मेरठ। लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज में सोमवार को दीक्षांत समारोह के साथ ही स्थापना दिवस भी मनाया गया। चिकित्सकों ने गरीब और असहाय मरीजों क ी निशुल्क सेवा करने की शपथ लेकर एमबीबीएस की उपाधि ग्रहण की। इस दौरान सन 2007 बैच के 105 छात्रों को उपाधि दी गई।
समारोह के मुख्य अतिथि मंडलायुक्त मेरठ मृत्युंजय कुमार नारायण एवं चौधरी चरण सिंह विवि के कुलपति विक्रम चंद गोयल रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक डॉ. केके गुप्ता रहे। अन्य अतिथियों में चौधरी चरण सिंह विवि के प्रति कुलपति डॉ. जेके पुंडीर, मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. विनय अग्रवाल, एकेडमिक अवार्ड अध्यक्ष डॉ. प्रदीप भारती रहे। समारोह का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। अतिथियों ने उपाधि देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। प्रधानाचार्य ने डिग्री प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को चिकित्सा क्षेत्र के उद्देश्योें को ईमानदारी से पूरा करने की शपथ दिलाई। डॉ. विनय अग्रवाल ने कॉलेज की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ी।
इसके साथ ही स्नातक व स्नातकोत्तर में 36 स्वर्ण पदक, 103 प्रमाणपत्र व 06 चल वैजयंती प्रदान की गईं। टाइटल पदक भी दिए गए। समारोह का संचालन डॉ. मनु मल्होत्रा ने और आभार प्रदर्शन मेडिकल अस्पताल के एसआईसी डॉ. पीके माहेश्वरी ने किया। समारोह में सीसीएसयू के रजिस्ट्रार ओमप्रकाश, सेवानिवृत्त चिकित्सक, पुरातन छात्र-छात्राएं, डॉ. गौरव गुप्ता, डॉ. सुनील कवल, डॉ. विरेंद्र कुमार, डॉ. आरपी शर्मा, डॉ. सीपी सिंह, डॉ. सुभाष घईया, डॉ. ललिता चौधरी और नरेश कुमार समेत अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।
छात्राओं ने झटके ज्यादा स्वर्ण
मेरठ। 36 स्वर्ण पदक और स्मृति चिन्हों में से अधिकांश पर छात्राओं का ही कब्जा रहा। कई छात्राओं ने तो चार स्वर्ण पदक हासिल कर रिकार्ड भी बनाया। पीजी में नेत्र विभाग की डॉ. शिल्पा सिंह, मेडिसिन से डॉ. आयुष शुक्ला, एनेस्थीसिया से डॉ. शैलेष त्रिपाठी, पीडिया से डॉ. सुनील गोथवाल, पैथोलोजी से डॉ. आशुतोष सिंह, कम्यूनिटी मेडिसन से डॉ. कैरोलिन एलिजाबेथ जार्ज को स्वर्ण पदक मिला। 75 प्रतिशत में फिजियोलॉजी विभाग से मणिका व मोली नंदी, एनोटॉमी से गया प्रसाद शुक्ला, अभिनव कुमार मौर्या, मणिका, बायोकेमिस्ट्री से कोसतुब गुप्ता, तनवी गोयल, फार्माक्लोजी से गरिमा चौधरी व आब्स एवं गायनिक से हिमानी गोयल सम्मानित हुईं। फाइनल एमबीबीएस प्रोफेशनल प्रथम में नेहा शर्मा को 02 स्वर्ण पदक, 04 प्रमाणपत्र, सुकृ ति आत्रेय को 03 प्र्रमाणपत्र व अंकिता को 02 पदक और 02 प्रमाणपत्र मिले। एमबीबीएस प्रोफेशनल प्रथम में मणिका को 02 पदक, 04 प्रमाणपत्र, मौली नंदी को 03 प्रमाणपत्र मिले। एमबीबीएस द्वितीय में गरिमा चौधरी 03 पदक, 06 प्रमाणपत्र लेकर पहले स्थान पर रहीं। वहीं नीना सिक्का को एक पदक, 05 प्रमाणपत्र पाकर दूसरे स्थान पर रहीं।
