मेरठ। ऊधम पर हुए जानलेवा हमले के बाद खूनी गैंगवार की आशंका प्रबल हो गई है। खबर है कि हिसाब चुकता करने के लिए कुछ बदमाशों ने हाथ छुड़ा लिए हैं तो कुछ बदमाशों ने दूसरे गैंगों में जगह बना ली है। पाला खिंचने के बाद ऊधम और भदौड़ा गैंग ने भी एक दूसरे गैंगों से हाथ मिला लिए हैं। शासन ने अपराध जगत में बदलते इस समीकरण को गंभीरता से लिया है। शुक्रवार को पुलिस अफसरों को निर्देश दिए गए हैं कि गैंग लीडर और गैंगों से जुड़े नए बदमाशों की कुंडली खंगालकर सफाया किया जाए।
ऊधम पर हुए हमले के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश और खासकर मेरठ जनपद में जरायम की दुनिया में अचानक बड़ी हलचल देखी जा रही है। खूनी गैंगवार का पश्चिम में अपना अलग इतिहास रहा है। अपराध जगत में खासा नाम कमाने वाले महेंद्र फौजी, सतबीर गुर्जर, राजबीर रमाला, जतिन सिरोही, रवींद्र भूरा, सेंसरपाल, सुशील मूंछ, सतेंद्र बरवाला, विनोद बावला, संजीव नाला के जमाने में वर्चस्व को लेकर खूब खून बहा। वर्तमान में सुशील मूंछ को छोड़ दें तो लगभग सभी बड़े बदमाश पुलिस ने मुठभेड़ में ढेर कर दिए। इसके बाद गैंगों की कमान दूसरी पंक्ति के बदमाशों ने संभाल ली। मेरठ देहात में योगेश भदौड़ा का नाम सबसे टॉप पर रहा। कभी योगेश के शिष्य रहे ऊधम को जब ठेके हथियाने का चस्का चढ़ा तो दोनों के बीच तलवारें खिंच गईं। वर्चस्व की इस जंग में दोनों गैंगों ने एक दूसरे के समर्थकों को चुन चुनकर मारा।
योगेश और ऊधम के बीच आग उस समय और भड़की जब ऊधम ने पिछले भदौड़ा गांव में तेरहवीं में योगेश के भाई प्रमोद भदौड़ा को दिनदहाड़े गोलियों से छलनी कर दिया था। अंतिम संस्कार में बुलंदशहर जेल से पेरोल पर आए योगेश ने कसम खा ली थी कि जब तक वह ऊधम को गोलियों से नहीं भून देगा, चैन से नहीं बैठेगा। गुरुवार को गाजियाबाद कचहरी में ऊधम पर चली गोलियों के बाद से मेरठ पुलिस टेंशन में है। भले ही बड़े भाई प्रमोद की हत्या से भदौड़ा ग्रुप कमजोर हुआ हो मगर पैसा-पावर और हथियारों में वो अब भी ऊधम कंपनी से इक्कीस है। योगेश भदौड़ा से जहां जतिन सिरोही के तमाम गुर्गे जुड़े बताए जाते हैं तो उसका नेटवर्क पूर्वांचल और बिहार तक फैला होने की सूचना पुलिस को मिल रही है। पुलिस सूत्रों की मानें तो योगेश भदौड़ा किसी भी हद तक जा सकता है। इसकी परिणति न सिर्फ मेरठ, गाजियाबाद बल्कि पूरे पश्चिमी यूपी में गैंगवार के हालात पैदा कर सकती है।
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कहना इनका
हम सतर्क हैं। मुख्य टास्क गैंगवार को रोकना है। इसके लिए स्पेशल प्लान बनाया गया है। गैंगों से जुड़े नए शूटरों और बदमाशों को प्वाइंट आउट कर गैंगों की कमर तोड़ी जाएगी। के. सत्यानारायणा, एसएसपी।
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जोन के सभी एसएसपी को गैंगवार रोकने के स्पेशल निर्देश दिए गए हैं। इसमें किसी तरह की लापरवाही सामने ना आए। जेएल त्रिपाठी, एडीजीपी, एनसीआर मेरठ
