मऊ। धान की अच्छी पैदावार पानी है तो किसानों को नर्सरी डालने में सावधानी बरतनी पड़ेगी। साथ ही अच्छे उन्नतशील और प्रमाणित बीजों का ही चयन करना होगा। खरीफ की फसल के लिए नामसमझी और असावधानी किसानों के जेब को ढीला कर सकते हैं और उसका फायदा भी उन्हें नहीं मिल पाएगा। यह समय सिर्फ संडा विधि से धान की रोपाई करने वालों के लिए ही उपयुक्त या फिर जिनके पास पानी के संसाधन पर्याप्त है वह भी नर्सरी डाल सकते हैं।
जिले में खरीफ की प्रमुख फसल धान की एक बड़े भू भाग पर खेती होती है। वर्ष 2012-13 के लिए 93 हजार हेक्टेयर में 14 हजार 870 कुंतल धान का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। खरीफ की मुख्य फसल धान को लेकर जगह-जगह तैयारी चल रही है। किसान प्रचंड गर्मी और अधिक तापमान के बावजूद नर्सरी डालने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। लेकिन थोड़ी सी भी असावधानी धान की पूरी फसल को प्रभावित कर सकती है। कुछ स्थानों पर तो किसान संडा विधि से रोपाई भी कर चुके हैं। अर्री फसल पाने के लिए किसान इस कदर उतावले हैं कि संडा विधि से तो कहीं-कहीं वह रोपाई भी कर चुके हैं। जबकि अधिकांश स्थानों पर हर प्रकार के बीजों की नर्सरी डाली जा रही है। जबकि अलग-अलग धानों के लिए नर्सरी डालने का अलग अलग समय उपयुक्त है। इस संबंध में उप निदेशक कृषि एके सिंह का कहना है कि यह समय संडा विधि से रोपाई करने के लिए उपयुक्त है। संडा विधि से रोपी जाने वाली धान की फसल के लिए मई के आखिरी सप्ताह का समय उपयुक्त है। इसके लिए उपयुक्त बीच नाटी मंसूरी, मंसूरी एमयू 1001, स्वर्णा सबुवन की नर्सरी पैदावार के लिए अच्छी है। जबकि सामान्य धान की रोपाई के लिए सरयू 52 व हाइब्रिड की कई प्रजातियां उपयुक्त हैं।
मऊ। धान की अच्छी पैदावार पानी है तो किसानों को नर्सरी डालने में सावधानी बरतनी पड़ेगी। साथ ही अच्छे उन्नतशील और प्रमाणित बीजों का ही चयन करना होगा। खरीफ की फसल के लिए नामसमझी और असावधानी किसानों के जेब को ढीला कर सकते हैं और उसका फायदा भी उन्हें नहीं मिल पाएगा। यह समय सिर्फ संडा विधि से धान की रोपाई करने वालों के लिए ही उपयुक्त या फिर जिनके पास पानी के संसाधन पर्याप्त है वह भी नर्सरी डाल सकते हैं।
जिले में खरीफ की प्रमुख फसल धान की एक बड़े भू भाग पर खेती होती है। वर्ष 2012-13 के लिए 93 हजार हेक्टेयर में 14 हजार 870 कुंतल धान का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। खरीफ की मुख्य फसल धान को लेकर जगह-जगह तैयारी चल रही है। किसान प्रचंड गर्मी और अधिक तापमान के बावजूद नर्सरी डालने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। लेकिन थोड़ी सी भी असावधानी धान की पूरी फसल को प्रभावित कर सकती है। कुछ स्थानों पर तो किसान संडा विधि से रोपाई भी कर चुके हैं। अर्री फसल पाने के लिए किसान इस कदर उतावले हैं कि संडा विधि से तो कहीं-कहीं वह रोपाई भी कर चुके हैं। जबकि अधिकांश स्थानों पर हर प्रकार के बीजों की नर्सरी डाली जा रही है। जबकि अलग-अलग धानों के लिए नर्सरी डालने का अलग अलग समय उपयुक्त है। इस संबंध में उप निदेशक कृषि एके सिंह का कहना है कि यह समय संडा विधि से रोपाई करने के लिए उपयुक्त है। संडा विधि से रोपी जाने वाली धान की फसल के लिए मई के आखिरी सप्ताह का समय उपयुक्त है। इसके लिए उपयुक्त बीच नाटी मंसूरी, मंसूरी एमयू 1001, स्वर्णा सबुवन की नर्सरी पैदावार के लिए अच्छी है। जबकि सामान्य धान की रोपाई के लिए सरयू 52 व हाइब्रिड की कई प्रजातियां उपयुक्त हैं।