फाइनल एमबीबीएस प्रोफेशनल द्वितीय में डॉ. विंध्यवासिनी को 03 स्वर्ण पदक, 05 प्रमाणपत्र, धनवंतीर पदक जीता। वहीं डॉ. प्राची को 04 पदक, 01 ट्रॉफी, त्रिलोक जैन पदक, एस के गोयल पदक, सौभाग्यवती देवी त्यागी पदक, डॉ. केपी निगम मेमोरियल पदक, बेस्ट छात्रा का अवार्ड भी मिला।
पिता ने पुत्र को दिया पदक
समारोह में मेडिकल एजूकेशन उप्र के महानिदेशक व मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. केके गुप्ता के बेटे कोसतुब गुप्ता को विशेष योग्यता सम्मान मिला। पिता ने बेटे को सम्मानित किया। कोसतुब ने बायोकेमिस्ट्री में 75 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए हैं।
डीजी के समक्ष प्राचार्य ने गिनाईं परेशानी
मेरठ। समारोह में कॉलेज की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ने के साथ प्रधानाचार्य डॉ. विनय अग्रवाल ने यहां की परेशानियों पर भी प्रकाश डाला। विद्यार्थियों, चिकित्सकों और मरीजों को बजट के अभाव के चलते आने वाली परेशानियां को डॉ. केके गुप्ता से दूर कराने का आग्रह किया।
- दवाओं का बजट बढ़ाया जाए
- चिकित्सालय के उपकरणों की मरम्मत व रखरखाव के लिए बजट।
- महाविद्यालय में चिकित्सकों के 162 पद में से 40 खाली हैं, उन पर नियुक्ति हो।
टॉपर्स से वार्ता
‘दूरदराज के गांवों में फैलाऊंगी चिकित्सा का उजाला’
तीन पदक और 05 प्रमाणपत्र लेने वाली मवाना निवासी विंध्यवासिनी का सपना दूरदराज के गांवों में चिकित्सा का उजाला फैलाना है। पांच भाई बहनों में बड़ी विंध्यवासिनी के पिता अवनेंद्र तिवारी मवाना शुगर मिल में कार्यरत हैं।
‘चिकित्सा की दुश्वारियां मिटाऊंगी’
बेस्ट गर्ल के साथ पिछले चार सालों से एमबीबीएस की टॉपर मेरठ की प्राची चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी दुश्वारियों को मिटाना चाहती हैं। प्राची के पिता सिद्धेश मुजफ्फरनगर में प्राचार्य और मां इस्माइल डिग्री कॉलेज पेंटिंग विभाग में प्रवक्ता है। बकौल प्राची माता-पिता ने हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाया। अब पीजी के बाद रेयर डिसीज पर काम करना है।
‘योग्यता नहीं आरक्षण की लड़ाई’
एमबीबीएस में तीन स्वर्ण पदक लेने वाली गरिमा कहती हैं कि मेडिकल एजूकेशन में आरक्षण योग्य छात्रों की राह में रोढ़ा बन गया है। छात्रों को एमबीबीएस में प्रवेश के लिए योग्यता से ज्यादा जंग आरक्षण से लड़नी होती है। पीजी के बाद सुपर स्पेशियलिटी करूंगी।
‘लाइलाज बीमारियों का इलाज खोजूंगी’
तीन स्वर्ण पदक हासिल करने वाली नेहा का सपना दुनिया में लाइलाज रोगों का इलाज खोजना है। बकौल नेहा आज भी सुदूर इलाकों के लोग अच्छी चिकित्सा सुविधा से दूर हैं। हमारा कर्तव्य लोगों की जान बचाना है। पीजी के बाद में असाध्य बीमारियों पर काम करूंगी।
2014 तक प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा में होंगे तमाम बदलाव
