कछवां। स्वामी अड़गड़ानंद जी महराज ने कहा कि गंगा पर बांध बनाना सबसे बड़ी भूल है। पतित पावनी गंगा सदियों से जीवनदायिनी रही है और आगे भी रहेगी। गंगा पर बड़े-बड़े बांध बनाकर उसके प्रवाह को रोक देना भारतीय संस्कृति के साथ खिलवाड़ है। करोड़ों लोगों की जीवन का हिस्सा गंगा को मुक्त नहीं किया गया तो देश की संस्कृति भी खतरे में पड़ जाएगी। स्वामी जी ने ये बातें रविवार को ग्राम सभा बरैनी के सेमरी चौराहा स्थित पप्पू सिंह के हाते में आयोजित दिव्य सत्संग में कहीं।
उन्होंने कहा कि परमात्मा के चरणों में जिसका भी मन रम गया, वह सभी नरों में श्रेष्ठ है। शिव, ब्रह्मा, विष्णु, सभी का मत एक परमात्मा राम से यानि ब्रह्म से है। ब्रह्म के भजन के बिना कोई भी मनुष्य मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता है। परमात्मा का शोध वैदिक कालीन ऋषियों-मुनियाें की ही देन है। स्वामी जी ने कहा कि हरि का भजन किए बिना कोई भी भवसागर से पार नहीं हो सकता। भगवान का वास हर मानव के हृदय में होता है तथा भगवत भजन करने का अधिकार सभी को है। स्वामी जी ने कहा कि मनुष्यों के अंत:करण में जो दाग लगा रहता है, वह सद्गुरु रूपी धोबी के द्वारा धो दिया जाता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य सांसारिक विषयों में पड़कर अपने ही हाथों मुक्ति का मार्ग बंद कर देता है। मनुष्य परमात्मा का भजन करते हुए अपने संस्कार को ठीक करके मोक्ष प्राप्त कर सकता है, चाहे वह दुराचारी ही क्यों न हो। स्वामी जी ने कहा कि सृष्टि का आदि धर्म शास्त्र यथार्थ गीता है। गीता सभी ग्रंथों में सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोत्तम है। गीता के अध्ययन से मनुष्य के सारे विकार दूर तो होते ही हैं साथ ही आतंकवाद और अलगाववाद को भी दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व का कल्याण यथार्थ गीता से ही संभव है। सांसारिक विषयों को त्यागने से संयमी पुरुष का भगवत पथ पर चल पड़ता है। स्वामी जी ने कहा कि संत दर्शन से मनुष्यों के सारे पाप धुल जाते हैं।
गंगा के निर्मलीकरण पर स्वामी जी ने कहा कि जो सबको निर्मल करतीं हो, उसे लोग क्या निर्मल कर पाएंगे। कहा कि गंगा नदी पर बांध बनाना एक बड़ी भूल है अगर उस भूल को दूर कर लिया जाए तो गंगा अविरल रूप में बहती रहेगी। सत्संग परिसर में आयोजित विशाल भंडारा पूर्वान्ह 11 बजे से शुरू होकर देर शाम तक अनवरत चलता रहा, जिसमें हजारों नर-नारियों ने प्रसाद ग्रहण किया। प्रवचन के दौरान नारद जी महाराज, पप्पू सिंह, दिनेश सिंह, सहित बड़ी संख्या में विभिन्न आश्रमों से संत-महात्मा और हजारों नर-नारी उपस्थित रहे।
कछवां। स्वामी अड़गड़ानंद जी महराज ने कहा कि गंगा पर बांध बनाना सबसे बड़ी भूल है। पतित पावनी गंगा सदियों से जीवनदायिनी रही है और आगे भी रहेगी। गंगा पर बड़े-बड़े बांध बनाकर उसके प्रवाह को रोक देना भारतीय संस्कृति के साथ खिलवाड़ है। करोड़ों लोगों की जीवन का हिस्सा गंगा को मुक्त नहीं किया गया तो देश की संस्कृति भी खतरे में पड़ जाएगी। स्वामी जी ने ये बातें रविवार को ग्राम सभा बरैनी के सेमरी चौराहा स्थित पप्पू सिंह के हाते में आयोजित दिव्य सत्संग में कहीं।
उन्होंने कहा कि परमात्मा के चरणों में जिसका भी मन रम गया, वह सभी नरों में श्रेष्ठ है। शिव, ब्रह्मा, विष्णु, सभी का मत एक परमात्मा राम से यानि ब्रह्म से है। ब्रह्म के भजन के बिना कोई भी मनुष्य मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता है। परमात्मा का शोध वैदिक कालीन ऋषियों-मुनियाें की ही देन है। स्वामी जी ने कहा कि हरि का भजन किए बिना कोई भी भवसागर से पार नहीं हो सकता। भगवान का वास हर मानव के हृदय में होता है तथा भगवत भजन करने का अधिकार सभी को है। स्वामी जी ने कहा कि मनुष्यों के अंत:करण में जो दाग लगा रहता है, वह सद्गुरु रूपी धोबी के द्वारा धो दिया जाता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य सांसारिक विषयों में पड़कर अपने ही हाथों मुक्ति का मार्ग बंद कर देता है। मनुष्य परमात्मा का भजन करते हुए अपने संस्कार को ठीक करके मोक्ष प्राप्त कर सकता है, चाहे वह दुराचारी ही क्यों न हो। स्वामी जी ने कहा कि सृष्टि का आदि धर्म शास्त्र यथार्थ गीता है। गीता सभी ग्रंथों में सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोत्तम है। गीता के अध्ययन से मनुष्य के सारे विकार दूर तो होते ही हैं साथ ही आतंकवाद और अलगाववाद को भी दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व का कल्याण यथार्थ गीता से ही संभव है। सांसारिक विषयों को त्यागने से संयमी पुरुष का भगवत पथ पर चल पड़ता है। स्वामी जी ने कहा कि संत दर्शन से मनुष्यों के सारे पाप धुल जाते हैं।
गंगा के निर्मलीकरण पर स्वामी जी ने कहा कि जो सबको निर्मल करतीं हो, उसे लोग क्या निर्मल कर पाएंगे। कहा कि गंगा नदी पर बांध बनाना एक बड़ी भूल है अगर उस भूल को दूर कर लिया जाए तो गंगा अविरल रूप में बहती रहेगी। सत्संग परिसर में आयोजित विशाल भंडारा पूर्वान्ह 11 बजे से शुरू होकर देर शाम तक अनवरत चलता रहा, जिसमें हजारों नर-नारियों ने प्रसाद ग्रहण किया। प्रवचन के दौरान नारद जी महाराज, पप्पू सिंह, दिनेश सिंह, सहित बड़ी संख्या में विभिन्न आश्रमों से संत-महात्मा और हजारों नर-नारी उपस्थित रहे।