लालगंज। पतित पावनी मां गंगा के अविरलता की लड़ाई हर भारतवासी के अस्मिता की लड़ाई है। गंगा, गीता, गायत्री, रोटी-बेटी जब तक सुरक्षित रहेंगी तब तक भारतीय संस्कृति पर कोई आंच नहीं आ सकती है। गंगा पर बांध बनाया जाना भारतीय पहचान और संस्कारों पर हमला है। ये बातें गुरुवार को मंडलेश्वरी मठ राजस्थान से काशी गंगा आंदोलन में शामिल होने जा रहे स्वामी श्री रंजीतानंद जी महाराज ने लालगंज में बताई।
लालगंज स्थित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कृष्णकांत दूबे के आवासीय परिसर में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान स्वामी श्री रंजीतानंद जी महाराज ने कहा कि गंगा भारत की पहचान है, इसके साथ खिलवाड़ किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समाज तभी सुखी रहेगा जब पतित पावनी गंगा और जमुना की अविरलता बरकरार रहेगी। स्वामी जी ने कहा कि गंगा के अविरलता के लिए शुरू हुए आंदोलन को राष्ट्र व्यापी आंदोलन के रूप में बदला जाएगा, जिसमें गृहस्थ से लेकर देश के कोने-कोने से आए संत-महात्मा भी बढ़चढ़ भागीदारी करेंगे।
स्वामी जी ने कहा कि गंगा का पावन जल जीवन दायिनी के साथ ही व्यक्ति के समस्त प्रकार के विकारों को भी दूर करता हैं। गंगा के अविरलता की मांग जनमानस की भावना से जुड़ी हुई है, यह लड़ाई किसी की व्यक्तिगत नहीं, बल्कि यह भारत के प्रत्येक नागरिक के अस्मिता की लड़ाई है। हिंदू धर्म एक सनातन धर्म है, जिसका उद्देश्य दया, करुणा, ममता एवं भलाई करना है। अंत में स्वामी जी ने कहा कि आने वाला दिन गंगा आंदोलन के लिए सुखकारी व हितकारी साबित होगा। तत्पश्चात् स्वामी जी वाराणसी के लिए रवाना हो गए।