मेरठ। आगामी वर्ष में प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता निखरेगी। शासन स्तर पर चिकित्सा शिक्षा के सुधार की कवायद शुरू है। यह जानकारी डॉ. केके गुप्ता ने दी। उन्होंने कहा कि शासन ने प्रदेश के तीन मेडिकल कॉलेजों में सेंसिटिव हार्मोनल बीमारियों की जांच के लिए आधुनिक मशीनों की मंजूरी दी है। उन्होंने बताया कि मेरठ मेडिकल कॉलेज में बजट बढ़ोत्तरी, एमआरआई, ट्रामा सेंटर, डाटा डिजिटलाइजेशन पर भी काम शुरू है। गांवों में जीवन रक्षक दवाओं क ा अभाव खत्म करने का प्रयास किया जा रहा। मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी वार्डों का भी सुदृढ़ीकरण होगा।
‘चिकित्सा जगत में करें क्रांति’
समारोह के मुख्य अतिथि मंडलायुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण ने छात्रों को चिकित्सा जगत में नई क्रांति करने की बात कही। कहा डॉक्टर प्रतिस्पर्धी बनें, मगर ईमानदारी के साथ। हफ्ते में एक दिन नि:शुल्क इलाज की सुविधा हर चिकित्सक को देनी चाहिए, तभी उसकी शपथ पूरी होती है। देश में फैली तमाम बीमारियों को दूर करने के उपाय खोजें।
‘चिकित्सा की तरक्की से वंचित आम आदमी’
समारोह में सीसीएसयू विवि के कुलपति डॉ. वीसी गोयल ने कहा कि चिकित्सा जगत तरक्की कर रहा है। आम आदमी तक आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं नहीं पहुंच रहीं। हर पेशे में नैतिकता का अभाव हो चला है। चिकित्सा क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। चिकित्सकों को असहायों के इलाज में आगे बढ़ना चाहिए।
मेरठ। लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज में सोमवार को दीक्षांत समारोह के साथ ही स्थापना दिवस भी मनाया गया। चिकित्सकों ने गरीब और असहाय मरीजों क ी निशुल्क सेवा करने की शपथ लेकर एमबीबीएस की उपाधि ग्रहण की। इस दौरान सन 2007 बैच के 105 छात्रों को उपाधि दी गई।
समारोह के मुख्य अतिथि मंडलायुक्त मेरठ मृत्युंजय कुमार नारायण एवं चौधरी चरण सिंह विवि के कुलपति विक्रम चंद गोयल रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक डॉ. केके गुप्ता रहे। अन्य अतिथियों में चौधरी चरण सिंह विवि के प्रति कुलपति डॉ. जेके पुंडीर, मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. विनय अग्रवाल, एकेडमिक अवार्ड अध्यक्ष डॉ. प्रदीप भारती रहे। समारोह का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। अतिथियों ने उपाधि देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। प्रधानाचार्य ने डिग्री प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को चिकित्सा क्षेत्र के उद्देश्योें को ईमानदारी से पूरा करने की शपथ दिलाई। डॉ. विनय अग्रवाल ने कॉलेज की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ी।
