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मथुरा। उत्तर प्रदेश में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा ओपन मार्केट सेल (ओएमएस) में बिक्री मूल्य बढ़ाए जाने के बाद प्रदेश भर के आटा मिल संचालक लामबंद हो गए हैं। सोमवार को लखनऊ में आयोजित टेंडर प्रक्रि या में आटा मिल संचालकों ने भाग नहीं लिया। साथ ही पड़ोसी राज्यों से गेहूं खरीदने की योजना बनाई जा रही है।
उत्तर प्रदेश में एफसीआई ने अपने बिक्री मूल्य में 169 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है। अब प्रदेश में निगम के गेहूं की न्यूनतम कीमत 1403 रुपये से बढ़कर 1572 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। इस नई कीमत पर व्यापारी निगम से माल लेने को तैयार नहीं है।
सोमवार को लखनऊ में निगम ने टेंडर प्रक्रिया की लेकिन किसी भी व्यापारी ने टेंडर नहीं डाला। लिहाजा निगम के ऊंची कीमत पर गेहूं की बिक्री के मंसूबे पर पानी फिर गया। टेंडर प्रक्रिया में किसी व्यापारी के भाग न लेने की पुष्टि भारतीय खाद्य निगम के सहायक महाप्रबंधक ने भी की है।
ये कहते हैं बाजार के जानकार
मथुरा। बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि व्यापारियों ने एक जुटता के चलते एक बार भले ही एफसीआई के टेंडर में भाग न लेकर निगम को झटका दे दिया हो लेकिन लंबे समय तक इस एकजुटता को बनाए रखना मुश्किल होगा। इसकी वजह प्रदेश की मंडियों में लगातार गेहूं की आवक का कम होना और सरकारी गेहूं पर निर्भरता का बढ़ना होगा।
भारतीय खाद्य निगम ने एक साथ 172 रुपये की भारी भरकम वृद्धि कर दी है। इसी के चलते प्रदेश भर के व्यापारियों ने इस टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। व्यापारी पड़ोसी राज्यों से गेहूं की खरीद की योजना बना रहे हैं।
- संदीप बंसल
आटा मिल संचालक, मथुरा।
एफसीआई की नयी कीमत के मुकाबले पड़ोसी राज्यों में कम कीमत होने तथा हरियाणा, राजस्थान की सीमा से लगे जनपद मथुरा के व्यापारी बाजार की प्रतिस्पर्धा से ही बाहर हो जाएंगे। इसका सर्वाधिक खामियाजा मथुरा के व्यापारियों को भुगतना होगा।
- प्रतुल अग्रवाल ‘अलंकार’, आटा मिल संचालक, मथुरा
मथुरा। उत्तर प्रदेश में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा ओपन मार्केट सेल (ओएमएस) में बिक्री मूल्य बढ़ाए जाने के बाद प्रदेश भर के आटा मिल संचालक लामबंद हो गए हैं। सोमवार को लखनऊ में आयोजित टेंडर प्रक्रि या में आटा मिल संचालकों ने भाग नहीं लिया। साथ ही पड़ोसी राज्यों से गेहूं खरीदने की योजना बनाई जा रही है।
उत्तर प्रदेश में एफसीआई ने अपने बिक्री मूल्य में 169 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है। अब प्रदेश में निगम के गेहूं की न्यूनतम कीमत 1403 रुपये से बढ़कर 1572 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। इस नई कीमत पर व्यापारी निगम से माल लेने को तैयार नहीं है।
सोमवार को लखनऊ में निगम ने टेंडर प्रक्रिया की लेकिन किसी भी व्यापारी ने टेंडर नहीं डाला। लिहाजा निगम के ऊंची कीमत पर गेहूं की बिक्री के मंसूबे पर पानी फिर गया। टेंडर प्रक्रिया में किसी व्यापारी के भाग न लेने की पुष्टि भारतीय खाद्य निगम के सहायक महाप्रबंधक ने भी की है।
ये कहते हैं बाजार के जानकार
मथुरा। बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि व्यापारियों ने एक जुटता के चलते एक बार भले ही एफसीआई के टेंडर में भाग न लेकर निगम को झटका दे दिया हो लेकिन लंबे समय तक इस एकजुटता को बनाए रखना मुश्किल होगा। इसकी वजह प्रदेश की मंडियों में लगातार गेहूं की आवक का कम होना और सरकारी गेहूं पर निर्भरता का बढ़ना होगा।
भारतीय खाद्य निगम ने एक साथ 172 रुपये की भारी भरकम वृद्धि कर दी है। इसी के चलते प्रदेश भर के व्यापारियों ने इस टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। व्यापारी पड़ोसी राज्यों से गेहूं की खरीद की योजना बना रहे हैं।
- संदीप बंसल
आटा मिल संचालक, मथुरा।
एफसीआई की नयी कीमत के मुकाबले पड़ोसी राज्यों में कम कीमत होने तथा हरियाणा, राजस्थान की सीमा से लगे जनपद मथुरा के व्यापारी बाजार की प्रतिस्पर्धा से ही बाहर हो जाएंगे। इसका सर्वाधिक खामियाजा मथुरा के व्यापारियों को भुगतना होगा।
- प्रतुल अग्रवाल ‘अलंकार’, आटा मिल संचालक, मथुरा