मैनपुरी। नगर क्षेत्र हो या कस्बा हर जगह कोचिंग सेंटरों के बड़े-बड़े बोर्ड लगे नजर आते हैं। बोर्ड परीक्षाएं नजदीक आते ही इनकी संख्या और बढ़ जाती है। जिले में 300 से अधिक कोचिंग सेंटर संचालित हैं। जबकि विभाग के आंकड़ों में सिर्फ 22 कोचिंग सेंटर ही हैं। इन कोचिंग सेंटरों पर कहीं छात्रों के साथ धोखा तो नहीं हो रहा। इसकी चिंता किसी को भी नहीं है।
जनपद में 300 से अधिक कोचिंग सेंटर संचालित हैं। यह कोचिंग सेंटर केवल नगर में ही नहीं कस्बा और ग्रामीण इलाकों में भी हैं। शासन के निर्देश हैं कि जनपद में संचालित सभी कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण होना चाहिए। लेकिन शासन के आदेशों की चिंता न तो कोचिंग संचालकों को है और न ही विभाग को। विभाग में मात्र 22 कोचिंग सेंटरों का ही पंजीकरण कराया गया है। कोचिंग सेंटरों पर कम समय की बात कहकर छात्र-छात्राओं से कई गुना अधिक फीस वसूली जा रही है। कुछ सेंटरों पर तो एक बार में लगभग सौ बच्चे बैठते हैं। एडवांस पैसा जमा होने के कारण वह क्लास भी नहीं छोड़ सकते।
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ये हैं पंजीकरण के नियम
जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में पंजीकरण के लिए आवेदन करना होता है। आवेदक को कोचिंग सेंटर में बच्चों और उनके बैठने की व्यवस्था का शपथ पत्र देना होता है। बच्चों के हिसाब से शुल्क का चालान बैंक में जमा करा दिया जाता है।
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तीन वर्ष के लिए होता पंजीकरण
छात्र संख्या चालान के रुपये
20 बच्चों तक 1000
40 बच्चों तक 4000
50 बच्चों तक 5000
100 बच्चों तक 10000
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दो केंद्रों का 50 बच्चों का पंजीकरण
22 पंजीकरण में से अधिकांश ने 20 बच्चों का ही पंजीकरण कराया है। ग्राम गढ़िया गोविंदेपुर और चितायन के एक-एक सेंटर का ही 50-50 बच्चों का पंजीकरण है। इसके साथ ही नगर में एक केंद्र का 40 बच्चों का पंजीकरण है। 20 पंजीकरण वालों पर छात्रों की संख्या कहीं अधिक है।
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सभी कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण अनिवार्य है। शीघ्र ही अभियान चलाकर अपंजीकृत कोचिंग सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। केंद्र संचालक स्वत: पंजीकरण कराएं।
- गजराज प्रसाद यादव, डीआईओएस