर्स के अवसर पर स्थानीय के साथ ही कई अन्य जनपदाें से भी बड़ी संख्या में जायरीन आए हुए थे। जायरीनों ने बाबा के मजार पर चादरपोशी कर मन्नतें मांगी। भरुहना गांव स्थित बाबा के मजार पर शनिवार की सुबह से जायरीनों के आने का सिलसिला शुरु हो गया था, जो देर रात तक अनवरत चलता रहा।
मिर्जापुर। गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बाबा नाजिम हुसैन चिश्तिया का सालाना उर्स शनिवार को मनाया गया। इस अवसर पर बाबा के मजार पर चादरपोशी और मन्नतें मांगने का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। भरुहना गांव स्थित बाबा के मजार पर दुआ मंागने के लिए जायरीनों का तांता लगा रहा।
नाजिम बाबा सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित विशाल भंडारे में बड़ी संख्या में नर-नारियों ने प्रसाद ग्रहण किया। नाजिम बाबा ने मानव कल्याण के लिए घोर साधना की, जिसके फलस्वरूप उनको सिद्धि प्राप्त हुई। मुस्लिम परिवार में जन्म लेने के बाद भी लोग यह नहीं जान पाए थे कि बाबा हिंदू है या मुसलमान। फकीरी से जुड़कर भी नाजिम बाबा ने गृहस्थ जीवन का बखूबी निर्वहन किया। साहित्य, संगीत, कला और साधना का नाजिम बाबा के जीवन में अद्भुत संगम देखने को मिलता था। बाबा के सालाना उर्स के अवसर पर स्थानीय के साथ ही कई अन्य जनपदाें से भी बड़ी संख्या में जायरीन आए हुए थे। जायरीनों ने बाबा के मजार पर चादरपोशी कर मन्नतें मांगी। भरुहना गांव स्थित बाबा के मजार पर शनिवार की सुबह से जायरीनों के आने का सिलसिला शुरु हो गया था, जो देर रात तक अनवरत चलता रहा।