मेरठ। ऊधम पर हुए जानलेवा हमले के बाद खूनी गैंगवार की आशंका प्रबल हो गई है। खबर है कि हिसाब चुकता करने के लिए कुछ बदमाशों ने हाथ छुड़ा लिए हैं तो कुछ बदमाशों ने दूसरे गैंगों में जगह बना ली है। पाला खिंचने के बाद ऊधम और भदौड़ा गैंग ने भी एक दूसरे गैंगों से हाथ मिला लिए हैं। शासन ने अपराध जगत में बदलते इस समीकरण को गंभीरता से लिया है। शुक्रवार को पुलिस अफसरों को निर्देश दिए गए हैं कि गैंग लीडर और गैंगों से जुड़े नए बदमाशों की कुंडली खंगालकर सफाया किया जाए।
ऊधम पर हुए हमले के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश और खासकर मेरठ जनपद में जरायम की दुनिया में अचानक बड़ी हलचल देखी जा रही है। खूनी गैंगवार का पश्चिम में अपना अलग इतिहास रहा है। अपराध जगत में खासा नाम कमाने वाले महेंद्र फौजी, सतबीर गुर्जर, राजबीर रमाला, जतिन सिरोही, रवींद्र भूरा, सेंसरपाल, सुशील मूंछ, सतेंद्र बरवाला, विनोद बावला, संजीव नाला के जमाने में वर्चस्व को लेकर खूब खून बहा। वर्तमान में सुशील मूंछ को छोड़ दें तो लगभग सभी बड़े बदमाश पुलिस ने मुठभेड़ में ढेर कर दिए। इसके बाद गैंगों की कमान दूसरी पंक्ति के बदमाशों ने संभाल ली। मेरठ देहात में योगेश भदौड़ा का नाम सबसे टॉप पर रहा। कभी योगेश के शिष्य रहे ऊधम को जब ठेके हथियाने का चस्का चढ़ा तो दोनों के बीच तलवारें खिंच गईं। वर्चस्व की इस जंग में दोनों गैंगों ने एक दूसरे के समर्थकों को चुन चुनकर मारा।
योगेश और ऊधम के बीच आग उस समय और भड़की जब ऊधम ने पिछले भदौड़ा गांव में तेरहवीं में योगेश के भाई प्रमोद भदौड़ा को दिनदहाड़े गोलियों से छलनी कर दिया था। अंतिम संस्कार में बुलंदशहर जेल से पेरोल पर आए योगेश ने कसम खा ली थी कि जब तक वह ऊधम को गोलियों से नहीं भून देगा, चैन से नहीं बैठेगा। गुरुवार को गाजियाबाद कचहरी में ऊधम पर चली गोलियों के बाद से मेरठ पुलिस टेंशन में है। भले ही बड़े भाई प्रमोद की हत्या से भदौड़ा ग्रुप कमजोर हुआ हो मगर पैसा-पावर और हथियारों में वो अब भी ऊधम कंपनी से इक्कीस है। योगेश भदौड़ा से जहां जतिन सिरोही के तमाम गुर्गे जुड़े बताए जाते हैं तो उसका नेटवर्क पूर्वांचल और बिहार तक फैला होने की सूचना पुलिस को मिल रही है। पुलिस सूत्रों की मानें तो योगेश भदौड़ा किसी भी हद तक जा सकता है। इसकी परिणति न सिर्फ मेरठ, गाजियाबाद बल्कि पूरे पश्चिमी यूपी में गैंगवार के हालात पैदा कर सकती है।
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कहना इनका
हम सतर्क हैं। मुख्य टास्क गैंगवार को रोकना है। इसके लिए स्पेशल प्लान बनाया गया है। गैंगों से जुड़े नए शूटरों और बदमाशों को प्वाइंट आउट कर गैंगों की कमर तोड़ी जाएगी। के. सत्यानारायणा, एसएसपी।
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जोन के सभी एसएसपी को गैंगवार रोकने के स्पेशल निर्देश दिए गए हैं। इसमें किसी तरह की लापरवाही सामने ना आए। जेएल त्रिपाठी, एडीजीपी, एनसीआर मेरठ