मऊ। सत्ता परिवर्तन के बाद भी ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होता नजर नहीं आ रहा है। रतनपुरा ब्लाक के जोगापुर में करोड़ों की लागत से बना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मरीजों के लिए शो पीस बनकर रह गया है। यहां सुविधाओं का टोटा है। कागज में चिकित्सकों की तैनाती की गई है, लेकिन अधिकांश चिकित्सकों की अनियमित दिनचर्या से मरीजों का इलाज भगवान भरोसे हो रहा है। दवाओं का अकाल रहता है। एक ही दवा सभी रोगों में दी जाती है। एक दो चिकित्सकों के भरोसे अस्पताल का संचालन हो रहा है। शिकायत के बाद भी सुविधाओं को बहाल नहीं किया जा सका है।
रतनपुरा ब्लाक की आबादी लगभग दो लाख है। 30 शैय्या वाले अस्पताल में दुर्व्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। मरीजों के अनुसार विशेषज्ञ चिकित्सकों आए दिन नदारद रहने से अस्पताल में मरीजों का सही ढंग से इलाज नहीं हो पा रहा है। अस्पताल में जगह-जगह गंदगी रहने से मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। अस्पताल में लगभग 30 से ज्यादा पंखे लगे हैं, लेकिन 17 से ज्यादा खराब पड़े हैं। इससे मरीजों को तमाम समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। भर्ती होने वाले मरीजों व तीमारदारों को गर्मी व उमस के चलते एक-एक पल बिताना भारी पड़ रहा है। बेडों पर मक्खियां भिनभिनाती रहती हैं। पेयजल व्यवस्था की भी दयनीय स्थिति है। अस्पताल परिसर में लगे इंडिया मार्काटू हैंडपंप खराब पड़े हैं। ओवरहेड टैंक भी बेकार साबित हो रहा है। मरीजों व स्वास्थ्यकर्मियों को पानी बाहर से लाना पड़ रहा है। सूत्रों की मानें तो अस्पताल मेें छह चिकित्सकों की तैनाती है। वार्ड ब्वाय का एक पद रिक्त है। अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है। दवाओं का अकाल रहता है। एक ही दवा सभी रोगों में दी जाती है। सब जानते हुए भी आला अधिकारी मौन हैं। उधर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक महेश गुप्ता का कहना है कि बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास जारी है।
मऊ। सत्ता परिवर्तन के बाद भी ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होता नजर नहीं आ रहा है। रतनपुरा ब्लाक के जोगापुर में करोड़ों की लागत से बना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मरीजों के लिए शो पीस बनकर रह गया है। यहां सुविधाओं का टोटा है। कागज में चिकित्सकों की तैनाती की गई है, लेकिन अधिकांश चिकित्सकों की अनियमित दिनचर्या से मरीजों का इलाज भगवान भरोसे हो रहा है। दवाओं का अकाल रहता है। एक ही दवा सभी रोगों में दी जाती है। एक दो चिकित्सकों के भरोसे अस्पताल का संचालन हो रहा है। शिकायत के बाद भी सुविधाओं को बहाल नहीं किया जा सका है।
रतनपुरा ब्लाक की आबादी लगभग दो लाख है। 30 शैय्या वाले अस्पताल में दुर्व्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। मरीजों के अनुसार विशेषज्ञ चिकित्सकों आए दिन नदारद रहने से अस्पताल में मरीजों का सही ढंग से इलाज नहीं हो पा रहा है। अस्पताल में जगह-जगह गंदगी रहने से मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। अस्पताल में लगभग 30 से ज्यादा पंखे लगे हैं, लेकिन 17 से ज्यादा खराब पड़े हैं। इससे मरीजों को तमाम समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। भर्ती होने वाले मरीजों व तीमारदारों को गर्मी व उमस के चलते एक-एक पल बिताना भारी पड़ रहा है। बेडों पर मक्खियां भिनभिनाती रहती हैं। पेयजल व्यवस्था की भी दयनीय स्थिति है। अस्पताल परिसर में लगे इंडिया मार्काटू हैंडपंप खराब पड़े हैं। ओवरहेड टैंक भी बेकार साबित हो रहा है। मरीजों व स्वास्थ्यकर्मियों को पानी बाहर से लाना पड़ रहा है। सूत्रों की मानें तो अस्पताल मेें छह चिकित्सकों की तैनाती है। वार्ड ब्वाय का एक पद रिक्त है। अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है। दवाओं का अकाल रहता है। एक ही दवा सभी रोगों में दी जाती है। सब जानते हुए भी आला अधिकारी मौन हैं। उधर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक महेश गुप्ता का कहना है कि बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास जारी है।