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योग से गंगा के प्रति किया जागरूक
Mirzapur
Updated Sat, 02 Jun 2012 12:00 PM IST
मिर्जापुर। विंध्य सेवा मंच के तत्वावधान में गंगा जागरूकता अभियान के अंतर्गत आयोेजित तीन दिवसीय गंगा दशहरा महोत्सव नगर के पक्काघाट पर मनाया गया। तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन शुक्रवार को पक्का घाट पर योग के माध्यम से गंगा के प्रति लोगों को जागरूक किया गया।
इस अवसर पर योग शिक्षक प्रवीण शुक्ला के निर्देशन मेें योगी नागेश्वर गिरि के साथ जिले के चर्चित हर्षित शुक्ला, आकाश पाल, जया शुक्ला द्वारा योगासन का हैरतंगेज कारनामा दिखाकर लोगों से गंगा की अविरलता और निर्मलता को लिए अपना सहयोग देकर गंगा को बचाने की मांग की। विचार गोष्ठी में गंगा की वर्तमान दशा पर विचार व्यक्त करते हुए त्रियोगी नारायण ने कहा कि विकास के नाम पर हमसे हमारी गंगा को न छीने, जिससे हमारा अस्तित्व जुड़ा है। गंगा स्वयं में विकास का मानक हैं। हम टिहरी बांध से उत्पादित होने वाली बिजली के बगैर सैकड़ों वर्ष तक जी लेंगे, लेकिन मां गंगा सूखती हैं तो हम पानी की एक एक बूंद को तरस जाएंगे। श्री मिश्र ने कहा कि गंगा के विलुप्त होते ही प्रयाग हरिद्वार का कुंभ विंध्याचल काशी का गंगा स्नान और गंगा सागर की पहचान सब गंगा से ही है, जब गंगा विलुप्त होगी तो ये सब धार्मिक स्थानों की पहचान भी विलुप्त हो जाएगी। डा. सुधांशु रंजन ने कहा कि गंगा हिमालय से निकलकर कई जड़ी-बूटियों से टकराकर जब हम तक अविरल पहुंचती थी तो ये जल औषधीय गुण से भरा अमृत होता था। आज बांधों मेें कैद होने के कारण इनका जल विष होता जा रहा है।
इस कार्यक्रम में पं. अंबा महराज, पं, रिंकू महराज, राज कुमार चतुर्वेदी, रामजी चतुर्वेदी, विवेक सिंह, विकास मेहरोत्रा, अभिषेक मोदनवाल, राज कुमार श्रीमाली, राजू पटेल, रोेहित चतुर्वेदी, जगदीश श्रीमाली, राहुल मोदनवाल, शिवम कसेरा, शिव कुमार, सूर्य नारायण, राजेश शर्मा आदि रहे।
मिर्जापुर। विंध्य सेवा मंच के तत्वावधान में गंगा जागरूकता अभियान के अंतर्गत आयोेजित तीन दिवसीय गंगा दशहरा महोत्सव नगर के पक्काघाट पर मनाया गया। तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन शुक्रवार को पक्का घाट पर योग के माध्यम से गंगा के प्रति लोगों को जागरूक किया गया।
इस अवसर पर योग शिक्षक प्रवीण शुक्ला के निर्देशन मेें योगी नागेश्वर गिरि के साथ जिले के चर्चित हर्षित शुक्ला, आकाश पाल, जया शुक्ला द्वारा योगासन का हैरतंगेज कारनामा दिखाकर लोगों से गंगा की अविरलता और निर्मलता को लिए अपना सहयोग देकर गंगा को बचाने की मांग की। विचार गोष्ठी में गंगा की वर्तमान दशा पर विचार व्यक्त करते हुए त्रियोगी नारायण ने कहा कि विकास के नाम पर हमसे हमारी गंगा को न छीने, जिससे हमारा अस्तित्व जुड़ा है। गंगा स्वयं में विकास का मानक हैं। हम टिहरी बांध से उत्पादित होने वाली बिजली के बगैर सैकड़ों वर्ष तक जी लेंगे, लेकिन मां गंगा सूखती हैं तो हम पानी की एक एक बूंद को तरस जाएंगे। श्री मिश्र ने कहा कि गंगा के विलुप्त होते ही प्रयाग हरिद्वार का कुंभ विंध्याचल काशी का गंगा स्नान और गंगा सागर की पहचान सब गंगा से ही है, जब गंगा विलुप्त होगी तो ये सब धार्मिक स्थानों की पहचान भी विलुप्त हो जाएगी। डा. सुधांशु रंजन ने कहा कि गंगा हिमालय से निकलकर कई जड़ी-बूटियों से टकराकर जब हम तक अविरल पहुंचती थी तो ये जल औषधीय गुण से भरा अमृत होता था। आज बांधों मेें कैद होने के कारण इनका जल विष होता जा रहा है।
इस कार्यक्रम में पं. अंबा महराज, पं, रिंकू महराज, राज कुमार चतुर्वेदी, रामजी चतुर्वेदी, विवेक सिंह, विकास मेहरोत्रा, अभिषेक मोदनवाल, राज कुमार श्रीमाली, राजू पटेल, रोेहित चतुर्वेदी, जगदीश श्रीमाली, राहुल मोदनवाल, शिवम कसेरा, शिव कुमार, सूर्य नारायण, राजेश शर्मा आदि रहे।