मऊ। इसे किसानों की अज्ञानता कहें या जागरूकता की कमी, लेकिन कंबाइन मशीनों से गेहूं की कटाई के बाद खेतों में डंठलों को जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है। किसान गेहूं की फसल लेने के बाद खेत में उसके डंठलों को हटाने के लिए आग लगा दे रहे हैं। इससे भूमि के ऊपरी सतह पर मौजूद हानिकारक और लाभदायक दोनों जीवाश्म जल जा रहे हैं। इससे खेती पर संकट मंडरा रहा। समय रहते किसान नहीं चेते तो भविष्य में उत्पादन से लेकर भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट होने की ज्यादा संभावना है।
जिले में कम से कम धान और गेहूं की खेती 90 हजार हेक्टेयर से भी अधिक भू भाग में होती है। गेहूं की फसल के बाद हर किसान जल्द से जल्द अपने घरों में अनाज ले जाने के लिए कंबाइन मशीनों का सहारा लेकर कटाई और मड़ाई करा रहे हैं। बड़े किसान कंबाइन मशीनों का ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं। मध्यम और छोटे किसान आज भी भूसे के चलते छोटी मशीन से काम चलाते हैं। इसके चलते उनके खेत लगभग सुरक्षित हैं। हालांकि कहीं-कहीं खेतों के खरपतवार साफ करने के लिए वह भी आग लगा देते हैं लेकिन ज्यादातर बड़े किसान इस प्रकार की नासमझी भरा कदम उठाते हैं।
मऊ। इसे किसानों की अज्ञानता कहें या जागरूकता की कमी, लेकिन कंबाइन मशीनों से गेहूं की कटाई के बाद खेतों में डंठलों को जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है। किसान गेहूं की फसल लेने के बाद खेत में उसके डंठलों को हटाने के लिए आग लगा दे रहे हैं। इससे भूमि के ऊपरी सतह पर मौजूद हानिकारक और लाभदायक दोनों जीवाश्म जल जा रहे हैं। इससे खेती पर संकट मंडरा रहा। समय रहते किसान नहीं चेते तो भविष्य में उत्पादन से लेकर भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट होने की ज्यादा संभावना है।
जिले में कम से कम धान और गेहूं की खेती 90 हजार हेक्टेयर से भी अधिक भू भाग में होती है। गेहूं की फसल के बाद हर किसान जल्द से जल्द अपने घरों में अनाज ले जाने के लिए कंबाइन मशीनों का सहारा लेकर कटाई और मड़ाई करा रहे हैं। बड़े किसान कंबाइन मशीनों का ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं। मध्यम और छोटे किसान आज भी भूसे के चलते छोटी मशीन से काम चलाते हैं। इसके चलते उनके खेत लगभग सुरक्षित हैं। हालांकि कहीं-कहीं खेतों के खरपतवार साफ करने के लिए वह भी आग लगा देते हैं लेकिन ज्यादातर बड़े किसान इस प्रकार की नासमझी भरा कदम उठाते हैं।