मऊ। जिला अस्पताल में स्वीपर द्वारा एक मरीज की कटी हुई अंगुली पर टांका लगाने का सनसनी खेज मामला प्रकाश में आया है। ताजुब की बात यह है कि मरीज का उपचार हो गया, लेकिन उसका नाम और पता भी रजिस्टर में लिखना उचित नहीं समझा गया। अपनी डाक्टरी के किस्से सुनाते हुए स्वीपर ने मरीज की अंगुली पर टांके लगाए और फिर घर भेज दिया। उच्चाधिकारियों के संज्ञान में मामला आते ही जहां एक ओर अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे वहीं ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर ने ऐसे किसी भी मामले से अनभिज्ञता जताई।
सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था को जो ग्रहण पिछली सरकार में लगा वह नई सरकार के आने के दो माह बाद भी वैसे ही है। इसका जीता जागता नमूना है, जिला अस्पताल में डाक्टर का काम एक स्वीपर द्वारा किया जाना। जनपद निवासी सतीश यादव के पिता की हाथ की अंगुली दरवाजे में फंस जाने के कारण बीच से कट गई थी। परिजन आननफानन में उन्हें लेकर जब जिला अस्पताल पहुंचे तो आपातकालीन चिकित्सा कक्ष में डाक्टर और अन्य स्टाफ की बजाय मो. हसन नाम का स्वीपर उन्हें मिला। पूछा कि क्या बात है मुझे दिखाओ। खून से सनी हुई अंगुली जब परिजनों ने उसे दिखाई तो कहा कि दो मिनट में ठीक किए देता हूं। इसके बाद उसने कक्ष में ही घाव को धोया और पोछा फिर उस पर टांके लगाए। समूचे उपचार के दौरान वह अपनी चिकत्सकीय बहादुरी के किस्से सुनाता रहा। बताया कि इससे बड़े-बड़े मामले चुटकियों में निपटा दिया हूं। टांके लगाने के बाद उसने घायल और परिजनों को बिना नाम-पता दर्ज किए ही छोड़ दिया। मामले की जानकारी इस बीच जिलाधिकारी को हो गई। उन्होंने इस पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सीएमएस से पूरी रिपोर्ट मांगी।
इस बाबत पूछने पर सीएमएस डा. अभिमन्यु सिंह ने बताया कि, जिलाधिकारी के संज्ञान में मामला है। उनके निर्देश पर मैं स्वयं जांच करने गया था। उस समय ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर एके रंजन और फार्मासिस्ट महेंद्र कुमार यादव का बयान लिया हूं। डाक्टर ने मामले से अनभिज्ञता जताई है। स्वीपर का बयान लेना बाकी है। मामला बेहद गंभीर है। डाक्टर का काम कोई अन्य नहीं कर सकता है। रिपोर्ट शासन को भेजूंगा। जो भी दोषी होगा वह बचने नहीं पाएगा। यदि ऐसा वास्तव में हुआ है तो यह निंदनीय है। भविष्य में उसकी पुनरावृत्ति न हो इसका पूरा प्रयास किया जाएगा।