दुबारी। फतहपुर मंडाव ब्लाक के लौवासाथ-दोथ मार्ग पर बना पुल घाघरा में आई बाढ़ में टूटने के वर्षों बाद भी नहीं बन सका है। आला अधिकारियों से गुहार लगाते थक चुके ग्रामीणों ने चंदे से काम चलाऊं पुल का निर्माण कराया है। ऐसे में लोग जान को जोखिम में डालकर आने जाने को विवश हैं। बावजूद प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेग रहा है।
क्षेत्र के लौवासाथ, नेवादा, तिघरा, अहिरुपुर, गोपालपुर सहित तमाम गांवों के अधिकांश किसानों का खेत दोथ गांव में पड़ता है, जो बलिया जिले में पड़ता है। दोथ गांव जाने के लिए पुल न होने से लोगों को घूमकर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। ग्रामीणों की परेशानी को देखते हुए प्रशासन की ओर से सन 2009-10 मेें मनरेगा के तहत लौवासाथ-दोथ मार्ग पर 3.80 लाख की लागत से पीपे का पुल बनाया गया। लेकिन घाघरा में आई बाढ़ आने के चलते टूट गया। अब दोथ गांव से संपर्क कटने के बाद लोगों को काफी घूमकर आना जाना पड़ता है। शिकायत के बाद भी सुनवाई न होने से परेशान ग्रामीणों ने आपस में चंदा लगाकर 20 हजार नगद और लकड़ी, बांस आदि सामान एकत्र कर स्वयं लकड़ी का पुल तैयार किया है। इस पुल से लोग किसी तरह गांव तक आ जा रहे हैं। लेकिन भारी वजन नहीं ले जा पा रहे हैं। हादसा होने का डर बना रहता है। घाघरा में बाढ़ आने की स्थिति में पुल कभी ध्वस्त हो सकता है। किसानों का कहना है कि पुल न होने से दोथ आने जाने में पूरा दिन का समय बेकार हो जाता है। जबकि पुल के रास्ते से मात्र एक किमी ही दूरी तय करनी पड़ती है। हम लोग अनाज और अन्य सामान नहीं ला पा रहे हैं। वहां रखने की जगह न होने से फसल को औने पौने दाम में बेचना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों को कई बार ज्ञापन सौंपा गया। बावजूद मामले पर विचार नहीं किया जा सका है। उन्होंने लौवासाथ-दोथ मार्ग पर पुल का निर्माण कराया जाने की मांग की। वहीं ग्राम प्रधान पवित्री देवी का कहना था कि बजट के अभाव में पुल नहीं बन सका है।
दुबारी। फतहपुर मंडाव ब्लाक के लौवासाथ-दोथ मार्ग पर बना पुल घाघरा में आई बाढ़ में टूटने के वर्षों बाद भी नहीं बन सका है। आला अधिकारियों से गुहार लगाते थक चुके ग्रामीणों ने चंदे से काम चलाऊं पुल का निर्माण कराया है। ऐसे में लोग जान को जोखिम में डालकर आने जाने को विवश हैं। बावजूद प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेग रहा है।
क्षेत्र के लौवासाथ, नेवादा, तिघरा, अहिरुपुर, गोपालपुर सहित तमाम गांवों के अधिकांश किसानों का खेत दोथ गांव में पड़ता है, जो बलिया जिले में पड़ता है। दोथ गांव जाने के लिए पुल न होने से लोगों को घूमकर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। ग्रामीणों की परेशानी को देखते हुए प्रशासन की ओर से सन 2009-10 मेें मनरेगा के तहत लौवासाथ-दोथ मार्ग पर 3.80 लाख की लागत से पीपे का पुल बनाया गया। लेकिन घाघरा में आई बाढ़ आने के चलते टूट गया। अब दोथ गांव से संपर्क कटने के बाद लोगों को काफी घूमकर आना जाना पड़ता है। शिकायत के बाद भी सुनवाई न होने से परेशान ग्रामीणों ने आपस में चंदा लगाकर 20 हजार नगद और लकड़ी, बांस आदि सामान एकत्र कर स्वयं लकड़ी का पुल तैयार किया है। इस पुल से लोग किसी तरह गांव तक आ जा रहे हैं। लेकिन भारी वजन नहीं ले जा पा रहे हैं। हादसा होने का डर बना रहता है। घाघरा में बाढ़ आने की स्थिति में पुल कभी ध्वस्त हो सकता है। किसानों का कहना है कि पुल न होने से दोथ आने जाने में पूरा दिन का समय बेकार हो जाता है। जबकि पुल के रास्ते से मात्र एक किमी ही दूरी तय करनी पड़ती है। हम लोग अनाज और अन्य सामान नहीं ला पा रहे हैं। वहां रखने की जगह न होने से फसल को औने पौने दाम में बेचना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों को कई बार ज्ञापन सौंपा गया। बावजूद मामले पर विचार नहीं किया जा सका है। उन्होंने लौवासाथ-दोथ मार्ग पर पुल का निर्माण कराया जाने की मांग की। वहीं ग्राम प्रधान पवित्री देवी का कहना था कि बजट के अभाव में पुल नहीं बन सका है।