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मैनपुरी। मंगलवार को स्पेशल जज (डकैती) सुनील कुमार ने बालिका (9) की दुष्कर्म के बाद हत्या करने के आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। ढाई साल पहले थाना बिछवां क्षेत्र में यह घटना हुई थी और आरोपी ने बालिका के शव को काली नदी में फेंक दिया था। सजा सुनाए जाने के बाद आरोपी को पुलिस अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
थाना बिछवां क्षेत्र के गांव भनऊ में यह घटना 11 जनवरी 2011 को हुई थी। दरिंदगी का शिकार हुई नौ वर्षीय बालिका गांव में खेल रही थी। तभी गांव का सतीश दुबे उसे बहला - फुसलाकर अपने साथ ले गया। आरोपी ने बालिका के साथ दुष्कर्म किया और उसके बाद उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। सबूत मिटाने के लिए बालिका के शव को काली नदी में फेंक दिया। बाद में परिवारीजनों ने सतीश को दबोच कर पुलिस को सौंप दिया था।
बालिका के पिता की तहरीर पर पुलिस ने घटना की रिपोर्ट दर्ज की थी। मुकदमे का विचारण स्पेशल जज डकैती सुनील कुमार के न्यायालय में किया गया। इस दौरान सतीश ने जमानत के लिए आवेदन किया लेकिन कोर्ट ने उसका जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया था तथा तभी से आरोपी जेल में बंद था।
मुकदमे में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से वादी, विवेचक, चिकित्सक और गवाहों ने अभियोजन के समर्थन में गवाही दी।
मंगलवार को सहायक शासकीय अधिवक्ता रोहित शुक्ला और सुरेश चंद्र यादव ने न्यायालय से अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की। न्यायाधीश सुनील कुमार ने सतीश दुबे को दुष्कर्म के आरोप में आजीवन कारावास और 15 हजार रुपये जुर्माने, हत्या करने के आरोप में फांसी और सबूत मिटाने के आरोप में सात साल की सजा व पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। न्यायालय ने इस मामले में त्वरित सुनवाई की और ढाई साल में ही मुकदमे में फैसला सुना दिया।
मैनपुरी। मंगलवार को स्पेशल जज (डकैती) सुनील कुमार ने बालिका (9) की दुष्कर्म के बाद हत्या करने के आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। ढाई साल पहले थाना बिछवां क्षेत्र में यह घटना हुई थी और आरोपी ने बालिका के शव को काली नदी में फेंक दिया था। सजा सुनाए जाने के बाद आरोपी को पुलिस अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
थाना बिछवां क्षेत्र के गांव भनऊ में यह घटना 11 जनवरी 2011 को हुई थी। दरिंदगी का शिकार हुई नौ वर्षीय बालिका गांव में खेल रही थी। तभी गांव का सतीश दुबे उसे बहला - फुसलाकर अपने साथ ले गया। आरोपी ने बालिका के साथ दुष्कर्म किया और उसके बाद उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। सबूत मिटाने के लिए बालिका के शव को काली नदी में फेंक दिया। बाद में परिवारीजनों ने सतीश को दबोच कर पुलिस को सौंप दिया था।
बालिका के पिता की तहरीर पर पुलिस ने घटना की रिपोर्ट दर्ज की थी। मुकदमे का विचारण स्पेशल जज डकैती सुनील कुमार के न्यायालय में किया गया। इस दौरान सतीश ने जमानत के लिए आवेदन किया लेकिन कोर्ट ने उसका जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया था तथा तभी से आरोपी जेल में बंद था।
मुकदमे में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से वादी, विवेचक, चिकित्सक और गवाहों ने अभियोजन के समर्थन में गवाही दी।
मंगलवार को सहायक शासकीय अधिवक्ता रोहित शुक्ला और सुरेश चंद्र यादव ने न्यायालय से अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की। न्यायाधीश सुनील कुमार ने सतीश दुबे को दुष्कर्म के आरोप में आजीवन कारावास और 15 हजार रुपये जुर्माने, हत्या करने के आरोप में फांसी और सबूत मिटाने के आरोप में सात साल की सजा व पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। न्यायालय ने इस मामले में त्वरित सुनवाई की और ढाई साल में ही मुकदमे में फैसला सुना दिया।