मिर्जापुर। पोस्टमार्टम व्यवस्था में डाक्टरों द्वारा घोर लापरवाही बरती जा रही है। चिकित्सक संवेदनहीन हो गए हैं। यह कहना था पोस्टमार्टम हाउस पर अपने संबंधियों के शवों के पोस्टमार्टम के इंतजार में 24 घंटे से बैठे परिजनों का।
बताते चलें कि देहात कोतवाली क्षेत्र के बंधु का पुरा गांव की रेखा की बुधवार को जलने से मौत थी। पंचनामा के बाद उसके शव को पोस्टमार्टम हाउस में रखवाया गया था। वहीं पड़री थाना क्षेत्र के मोहनपुर पहाड़ी के पास बुधवार की सुबह ट्रक की चपेट में आकर मृत वाराणसी के मोकलपुर गांव निवासी युवक के शव को भी पंचनामा कर पीएम हाउस में रखा गया था। उनके परिजनाें का कहना था कि बुधवार को अपराह्न करीब तीन बजे ही शव पीएम हाउस में आ गए थे इसके बावजूद पोस्टमार्टम नहीं हो सका। गुरुवार को अन्य शवाें के साथ ही बुधवार से रखे गए दोनों शवों का भी पोस्टमार्टम हो पाया। लोगों का कहना था कि चिकित्सक संवेदनहीन हो गए हैं। हम लोग अपने संबंधियों से बिछुड़ने का शोक पहले से झेल रहे हैं और ऊपर से पोस्टमार्टम न होना बड़ा ही तकलीफदेह है। चिकित्सकों का यह कृत्य अमानवीय है।
मिर्जापुर। पोस्टमार्टम व्यवस्था में डाक्टरों द्वारा घोर लापरवाही बरती जा रही है। चिकित्सक संवेदनहीन हो गए हैं। यह कहना था पोस्टमार्टम हाउस पर अपने संबंधियों के शवों के पोस्टमार्टम के इंतजार में 24 घंटे से बैठे परिजनों का।
बताते चलें कि देहात कोतवाली क्षेत्र के बंधु का पुरा गांव की रेखा की बुधवार को जलने से मौत थी। पंचनामा के बाद उसके शव को पोस्टमार्टम हाउस में रखवाया गया था। वहीं पड़री थाना क्षेत्र के मोहनपुर पहाड़ी के पास बुधवार की सुबह ट्रक की चपेट में आकर मृत वाराणसी के मोकलपुर गांव निवासी युवक के शव को भी पंचनामा कर पीएम हाउस में रखा गया था। उनके परिजनाें का कहना था कि बुधवार को अपराह्न करीब तीन बजे ही शव पीएम हाउस में आ गए थे इसके बावजूद पोस्टमार्टम नहीं हो सका। गुरुवार को अन्य शवाें के साथ ही बुधवार से रखे गए दोनों शवों का भी पोस्टमार्टम हो पाया। लोगों का कहना था कि चिकित्सक संवेदनहीन हो गए हैं। हम लोग अपने संबंधियों से बिछुड़ने का शोक पहले से झेल रहे हैं और ऊपर से पोस्टमार्टम न होना बड़ा ही तकलीफदेह है। चिकित्सकों का यह कृत्य अमानवीय है।