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मैनपुरी। बैंक आफ इंडिया शाखा से एक किसान ने ऋण लिया था। इसके बाद किश्तों की अदायगी खातों में जमा नहीं कराई गई। किसान की शिकायत पर बैंक ने सुनवाई नहीं की तो उसने न्यायालय की शरण ली। इस पर सीजेएम न्यायालय ने तीन शाखा प्रबंधक और एक कैशियर को धोखाधड़ी के मामले में 26 फरवरी को न्यायालय में तलब किया है। इस संबंध में न्यायालय ने बैंक कर्मियों को सम्मन जारी कर दिए हैं।
थाना दन्नाहार के कपूरपुर हविलिया निवासी सत्यराम ने वर्ष 2004 में किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत एक लाख और ट्रैक्टर खरीदने के लिए ढाई लाख रुपये का टर्म लोन लिया था। सत्यराम ने 25 जून 2005, चार फरवरी 2007, 30 सितंबर 2008 को दो लाख 20 हजार रुपये किश्तों के बैंक में जमा किए। जमा की गई किश्तें उनके खाते में जमा नहीं की गईं। सत्यराम ने जब बैंक से अपने खाते का विवरण लिया तो उसके खाते में किश्तें जमा नहीं थीं। बैंक कर्मियों से शिकायत की तो उन्होंने सत्यराम के खिलाफ आरसी काटकर वसूली करने की धमकी दी।
इस पर सत्यराम ने थाना कोतवाली में तहरीर दी। वहां भी पुलिस ने कोई सुनवाई नहीं की। बाद में सत्यराम ने सीजेएम न्यायालय की शरण ली और अभिलेख प्रस्तुत करते हुए शपथ पत्र भी दाखिल किया। न्यायालय ने मामले का संज्ञान लिया और बैंक आफ इंडिया के शाखा प्रबंधक एसपी वशिष्ठ, अश्वनी कुमार अग्रवाल, महेंद्र सिंह और कैशियर अरुण कुमार जौहरी को 26 फरवरी को न्यायालय में तलब किया है। इस संबंध में सभी आरोपी बैंक कर्मियों को सम्मन भेजे गए हैं।
वर्ष 2005 से 2008 तक बैंक आफ इंडिया में शाखा प्रबंधक के पद पर एसपी वशिष्ठ, अश्वनी कुमार अग्रवाल, महेंद्र सिंह बतौर प्रबंधक कार्यरत रहे और अरुण कुमार जौहरी कैशियर के रूप में तैनात रहे। इनमें जौहरी ने बैंक से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है। एसपी वशिष्ठ मुंबई में सहायक महाप्रबंधक, महेंद्र सिंह रामगढ़ कैंट शाखा में तैनात हैं।
मैनपुरी। बैंक आफ इंडिया शाखा से एक किसान ने ऋण लिया था। इसके बाद किश्तों की अदायगी खातों में जमा नहीं कराई गई। किसान की शिकायत पर बैंक ने सुनवाई नहीं की तो उसने न्यायालय की शरण ली। इस पर सीजेएम न्यायालय ने तीन शाखा प्रबंधक और एक कैशियर को धोखाधड़ी के मामले में 26 फरवरी को न्यायालय में तलब किया है। इस संबंध में न्यायालय ने बैंक कर्मियों को सम्मन जारी कर दिए हैं।
थाना दन्नाहार के कपूरपुर हविलिया निवासी सत्यराम ने वर्ष 2004 में किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत एक लाख और ट्रैक्टर खरीदने के लिए ढाई लाख रुपये का टर्म लोन लिया था। सत्यराम ने 25 जून 2005, चार फरवरी 2007, 30 सितंबर 2008 को दो लाख 20 हजार रुपये किश्तों के बैंक में जमा किए। जमा की गई किश्तें उनके खाते में जमा नहीं की गईं। सत्यराम ने जब बैंक से अपने खाते का विवरण लिया तो उसके खाते में किश्तें जमा नहीं थीं। बैंक कर्मियों से शिकायत की तो उन्होंने सत्यराम के खिलाफ आरसी काटकर वसूली करने की धमकी दी।
इस पर सत्यराम ने थाना कोतवाली में तहरीर दी। वहां भी पुलिस ने कोई सुनवाई नहीं की। बाद में सत्यराम ने सीजेएम न्यायालय की शरण ली और अभिलेख प्रस्तुत करते हुए शपथ पत्र भी दाखिल किया। न्यायालय ने मामले का संज्ञान लिया और बैंक आफ इंडिया के शाखा प्रबंधक एसपी वशिष्ठ, अश्वनी कुमार अग्रवाल, महेंद्र सिंह और कैशियर अरुण कुमार जौहरी को 26 फरवरी को न्यायालय में तलब किया है। इस संबंध में सभी आरोपी बैंक कर्मियों को सम्मन भेजे गए हैं।
वर्ष 2005 से 2008 तक बैंक आफ इंडिया में शाखा प्रबंधक के पद पर एसपी वशिष्ठ, अश्वनी कुमार अग्रवाल, महेंद्र सिंह बतौर प्रबंधक कार्यरत रहे और अरुण कुमार जौहरी कैशियर के रूप में तैनात रहे। इनमें जौहरी ने बैंक से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है। एसपी वशिष्ठ मुंबई में सहायक महाप्रबंधक, महेंद्र सिंह रामगढ़ कैंट शाखा में तैनात हैं।