मऊ। शारदा सहायक खंड 32 नहर दोहरीघाट पंप कैनाल पर निर्भर होकर रह गई है। दोहरीघाट पंप कैनाल नहर में जब पानी आता है तो कभी कभार पानी आ जाता है, लेकिन अब दोहरीघाट पंप कैनाल नहर के बंद होने की स्थिति में महकमे की ओर से कोई वैकल्पिक व्यवस्था तक नहीं की जा सकी है। नहर में पानी न आने से सिंचाई के अभाव में जायद की फसल सूख रही है। जबकि किसानों से प्रति वर्ष करोड़ों रुपये सिंचाई कर वसूला जाता है। आला अधिकारी तीन दिनों में पानी छोड़ने का दावा कर रहे हैं।
शारदा सहायक खंड 32 की हालत बदतर होती जा रही है। नहर की सिंचित क्षमता मऊ-बलिया मिलाकर 52 हजार हेक्टेयर है। मुख्य नहर सहित 34 माइनरों में पानी न आने से धूल उड़ रही है। ऐसे में हजारों हेक्टेयर भूमि पर खेती भगवान भरोसे हो रही है। नहर के मड़ई बहेलिया, कवलापुर, सेनुराइच, कनियारीपुर, रइसा, फिरोजपुर, चेरुइया, कटवांस, कसारा, देईथान, करमपुर सहित दर्जनों माइनरें किसानों के लिए वरदान साबित होती थीं, लेकिन वर्षों से सिंचाई विभाग के उदासीन कार्यप्रणाली से नहर में समयानुसार जलापूर्ति न होने से किसानों को खून के आंसू बहाना पड़ रहा है। इस समय दोहरीघाट पंप कैनाल बंद चल रही है। दोहरीघाट पंप कैनाल चलने पर नहर में कभी कभार पानी आ जाता है। किसानों का दर्द है कि नहर से सिंचाई न करने पर भी सिंचाई कर अदा करना पड़ता है। नहर में पानी न आने के चलते जायद की फसल सूख रही है। आला अधिकारी दो से तीन दिन में पानी छोड़ने का आश्वासन देकर मामला से पल्ला झाड़ ले रहे हैं। उधर, शारदा सहायक खंड 32 के सहायक अभियंता विनय कुमार का कहना था कि दो से तीन दिनों में पानी आ जाएगा।