इसके साथ ही स्नातक व स्नातकोत्तर में 36 स्वर्ण पदक, 103 प्रमाणपत्र व 06 चल वैजयंती प्रदान की गईं। टाइटल पदक भी दिए गए। समारोह का संचालन डॉ. मनु मल्होत्रा ने और आभार प्रदर्शन मेडिकल अस्पताल के एसआईसी डॉ. पीके माहेश्वरी ने किया। समारोह में सीसीएसयू के रजिस्ट्रार ओमप्रकाश, सेवानिवृत्त चिकित्सक, पुरातन छात्र-छात्राएं, डॉ. गौरव गुप्ता, डॉ. सुनील कवल, डॉ. विरेंद्र कुमार, डॉ. आरपी शर्मा, डॉ. सीपी सिंह, डॉ. सुभाष घईया, डॉ. ललिता चौधरी और नरेश कुमार समेत अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।
छात्राओं ने झटके ज्यादा स्वर्ण
मेरठ। 36 स्वर्ण पदक और स्मृति चिन्हों में से अधिकांश पर छात्राओं का ही कब्जा रहा। कई छात्राओं ने तो चार स्वर्ण पदक हासिल कर रिकार्ड भी बनाया। पीजी में नेत्र विभाग की डॉ. शिल्पा सिंह, मेडिसिन से डॉ. आयुष शुक्ला, एनेस्थीसिया से डॉ. शैलेष त्रिपाठी, पीडिया से डॉ. सुनील गोथवाल, पैथोलोजी से डॉ. आशुतोष सिंह, कम्यूनिटी मेडिसन से डॉ. कैरोलिन एलिजाबेथ जार्ज को स्वर्ण पदक मिला। 75 प्रतिशत में फिजियोलॉजी विभाग से मणिका व मोली नंदी, एनोटॉमी से गया प्रसाद शुक्ला, अभिनव कुमार मौर्या, मणिका, बायोकेमिस्ट्री से कोसतुब गुप्ता, तनवी गोयल, फार्माक्लोजी से गरिमा चौधरी व आब्स एवं गायनिक से हिमानी गोयल सम्मानित हुईं। फाइनल एमबीबीएस प्रोफेशनल प्रथम में नेहा शर्मा को 02 स्वर्ण पदक, 04 प्रमाणपत्र, सुकृ ति आत्रेय को 03 प्र्रमाणपत्र व अंकिता को 02 पदक और 02 प्रमाणपत्र मिले। एमबीबीएस प्रोफेशनल प्रथम में मणिका को 02 पदक, 04 प्रमाणपत्र, मौली नंदी को 03 प्रमाणपत्र मिले। एमबीबीएस द्वितीय में गरिमा चौधरी 03 पदक, 06 प्रमाणपत्र लेकर पहले स्थान पर रहीं। वहीं नीना सिक्का को एक पदक, 05 प्रमाणपत्र पाकर दूसरे स्थान पर रहीं।
फाइनल एमबीबीएस प्रोफेशनल द्वितीय में डॉ. विंध्यवासिनी को 03 स्वर्ण पदक, 05 प्रमाणपत्र, धनवंतीर पदक जीता। वहीं डॉ. प्राची को 04 पदक, 01 ट्रॉफी, त्रिलोक जैन पदक, एस के गोयल पदक, सौभाग्यवती देवी त्यागी पदक, डॉ. केपी निगम मेमोरियल पदक, बेस्ट छात्रा का अवार्ड भी मिला।
पिता ने पुत्र को दिया पदक
समारोह में मेडिकल एजूकेशन उप्र के महानिदेशक व मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. केके गुप्ता के बेटे कोसतुब गुप्ता को विशेष योग्यता सम्मान मिला। पिता ने बेटे को सम्मानित किया। कोसतुब ने बायोकेमिस्ट्री में 75 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए हैं।
डीजी के समक्ष प्राचार्य ने गिनाईं परेशानी
मेरठ। समारोह में कॉलेज की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ने के साथ प्रधानाचार्य डॉ. विनय अग्रवाल ने यहां की परेशानियों पर भी प्रकाश डाला। विद्यार्थियों, चिकित्सकों और मरीजों को बजट के अभाव के चलते आने वाली परेशानियां को डॉ. केके गुप्ता से दूर कराने का आग्रह किया।
- दवाओं का बजट बढ़ाया जाए
- चिकित्सालय के उपकरणों की मरम्मत व रखरखाव के लिए बजट।
- महाविद्यालय में चिकित्सकों के 162 पद में से 40 खाली हैं, उन पर नियुक्ति हो।
टॉपर्स से वार्ता
‘दूरदराज के गांवों में फैलाऊंगी चिकित्सा का उजाला’
