मऊ। बिजली कटौती और हैंडपंपों के खराब होने से जिला कारागार में हालात काफी खराब हो चले हैं। रोटी और पानी के लिए बंदियों में हाहाकार मचा है। कारागार को बमुश्किल छह घंटे ही बिजली मिल पा रही है। इसके चलते आटा चक्की नहीं चल रही है। जिससे रोटी की जगह चावल देकर काम चलाया जा रहा है। छह हैंडपंपों पर 471 बंदियों की पेयजल की व्यवस्था संचालित हो रही है। छह हैंडपंप खराब पड़े हैं। अव्यवस्था से बंदियोें के तेवर देखकर जेल के अधिकारी और बंदीरक्षक सहमें हुए हैं। यदि यही स्थिति बनी रही तो हालात कभी भी बिगड़ सकतेे हैं। कारागार प्रशासन द्वारा प्रमुख सचिव को हालात से अवगत करा दिया गया है।
जेल की सुरक्षा व्यवस्था के लिए शासन वैसे तो काफी गंभीर हैं, लेकिन स्थितियों को लेकर उसे फिक्र नहीं है। आए दिन कारागार में उत्पन्न समस्याओं के निस्तारण नहीं होने से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। सुरक्षा और सुविधा की दृष्टि से कारागार में बिजली की अहम भूमिका रहती है। लेकिन इन दिनों जिला जेल में सुबह 9 बजे से अपराह्न 2 बजे तक कई बार बिजली की कटौती होती है। फिर 3 बजकर 48 मिनट पर बिजली आती है इसके बाद 4 बजे गुल हो जाती है। फिर शाम को 7 बजे आती है, लेकिन कटने का क्रम जारी रहता है। फिर रात में 11 से 5 बजे तक रहती है। फिर कट जाती है। ऐसे में दिन से रात तक सभी कार्य प्रभावित हो रहे हैं। बिजली कटौती केे चलते आटा चक्की नहीं चल पा रही है। ऐसे में बंदियों को रोटी के लिए भी तरसना पड़ रहा है। चावल देकर रोटी की भरपाई की जा रही है। यहां तक कि ओवरहेड टैंक तक नहीं भर पा रहा है।
कहने को तो 12 हैंडपंप लगे हैं, लेकिन छह ही चल रहे हैं। इन्हीं छह हैंडपंपों पर 471 बंदियों की पेयजल की व्यवस्था चल रही है। ऐसे में सुबह से ही जेल अधिकारी और बंदीरक्षकों को बंदियों के तेवर का सामना करना पड़ रहा है।
इस बाबत जेलर रामजी प्रसाद का कहना है कि अब क्या किया जाए। व्यवस्था को लेकर बंदियों की बातें तो सुननी ही पड़ रही है। लेकिन सुरक्षा व्यवस्था का भी ध्यान देना है। बिजली ने हालात काफी खराब कर दिए हैं। कई बार विभाग को पत्र लिखकर अवगत कराया गया, लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो सका है। इसका खामियाजा उन्हेें भुगतना पड़ रहा है। बंदियों को समझा बुझाकर रखा जा रहा है।