मेरठ। जिला अस्पताल में डिप्थीरिया के मरीजों को इलाज मिलेगा। मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा। इसके लिए वहां जल्द ही दवाइयां खरीदी जाएंगी। अब सिर्फ ज्यादा गंभीर मरीजों को ही दिल्ली रेफर किया जाएगा। अभी तक यहां डिप्थीरिया के मरीजों को इलाज नहीं मिलता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम ने पीएल शर्मा जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया। प्रमुख अधीक्षक डॉ. पीके बंसल से इस संबंध में वार्ता की तो उनका सुझाव मान लिया गया। पांच दिन से जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की जांच कर रही डब्ल्यूएचओ की टीम ने जिला अस्पताल के अलावा मंगलवार को महिला जिला अस्पताल और दौराला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भी निरीक्षण किया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजकुमार से बात की। डिप्थीरिया (गलाघोंटू) रोगी के इलाज पर फोकस करने को कहा। बताया कि यूपी में काफी संख्या में मरीज मिल रहे हैं, लिहाजा सतर्क रहने की जरूरत है। मेरठ में ही डिप्थीरिया के 33 मरीज मिले हैं। इनमें से दो बच्चों की मौत हो चुकी है। ये सभी मरीज वे हैं जिन्हें डिप्थीरिया का टीका नहीं लगा था। इन्हें दिल्ली रेफर किया गया था।
डब्ल्यूएचओ की टीम में नई दिल्ली से सर्विलांस हेड डॉ. अरुण कुमार, अमेरिका अटलांटा से सर्विलांस हेड डॉ. हेनरी, डॉ. संजय मल्होत्रा, डॉ. आनंद किशोर, डॉ. प्रवीण गौतम, डॉ. रचना टंडन और हिना आदि थे। डॉ. अरुण और डॉ. हेनरी ने बताया कि उनकी टीम डब्ल्यूएचओ और शासन को अपनी रिपोर्ट देगी। उन्होंने बताया कि टीम ने पांच बीमारियों का स्वास्थ्य केंद्रों पर किस तरह इलाज किया जा रहा है। ये बीमारियां हैं, डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, मिजिल्स रुबेला और पक्षाघात। डिप्थीरिया कॉरीनेबैक्टेरियम बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होता है। इसकी चपेट में ज्यादातर बच्चे आते हैं। वैक्सीनेशन से बच्चों को डिप्थीरिया से बचाया जा सकता है।
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पोलियो से सुरक्षित निकला मेरठ
सीएमओ डॉ. राजकुमार ने बताया कि साल 2018 में पोलियो के खतरे को देखते हुए पूरे प्रदेश में सीवर के पानी के नमूनों की जांच कराई गई थी। हर दो माह में नमूने लिए गए थे, जिनकी जांच रिपोर्ट में हर बार मेरठ सुरक्षित निकला था। यही कारण है कि इस साल सीवर के नमूने की जांच नहीं कराई गई है।
मेरठ। जिला अस्पताल में डिप्थीरिया के मरीजों को इलाज मिलेगा। मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा। इसके लिए वहां जल्द ही दवाइयां खरीदी जाएंगी। अब सिर्फ ज्यादा गंभीर मरीजों को ही दिल्ली रेफर किया जाएगा। अभी तक यहां डिप्थीरिया के मरीजों को इलाज नहीं मिलता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम ने पीएल शर्मा जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया। प्रमुख अधीक्षक डॉ. पीके बंसल से इस संबंध में वार्ता की तो उनका सुझाव मान लिया गया। पांच दिन से जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की जांच कर रही डब्ल्यूएचओ की टीम ने जिला अस्पताल के अलावा मंगलवार को महिला जिला अस्पताल और दौराला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भी निरीक्षण किया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजकुमार से बात की। डिप्थीरिया (गलाघोंटू) रोगी के इलाज पर फोकस करने को कहा। बताया कि यूपी में काफी संख्या में मरीज मिल रहे हैं, लिहाजा सतर्क रहने की जरूरत है। मेरठ में ही डिप्थीरिया के 33 मरीज मिले हैं। इनमें से दो बच्चों की मौत हो चुकी है। ये सभी मरीज वे हैं जिन्हें डिप्थीरिया का टीका नहीं लगा था। इन्हें दिल्ली रेफर किया गया था।
डब्ल्यूएचओ की टीम में नई दिल्ली से सर्विलांस हेड डॉ. अरुण कुमार, अमेरिका अटलांटा से सर्विलांस हेड डॉ. हेनरी, डॉ. संजय मल्होत्रा, डॉ. आनंद किशोर, डॉ. प्रवीण गौतम, डॉ. रचना टंडन और हिना आदि थे। डॉ. अरुण और डॉ. हेनरी ने बताया कि उनकी टीम डब्ल्यूएचओ और शासन को अपनी रिपोर्ट देगी। उन्होंने बताया कि टीम ने पांच बीमारियों का स्वास्थ्य केंद्रों पर किस तरह इलाज किया जा रहा है। ये बीमारियां हैं, डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, मिजिल्स रुबेला और पक्षाघात। डिप्थीरिया कॉरीनेबैक्टेरियम बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होता है। इसकी चपेट में ज्यादातर बच्चे आते हैं। वैक्सीनेशन से बच्चों को डिप्थीरिया से बचाया जा सकता है।
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पोलियो से सुरक्षित निकला मेरठ
सीएमओ डॉ. राजकुमार ने बताया कि साल 2018 में पोलियो के खतरे को देखते हुए पूरे प्रदेश में सीवर के पानी के नमूनों की जांच कराई गई थी। हर दो माह में नमूने लिए गए थे, जिनकी जांच रिपोर्ट में हर बार मेरठ सुरक्षित निकला था। यही कारण है कि इस साल सीवर के नमूने की जांच नहीं कराई गई है।