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परमात्मा भी देते हैं समय को महत्ता
Mirzapur
Updated Tue, 15 May 2012 12:00 PM IST
मिर्जापुर। समय की महत्ता को परमात्मा भी स्वीकार करता है। श्रीराम प्रभु ने अपने जीवन काल में जितने भी कार्य किए, वह सभी कार्य काल की मर्यादा के अनुसार ही किए। ये बातें आध्यात्म एवं मानस प्रचार समिति खानपुर, सोनवर्षा के तत्वावधान में नौ दिवसीय रामकथा के तीसरे दिन कहीं।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम चाहते तो प्रगट होते ही रावण को मार सकते थे और संसार का दुख दूर कर सकते थे, लेकिन काल का अतिक्रमण न कर मर्यादा के अनुसार ही हर कार्य किया। संतोष जी ने कहा कि भगवान जब भी सृष्टि का निर्माण करते हैं तो शक्ति एवं काल के अनुसार ही करते हैं, अत: काल बहुत बलवान है। मूल्य को अपनाना प्रत्येक मानव का धर्म है। उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा कि समय जान गुरु आयस पाई, लेन प्रसून चले दो भाई..अर्थात् ब्रह्मा एवं शक्ति के मिलन का ठीक समय आ गया है, तब गुरुदेव ने रामजी को आदेश दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान काल में जो मनुष्य समय का सदुपयोग करके अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ता है, वह अवश्य ही सफल होता है। इसके विपरीत समय को बर्बाद करने वाला स्वयं बर्बाद हो जाता है, । इस दौरान जजमान राम आश्रय सिंह, विचित्रानंद, वासुदेव सिंह, सभाजीत सिंह, राम नरायण दूबे, जनार्दन उपाध्याय, भूपेंद्र नारायण दूबे, अशोक सिंह, देवराज सिंह, अवधेश सिंह, शिवकुमार पांडेय, त्रिभुवन सिंह, जितेंद्र दूबे, भास्करानंद दूबे आदि लोग उपस्थित रहे।
मिर्जापुर। समय की महत्ता को परमात्मा भी स्वीकार करता है। श्रीराम प्रभु ने अपने जीवन काल में जितने भी कार्य किए, वह सभी कार्य काल की मर्यादा के अनुसार ही किए। ये बातें आध्यात्म एवं मानस प्रचार समिति खानपुर, सोनवर्षा के तत्वावधान में नौ दिवसीय रामकथा के तीसरे दिन कहीं।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम चाहते तो प्रगट होते ही रावण को मार सकते थे और संसार का दुख दूर कर सकते थे, लेकिन काल का अतिक्रमण न कर मर्यादा के अनुसार ही हर कार्य किया। संतोष जी ने कहा कि भगवान जब भी सृष्टि का निर्माण करते हैं तो शक्ति एवं काल के अनुसार ही करते हैं, अत: काल बहुत बलवान है। मूल्य को अपनाना प्रत्येक मानव का धर्म है। उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा कि समय जान गुरु आयस पाई, लेन प्रसून चले दो भाई..अर्थात् ब्रह्मा एवं शक्ति के मिलन का ठीक समय आ गया है, तब गुरुदेव ने रामजी को आदेश दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान काल में जो मनुष्य समय का सदुपयोग करके अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ता है, वह अवश्य ही सफल होता है। इसके विपरीत समय को बर्बाद करने वाला स्वयं बर्बाद हो जाता है, । इस दौरान जजमान राम आश्रय सिंह, विचित्रानंद, वासुदेव सिंह, सभाजीत सिंह, राम नरायण दूबे, जनार्दन उपाध्याय, भूपेंद्र नारायण दूबे, अशोक सिंह, देवराज सिंह, अवधेश सिंह, शिवकुमार पांडेय, त्रिभुवन सिंह, जितेंद्र दूबे, भास्करानंद दूबे आदि लोग उपस्थित रहे।