अहरौरा। सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बना जरगो जलाशय उपेक्षित है। यहां बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मनाने आते हैं लेकिन उनके ठहरने की व्यवस्था नहीं है। प्रकाश व्यवस्था नहीं होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अगर पहाड़ों के मध्य स्थित जलाशय के आसपास सुसज्जित पार्क, रोपवे की व्यवस्था करने के साथ ही इस स्थान पर रिसोर्ट बनाया जाए तो सैलानियों की संख्या बढ़ेगी। सोनबरसा नहर से जलाशय तक जाने वाली सड़क जर्जर हो चुकी है। यहां सैलानियों के ठहरने का कोई प्रबंध नहीं है।
अहरौरा से करीब दस किमी पश्चिम स्थित सोनबरसा पुल से तीन किमी दक्षिण जरगो जलाशय है। पहाड़ों के बीच स्थित जरगो जलाशय के मध्य स्थित टापू पर सैलानियों की निगाहें ठहर जाती हैं। पर्यटन की दृष्टि से यह इलाका आकर्षण का केंद्र है। टापू को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो यह क्षेत्र पर्यटन का मुख्य केंद्र बन सकता है। साथ ही पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। 1958 में जरगो नदी पर बांध का निर्माण हुआ। जलाशय में पानी की क्षमता तीन हजार क्यूसेक की है। जलाशय से नौ हजार हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई होती है। सात नदियों और 70 नाले के पानी को समाहित करने वाले इस जलाशय का दृश्य अत्यंत मनोरम है। जलाशय के मध्य स्थित टापू से जलाशय का दृश्य अत्यंत विहंगम नजर आता है। जंगली जानवर व पशु भी जलाशय के टापू पर विचरण करते रहते हैं।
अहरौरा। सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बना जरगो जलाशय उपेक्षित है। यहां बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मनाने आते हैं लेकिन उनके ठहरने की व्यवस्था नहीं है। प्रकाश व्यवस्था नहीं होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अगर पहाड़ों के मध्य स्थित जलाशय के आसपास सुसज्जित पार्क, रोपवे की व्यवस्था करने के साथ ही इस स्थान पर रिसोर्ट बनाया जाए तो सैलानियों की संख्या बढ़ेगी। सोनबरसा नहर से जलाशय तक जाने वाली सड़क जर्जर हो चुकी है। यहां सैलानियों के ठहरने का कोई प्रबंध नहीं है।
अहरौरा से करीब दस किमी पश्चिम स्थित सोनबरसा पुल से तीन किमी दक्षिण जरगो जलाशय है। पहाड़ों के बीच स्थित जरगो जलाशय के मध्य स्थित टापू पर सैलानियों की निगाहें ठहर जाती हैं। पर्यटन की दृष्टि से यह इलाका आकर्षण का केंद्र है। टापू को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो यह क्षेत्र पर्यटन का मुख्य केंद्र बन सकता है। साथ ही पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। 1958 में जरगो नदी पर बांध का निर्माण हुआ। जलाशय में पानी की क्षमता तीन हजार क्यूसेक की है। जलाशय से नौ हजार हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई होती है। सात नदियों और 70 नाले के पानी को समाहित करने वाले इस जलाशय का दृश्य अत्यंत मनोरम है। जलाशय के मध्य स्थित टापू से जलाशय का दृश्य अत्यंत विहंगम नजर आता है। जंगली जानवर व पशु भी जलाशय के टापू पर विचरण करते रहते हैं।