शासन की तरफ से सोमवार को सभी निकायों के अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की घोषणा कर दी गई। जनपद की इकलौती नगरपालिका के अध्यक्ष का पद इस बार अनारक्षित घोषित किया गया है। इसके अलावा दस नगर पंचायतों में से आठ नगर पंचायत अध्यक्ष पद भी अनारक्षित घोषित किए गए हैं। केवल मुहम्मदाबाद गोहना नगर पंचायत अध्यक्ष पद महिला और दोहरीघाट नगर पंचायत अध्यक्ष पद को ओबीसी के लिए आरक्षित किया गया है।
आरक्षण नियम लागू होने के बाद नगर पालिका के पिछले 27 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब नगर पालिका का अध्यक्ष पद अनारक्षित घोषित किया गया है। कुर्थीजाफर पुर नगर पंचायत में इस बार पहली बार चुनाव होने वाले हैं। यह सीट भी अनारक्षित घोषित की गई है।
सोमवार को आई आरक्षण सूची ने चुनाव में भाग्य आजमाने की चाहत रखने वाले कई लोगों की मंशा पर पानी फेर दिया। पहली बार जिला मुख्यालय की सीट अनारक्षित घोषित की गई है। पहली पर घोषित की गई कुर्थीजाफर पुर नगर भी अनारक्षित घोषित की गई है। कुछ आठ सीटों को अनारक्षित घोषित होने से समीकरण बदल गया है। एक ही सीट महिला घोषित की गई है।
दो ही परिवारों को नगर पालिका पद पर कब्जा रहा
अध्यक्ष पद का आरक्षण घोषित हो जाने के बाद अब कयासों का दौर समाप्त हो गया। नगर पालिका अध्यक्ष पद 27 वर्षों के इतिहास में पहली बार अनारक्षित घोषित किया गया है। इस दौरान दो ही परिवारों का इस पर कब्जा रहा।
नगर पालिका में 1995 से आरक्षण लागू किया गया। पहली बार पालिकाध्यक्ष का पद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हुआ था। तब मऊ नाथ भंजन सीट से ओबीसी महिला चेयरमैन की सीट पर तत्कालीन कद्दावर नेता कल्पनाथ राय की विश्वासपात्र कांग्रेस नेत्री राना खातून को आसीन होने का मौका मिला था।
उसके बाद साल 2000 में इसी सीट के ओबीसी के लिए आरक्षित होने पर अरशद जमाल चेयरमैन निर्वाचित हुए । इसके बाद 2006 में ओबीसी के लिए आरक्षित सीट पर पालिकाध्यक्ष पद पर मु. तय्यब पालकी निर्वाचित हुए। 2012 में सीट ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हो गई। इस बार शाहीना अरशद जमाल चेयरमैन निर्वाचित हुईं। 2017 में यह सीट ओबीसी के लिए आरक्षित हो गई। मु. तय्यब पालकी दुबारा चेयरमैन निर्वाचित हुए।
नगरपालिका अध्यक्ष पद के अब तक के इतिहास में अध्यक्ष पद दो कार्यकाल यानी दस साल अरशद जमाल के परिवार में रहा। जबकि दो कार्यकाल में बारी-बारी से यानी दस साल स्वयं तय्यब पालकी पालिकाध्यक्ष रहे। साल 1995 से पहले सन् 1990 में मौलवी हबीबुल्लाह पहली बार चुने गए थे। इसके पूर्व तक नगरपालिका के चेयरमैन का चुनाव सभासद करते थे। इसके पूर्व इस पर सरकार अपने खास लोगों को आसीन करती थी।