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मेरठ में शिवाया स्थित चारागाह की जमीन एटूजेड बिल्डर्स एवं डेवलपर्स के नाम करने के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। मुख्यमंत्री ने इस मामले में एसडीएम कुमार भूपेंद्र को अवनति कर तहसीलदार बनाने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री की इस कार्रवाई के बाद प्रशासनिक हल्के में हड़कंप मचा हुआ है।
अमर उजाला ने 23 नवंबर 2016 को माई सिटी में ‘अफसर मेहरबान, 30 करोड़ की जमीन बिल्डर के नाम’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसमें सरधना तहसील अंतर्गत एनएच-58 पर सिवाया के पास चारागाह की करीब 20 हजार वर्ग मीटर जमीन एटूजेड बिल्डर के नाम करने का खुलासा किया गया।
करीब 30 करोड़ रुपये से ज्यादा की इस बेशकीमती जमीन को बिल्डर को देने के लिए तीन साल से खेल चल रहा था। अमर उजाला में समाचार प्रकाशित होने पर तत्कालीन डीएम बी. चंद्रकला ने पूरे मामले पर सख्ती के साथ कार्रवाई शुरू की। 24 नवंबर को ही डीएम ने रजिस्ट्रार कानूनगो के निलंबन और एसडीएम समेत अन्य दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करने की बात कही थी।
रिपोर्ट देखकर दिए कार्रवाई के निर्देश
इस मामले में एसडीएम सरधना राकेश कुमार की पूरी रिपोर्ट पढ़ने के बाद जिलाधिकारी ने एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए। इस पर तहसीलदार वेद सिंह चौहान की तरफ से कोतवाली सरधना में धारा 420, 467, 468, 471, सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 के तहत धारा-3 व 4 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया।
मुकदमे में तत्कालीन एसडीएम कुमार भूपेंद्र, तत्कालीन हल्का लेखपाल राजपाल सिंह, तत्कालीन राजस्व निरीक्षक मोहम्मद नसीम और तत्कालीन राजस्व अहलमद जगवीर सिंह के साथ मेसर्स एटूजेड डेवलपर्स को भी नामजद किया गया था। बाद में यह केस सरधना पुलिस से ट्रांसफर कराकर जांच सीओ कोतवाली को दे दी गई, जहां से इस पर एफआर लगा दी गई।
इन पर भी लटक सकती है अब कार्रवाई की तलवार
इस मामले में मुख्यमंत्री के सख्त रवैये से प्रशासनिक हल्के में हड़कंप मचा है। क्योंकि सबसे पहले वर्ष 2013 में तत्कालीन एसडीएम अखंड प्रताप सिंह ने चारागाह की जमीन को बिल्डर को देने का आदेश दिया था।
इस आदेश को उनके बाद आए एसडीएम अरविंद मिश्रा ने निरस्त कर दिया था। जिसके खिलाफ बिल्डर ने मंडलायुक्त के यहां अपील की, जिसकी सुनवाई करते हुए तत्कालीन अपर आयुक्त चुनकूराम पटेल ने अरविंद मिश्रा के आदेश को निरस्त कर दिया और अखंड प्रताप सिंह के आदेश को बहाल कर दिया। अखंड प्रताप सिंह इस समय आईएएस हैं तो चुनकूराम पटेल के सेवानिवृत्त होने की बात कही जा रही है। ऐसे में अब चर्चा है कि अखंड प्रताप सिंह और चुनकूराम पटेल के खिलाफ भी शासन से कार्रवाई तय हो रही है।
बिल्डर ने लिया हुआ है हाईकोर्ट से स्टे
इस मामले पर पूर्व मंडलायुक्त प्रभात कुमार ने संज्ञान लिया था। उनकी कोर्ट में जब यह मामला पहुंचा तो बिल्डर ग्रुप हाईकोर्ट पहुंच गया और स्टे ले आया। बिल्डर ग्रुप का कहना है कि उन्होंने जमीन के बदले जमीन दी है। इसलिए उनका कोई दोष नहीं है।
