दोहरीघाट। स्थानीय कस्बा के गौरीशंकर घाट पर बने मुक्तिधाम, भारत माता मंदिर सहित ऐतिहासिक धरोहरों को घाघरा के तांडव से बचाने के मामले पर शासन प्रशासन ने गंभीरता दिखाई है। ऐतिहासिक धरोहरों को नदी के कटान से बचाने के लिए शासन प्रशासन की ओर से 19.50 लाख रुपये स्वीकृत किया गया है। लेकिन कस्बे के लोग इसको अपर्याप्त मानते हैं।
काशी क्षेत्र का प्रसिद्ध पर्यटन क्षेत्र पवित्र सरस सलिल मां सरयू के किनारे ऐतिहासिक नगर दोहरीघाट बसा है। प्रति वर्ष घाघरा की कटान से मुक्तिधाम का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। दिन प्रतिदिन मुक्तिधाम पर पर्यटकों का रेला लगा रहता है। काटी गई झाड़ियां, मनमोहक पार्क, बत्तकों का तालाब में कलरव, महाकाल शिव की विशाल मूर्ति आदि पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। घाघरा की कटान से नगर की अनेक ऐतिहासिक धरोहरें नदी में समा चुकी हैं। बची खुची दुर्गा मंदिर, शाही मस्जिद, लोक निर्माण विभाग का डाक बंगला का अस्तित्व खतरे में है। नगर सहित ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने के लिए नगरवासियों की मांग वर्षों से उठती रही है। शासन प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए धरोहरों को बचाने के लिए 19.50 लाख रुपये स्वीकृत किया है। अधिकारियों की मानें तो भारत माता मंदिर की सुरक्षा के लिए बोल्डर आदि सुरक्षित कर लिए गए हैं। बरसात पूर्व योजना को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। उपजिलाधिकारी घोसी ईश्वरचंद बरनवाल ने बताया कि नगर को कटान से बचाने के लिए 19.50 लाख रुपये स्वीकृत हो चुका है। नगर व मुक्तिधाम सहित ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा हर हाल में की जाएगी।