मैनपुरी। शिक्षा सत्र को शुरू हुए एक सप्ताह बीत गया है लेकिन अधिकांश विद्यालयों में अब तक पढ़ाई का माहौल नहीं बन सका है। इंटर कालेजों का हाल तो यह है कि यहां अभी ब्लैक बोर्ड पर चॉक तक नहीं चली है। अधिकांश डिग्री कालेजों में तो अभी प्रवेश प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो सकी है। उधर परिषदीय विद्यालयों में भी पदोन्नति और समायोजन नहीं होने के चलते शिक्षण कार्य गति नहीं पकड़ सका है।
परिषदीय स्कूलों में अब तक पढ़ाई का माहौल नहीं बन सका है। जिले के एकल और बंद स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती नहीं होने के चलते पढ़ाई प्रभावित हो रही है। जिले के सौ से अधिक स्कूल अभी भी बंद हैं जबकि 800 से अधिक स्कूलों में एक ही शिक्षक पांच कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाने की कमान संभाले हुए है। निजी प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूलों में से अधिकांश में अब भी प्रवेश प्रक्रिया पर ही जोर है। स्कूलों के संचालक पढ़ाई पर कम अधिक से अधिक बच्चे जुटाने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।
इंटर कालेजों की स्थिति तो और भी खराब है। अधिकांश कालेजों में अभी भी प्रवेश प्रक्रिया जारी है। कालेजों में पढ़ाई न होने से छात्र भी कालेजों में नजर नहीं आ रहे हैं। नगर के बालिकाओं के कालेज छोड़ दें तो अन्य कालेजों में अब तक कक्षाएं तक लगनी शुरू नहीं हुईं हैं। सुबह दस बजे तक अधिकांश इंटर कालेजों में सन्नाटा हो जाता है। इंटर के छात्र सौरभ का कहना था कि अब तक एक भी कक्षा नहीं लगी है। शिक्षकों से पढ़ाने की बात करने पर उनका जवाब होता है कि पहले प्रवेश प्रक्रिया तो पूरी हो जाने दो। छपट्टी के अभिभावक राकेश सिंह ने कहा कि अब तो विद्यालयों में पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति ही होती है। बिना ट्यूशन कोचिंग कराए बच्चों के उत्तीर्ण होने की कल्पना नहीं की जा सकती।
कक्षाएं विधिवत शुरू हों इसके लिए निर्देश जारी किए गए हैं। साथ ही वह स्वयं निरीक्षण कर कक्षाएं शुरू करा रहे हैं।
- जीपी यादव, प्रभारी बीएसए एवं डीआईओएस
मैनपुरी। शिक्षा सत्र को शुरू हुए एक सप्ताह बीत गया है लेकिन अधिकांश विद्यालयों में अब तक पढ़ाई का माहौल नहीं बन सका है। इंटर कालेजों का हाल तो यह है कि यहां अभी ब्लैक बोर्ड पर चॉक तक नहीं चली है। अधिकांश डिग्री कालेजों में तो अभी प्रवेश प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो सकी है। उधर परिषदीय विद्यालयों में भी पदोन्नति और समायोजन नहीं होने के चलते शिक्षण कार्य गति नहीं पकड़ सका है।
परिषदीय स्कूलों में अब तक पढ़ाई का माहौल नहीं बन सका है। जिले के एकल और बंद स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती नहीं होने के चलते पढ़ाई प्रभावित हो रही है। जिले के सौ से अधिक स्कूल अभी भी बंद हैं जबकि 800 से अधिक स्कूलों में एक ही शिक्षक पांच कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाने की कमान संभाले हुए है। निजी प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूलों में से अधिकांश में अब भी प्रवेश प्रक्रिया पर ही जोर है। स्कूलों के संचालक पढ़ाई पर कम अधिक से अधिक बच्चे जुटाने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।
इंटर कालेजों की स्थिति तो और भी खराब है। अधिकांश कालेजों में अभी भी प्रवेश प्रक्रिया जारी है। कालेजों में पढ़ाई न होने से छात्र भी कालेजों में नजर नहीं आ रहे हैं। नगर के बालिकाओं के कालेज छोड़ दें तो अन्य कालेजों में अब तक कक्षाएं तक लगनी शुरू नहीं हुईं हैं। सुबह दस बजे तक अधिकांश इंटर कालेजों में सन्नाटा हो जाता है। इंटर के छात्र सौरभ का कहना था कि अब तक एक भी कक्षा नहीं लगी है। शिक्षकों से पढ़ाने की बात करने पर उनका जवाब होता है कि पहले प्रवेश प्रक्रिया तो पूरी हो जाने दो। छपट्टी के अभिभावक राकेश सिंह ने कहा कि अब तो विद्यालयों में पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति ही होती है। बिना ट्यूशन कोचिंग कराए बच्चों के उत्तीर्ण होने की कल्पना नहीं की जा सकती।
कक्षाएं विधिवत शुरू हों इसके लिए निर्देश जारी किए गए हैं। साथ ही वह स्वयं निरीक्षण कर कक्षाएं शुरू करा रहे हैं।
- जीपी यादव, प्रभारी बीएसए एवं डीआईओएस