मेरठ में शिवाया स्थित चारागाह की जमीन एटूजेड बिल्डर्स एवं डेवलपर्स के नाम करने के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। मुख्यमंत्री ने इस मामले में एसडीएम कुमार भूपेंद्र को अवनति कर तहसीलदार बनाने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री की इस कार्रवाई के बाद प्रशासनिक हल्के में हड़कंप मचा हुआ है।
अमर उजाला ने 23 नवंबर 2016 को माई सिटी में ‘अफसर मेहरबान, 30 करोड़ की जमीन बिल्डर के नाम’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसमें सरधना तहसील अंतर्गत एनएच-58 पर सिवाया के पास चारागाह की करीब 20 हजार वर्ग मीटर जमीन एटूजेड बिल्डर के नाम करने का खुलासा किया गया।
करीब 30 करोड़ रुपये से ज्यादा की इस बेशकीमती जमीन को बिल्डर को देने के लिए तीन साल से खेल चल रहा था। अमर उजाला में समाचार प्रकाशित होने पर तत्कालीन डीएम बी. चंद्रकला ने पूरे मामले पर सख्ती के साथ कार्रवाई शुरू की। 24 नवंबर को ही डीएम ने रजिस्ट्रार कानूनगो के निलंबन और एसडीएम समेत अन्य दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करने की बात कही थी।
रिपोर्ट देखकर दिए कार्रवाई के निर्देश
इस मामले में एसडीएम सरधना राकेश कुमार की पूरी रिपोर्ट पढ़ने के बाद जिलाधिकारी ने एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए। इस पर तहसीलदार वेद सिंह चौहान की तरफ से कोतवाली सरधना में धारा 420, 467, 468, 471, सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 के तहत धारा-3 व 4 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया।
मुकदमे में तत्कालीन एसडीएम कुमार भूपेंद्र, तत्कालीन हल्का लेखपाल राजपाल सिंह, तत्कालीन राजस्व निरीक्षक मोहम्मद नसीम और तत्कालीन राजस्व अहलमद जगवीर सिंह के साथ मेसर्स एटूजेड डेवलपर्स को भी नामजद किया गया था। बाद में यह केस सरधना पुलिस से ट्रांसफर कराकर जांच सीओ कोतवाली को दे दी गई, जहां से इस पर एफआर लगा दी गई।
इन पर भी लटक सकती है अब कार्रवाई की तलवार
इस मामले में मुख्यमंत्री के सख्त रवैये से प्रशासनिक हल्के में हड़कंप मचा है। क्योंकि सबसे पहले वर्ष 2013 में तत्कालीन एसडीएम अखंड प्रताप सिंह ने चारागाह की जमीन को बिल्डर को देने का आदेश दिया था।
इस आदेश को उनके बाद आए एसडीएम अरविंद मिश्रा ने निरस्त कर दिया था। जिसके खिलाफ बिल्डर ने मंडलायुक्त के यहां अपील की, जिसकी सुनवाई करते हुए तत्कालीन अपर आयुक्त चुनकूराम पटेल ने अरविंद मिश्रा के आदेश को निरस्त कर दिया और अखंड प्रताप सिंह के आदेश को बहाल कर दिया। अखंड प्रताप सिंह इस समय आईएएस हैं तो चुनकूराम पटेल के सेवानिवृत्त होने की बात कही जा रही है। ऐसे में अब चर्चा है कि अखंड प्रताप सिंह और चुनकूराम पटेल के खिलाफ भी शासन से कार्रवाई तय हो रही है।
बिल्डर ने लिया हुआ है हाईकोर्ट से स्टे
इस मामले पर पूर्व मंडलायुक्त प्रभात कुमार ने संज्ञान लिया था। उनकी कोर्ट में जब यह मामला पहुंचा तो बिल्डर ग्रुप हाईकोर्ट पहुंच गया और स्टे ले आया। बिल्डर ग्रुप का कहना है कि उन्होंने जमीन के बदले जमीन दी है। इसलिए उनका कोई दोष नहीं है।