तीन पदक और 05 प्रमाणपत्र लेने वाली मवाना निवासी विंध्यवासिनी का सपना दूरदराज के गांवों में चिकित्सा का उजाला फैलाना है। पांच भाई बहनों में बड़ी विंध्यवासिनी के पिता अवनेंद्र तिवारी मवाना शुगर मिल में कार्यरत हैं।
‘चिकित्सा की दुश्वारियां मिटाऊंगी’
बेस्ट गर्ल के साथ पिछले चार सालों से एमबीबीएस की टॉपर मेरठ की प्राची चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी दुश्वारियों को मिटाना चाहती हैं। प्राची के पिता सिद्धेश मुजफ्फरनगर में प्राचार्य और मां इस्माइल डिग्री कॉलेज पेंटिंग विभाग में प्रवक्ता है। बकौल प्राची माता-पिता ने हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाया। अब पीजी के बाद रेयर डिसीज पर काम करना है।
‘योग्यता नहीं आरक्षण की लड़ाई’
एमबीबीएस में तीन स्वर्ण पदक लेने वाली गरिमा कहती हैं कि मेडिकल एजूकेशन में आरक्षण योग्य छात्रों की राह में रोढ़ा बन गया है। छात्रों को एमबीबीएस में प्रवेश के लिए योग्यता से ज्यादा जंग आरक्षण से लड़नी होती है। पीजी के बाद सुपर स्पेशियलिटी करूंगी।
‘लाइलाज बीमारियों का इलाज खोजूंगी’
तीन स्वर्ण पदक हासिल करने वाली नेहा का सपना दुनिया में लाइलाज रोगों का इलाज खोजना है। बकौल नेहा आज भी सुदूर इलाकों के लोग अच्छी चिकित्सा सुविधा से दूर हैं। हमारा कर्तव्य लोगों की जान बचाना है। पीजी के बाद में असाध्य बीमारियों पर काम करूंगी।
2014 तक प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा में होंगे तमाम बदलाव
मेरठ। आगामी वर्ष में प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता निखरेगी। शासन स्तर पर चिकित्सा शिक्षा के सुधार की कवायद शुरू है। यह जानकारी डॉ. केके गुप्ता ने दी। उन्होंने कहा कि शासन ने प्रदेश के तीन मेडिकल कॉलेजों में सेंसिटिव हार्मोनल बीमारियों की जांच के लिए आधुनिक मशीनों की मंजूरी दी है। उन्होंने बताया कि मेरठ मेडिकल कॉलेज में बजट बढ़ोत्तरी, एमआरआई, ट्रामा सेंटर, डाटा डिजिटलाइजेशन पर भी काम शुरू है। गांवों में जीवन रक्षक दवाओं क ा अभाव खत्म करने का प्रयास किया जा रहा। मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी वार्डों का भी सुदृढ़ीकरण होगा।
‘चिकित्सा जगत में करें क्रांति’
समारोह के मुख्य अतिथि मंडलायुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण ने छात्रों को चिकित्सा जगत में नई क्रांति करने की बात कही। कहा डॉक्टर प्रतिस्पर्धी बनें, मगर ईमानदारी के साथ। हफ्ते में एक दिन नि:शुल्क इलाज की सुविधा हर चिकित्सक को देनी चाहिए, तभी उसकी शपथ पूरी होती है। देश में फैली तमाम बीमारियों को दूर करने के उपाय खोजें।
‘चिकित्सा की तरक्की से वंचित आम आदमी’
समारोह में सीसीएसयू विवि के कुलपति डॉ. वीसी गोयल ने कहा कि चिकित्सा जगत तरक्की कर रहा है। आम आदमी तक आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं नहीं पहुंच रहीं। हर पेशे में नैतिकता का अभाव हो चला है। चिकित्सा क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। चिकित्सकों को असहायों के इलाज में आगे बढ़ना चाहिए।