मथुरा। श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन पितृ अमावस्या पर इस बार अवकाश घोषित नहीं किया गया है। शिक्षक संगठनों के प्रत्यावेदन पर बीएसए की संस्तुति के बावजूद प्रशासन कोई जवाब नहीं आया। 40 सालों के इतिहास में इस बार पितृ अमावस्या पर विद्यालय खुले रहेंगे।
श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन पितृ अमावस्या पर जनपद में पिछले 40 सालों से अवकाश रहता आया है। इस बार शासकीय स्कूलों में अवकाश की घोषणा नहीं की गई है। मामले में शिक्षक संघों ने तीन दिन पूर्व बीएसए को पत्र सौंपकर पितृ अमावस्या पर अवकाश की मांग की थी। इनकी मांग को स्वीकार करते हुए बीएसए ने अवकाश की संस्तुति करते हुए फाइल डीएम के पास भेज दी थी। लेकिन तीन दिन तक डीएम दफ्तर में धूल फांकने के बावजूद इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।
बताते चलें कि पितृ अमावस्या पर यमुना स्नान को आने वालों का तांता लगा रहता है। इस वजह से रास्तों में बेहद भीड़ रहती है तो घरों में लोग अपने पितरों को विदा करने की रस्म पूरी करते हैं। लेकिन इस बार अवकाश न होने से स्कूलों में कार्यरत कर्मचारियों व अन्य कर्मियों को परेशानी झेलनी पड़ेगी। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रामकृष्ण रावत ने इसे अन्याय करार दिया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने पिछले 40 वर्षों से चली आ रही परंपरा का उल्लंघन किया है। मामले में डीएम के शहर से बाहर होने और मोबाइल स्विच ऑफ होने के कारण प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी। प्रभारी डीएम एवं सीडीओ एनके पालीवाल ने डीएम की ओर से अवकाश का आदेश मिलने से इनकार किया है।
मथुरा। श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन पितृ अमावस्या पर इस बार अवकाश घोषित नहीं किया गया है। शिक्षक संगठनों के प्रत्यावेदन पर बीएसए की संस्तुति के बावजूद प्रशासन कोई जवाब नहीं आया। 40 सालों के इतिहास में इस बार पितृ अमावस्या पर विद्यालय खुले रहेंगे।
श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन पितृ अमावस्या पर जनपद में पिछले 40 सालों से अवकाश रहता आया है। इस बार शासकीय स्कूलों में अवकाश की घोषणा नहीं की गई है। मामले में शिक्षक संघों ने तीन दिन पूर्व बीएसए को पत्र सौंपकर पितृ अमावस्या पर अवकाश की मांग की थी। इनकी मांग को स्वीकार करते हुए बीएसए ने अवकाश की संस्तुति करते हुए फाइल डीएम के पास भेज दी थी। लेकिन तीन दिन तक डीएम दफ्तर में धूल फांकने के बावजूद इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।
बताते चलें कि पितृ अमावस्या पर यमुना स्नान को आने वालों का तांता लगा रहता है। इस वजह से रास्तों में बेहद भीड़ रहती है तो घरों में लोग अपने पितरों को विदा करने की रस्म पूरी करते हैं। लेकिन इस बार अवकाश न होने से स्कूलों में कार्यरत कर्मचारियों व अन्य कर्मियों को परेशानी झेलनी पड़ेगी। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रामकृष्ण रावत ने इसे अन्याय करार दिया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने पिछले 40 वर्षों से चली आ रही परंपरा का उल्लंघन किया है। मामले में डीएम के शहर से बाहर होने और मोबाइल स्विच ऑफ होने के कारण प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी। प्रभारी डीएम एवं सीडीओ एनके पालीवाल ने डीएम की ओर से अवकाश का आदेश मिलने से इनकार किया है।