मेरठ। नशे की गिरफ्त में आकर लोग अपना सब कुछ बर्बाद कर रहे हैं। नशा मुक्ति केंद्र के मुताबिक शहर में तकरीबन साठ हजार से अधिक लोग नशे के आदी हैं। यही वजह है कि यहां बड़े पैमाने पर नशे का कारोबार फैल रहा है। दर्जन भर इलाकों में खुलेआम स्मैक, ब्राउन शुगर, हेरोइन, अफीम, चरस, भांग, गांजा, डोडा, नशीली गोलियां और इंजेक्शन बेचकर कारोबारी करोड़ों की आमदनी कर रहे हैं और हजारों परिवारों को बर्बाद कर रहे हैं। ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है। एसपी सिटी कार्यालय के ठीक सामने ही युवक और मजदूर तबके के लोग खुलेआम स्मैक का सेवन करते हैं। यहां पार्क में कोई स्मैक पीकर मस्त रहता है, तो कोई सिगरेट में गांजा भरकर पीता है, कोई दोस्ताें के साथ सुई लगाता है। इसकी भनक पुलिस को भी है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है। लोग दोस्तों के दबाव, उत्सुकता वश, नशे के आदि बनते जा रहे हैं। नशे की कहानी कोतवाली थाना क्षेत्र का 21 वर्षीय युवक कपड़ा बेचने का धंधा करता था। वह तीन साल पहले नशे की गिरफ्त में आया। अब हर रोज महताब सिनेमा के पास एक पीस दे दो (स्मैक) मांगता रहता है। एक पीस 65 रुपये में बेची जाती है और वह पांच से छह बार इसका सेवन करता है। जानी खुर्द का 18 वर्षीय युवक पांच साल से भांग एवं गांजा पीते-पीते अपना दिमागी संतुलन खो बैठा है। सिगरेट में गांजा भरकर पीने का यह आदी है। नौचंदी थाना क्षेत्र का 25 वर्षीय युवक इंजेक्शन लगाने का आदी है। वह रोजाना आठ से दस इंजेक्शन लगाता है। नशे के चक्कर में इसने अपना सब कुछ बर्बाद कर लिया है। मनोवैज्ञानिक इलाज नशे की गिरफ्त में आए लोगों का इलाज जागृति नशा मुक्ति केंद्र में निशुल्क किया जा रहा है। केंद्र के परियोजना निदेशक अख्तर हसनैन जैदी के अनुसार शहर में 60 हजार लोग नशे का हर रोज सेवन कर रहे हैं। इनमें 40 हजार शराब के और 20 हजार अन्य नशे के आदि हैं। केंद्र में नशे की लत से मुक्ति दिलाने के लिए प्रशिक्षित काउंसलर्स द्वारा मनोवैज्ञानिक उपचार किया जाता है। इसके अलावा योग और मेडिटेशन की भी सहायता ली जाती है। वर्ष 2012 में 184 लोगों को नशे से निजात दिलाई गई। नशेड़ियों के अड्डे घंटाघर, ओडियन सिनेमा, माल गोदाम, बिजलीघर, भूमिया का पुल, मोहम्मद कब्रिस्तान, नौचंदी ग्राउंड, पीवीएस मॉल, रामलीला ग्राउंड। नशे का बाजार ः इंजेक्शन - मेडिकल स्टोर चरस और गांजा - भांग के ठेके स्मैक - जवाहरनगर, जली कोठी, पत्ते वाली गली, माल गोदाम, घंटाघर आदि।
मेरठ। नशे की गिरफ्त में आकर लोग अपना सब कुछ बर्बाद कर रहे हैं। नशा मुक्ति केंद्र के मुताबिक शहर में तकरीबन साठ हजार से अधिक लोग नशे के आदी हैं। यही वजह है कि यहां बड़े पैमाने पर नशे का कारोबार फैल रहा है। दर्जन भर इलाकों में खुलेआम स्मैक, ब्राउन शुगर, हेरोइन, अफीम, चरस, भांग, गांजा, डोडा, नशीली गोलियां और इंजेक्शन बेचकर कारोबारी करोड़ों की आमदनी कर रहे हैं और हजारों परिवारों को बर्बाद कर रहे हैं। ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है। एसपी सिटी कार्यालय के ठीक सामने ही युवक और मजदूर तबके के लोग खुलेआम स्मैक का सेवन करते हैं। यहां पार्क में कोई स्मैक पीकर मस्त रहता है, तो कोई सिगरेट में गांजा भरकर पीता है, कोई दोस्ताें के साथ सुई लगाता है। इसकी भनक पुलिस को भी है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है। लोग दोस्तों के दबाव, उत्सुकता वश, नशे के आदि बनते जा रहे हैं।
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नशे की कहानी
कोतवाली थाना क्षेत्र का 21 वर्षीय युवक कपड़ा बेचने का धंधा करता था। वह तीन साल पहले नशे की गिरफ्त में आया। अब हर रोज महताब सिनेमा के पास एक पीस दे दो (स्मैक) मांगता रहता है। एक पीस 65 रुपये में बेची जाती है और वह पांच से छह बार इसका सेवन करता है। जानी खुर्द का 18 वर्षीय युवक पांच साल से भांग एवं गांजा पीते-पीते अपना दिमागी संतुलन खो बैठा है। सिगरेट में गांजा भरकर पीने का यह आदी है। नौचंदी थाना क्षेत्र का 25 वर्षीय युवक इंजेक्शन लगाने का आदी है। वह रोजाना आठ से दस इंजेक्शन लगाता है। नशे के चक्कर में इसने अपना सब कुछ बर्बाद कर लिया है।
मनोवैज्ञानिक इलाज
नशे की गिरफ्त में आए लोगों का इलाज जागृति नशा मुक्ति केंद्र में निशुल्क किया जा रहा है। केंद्र के परियोजना निदेशक अख्तर हसनैन जैदी के अनुसार शहर में 60 हजार लोग नशे का हर रोज सेवन कर रहे हैं। इनमें 40 हजार शराब के और 20 हजार अन्य नशे के आदि हैं। केंद्र में नशे की लत से मुक्ति दिलाने के लिए प्रशिक्षित काउंसलर्स द्वारा मनोवैज्ञानिक उपचार किया जाता है। इसके अलावा योग और मेडिटेशन की भी सहायता ली जाती है। वर्ष 2012 में 184 लोगों को नशे से निजात दिलाई गई।
नशेड़ियों के अड्डे
घंटाघर, ओडियन सिनेमा, माल गोदाम, बिजलीघर, भूमिया का पुल, मोहम्मद कब्रिस्तान, नौचंदी ग्राउंड, पीवीएस मॉल, रामलीला ग्राउंड।
नशे का बाजार ः
इंजेक्शन - मेडिकल स्टोर
चरस और गांजा - भांग के ठेके
स्मैक - जवाहरनगर, जली कोठी, पत्ते वाली गली, माल गोदाम, घंटाघर आदि।
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