मैनपुरी। जिले में पशुओं को उपचार देने के लिए अस्पताल हैं। पशु सेवा केंद्र और दवाएं भी हैं लेकिन चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मियों का अभाव सब पर भारी पड़ा है। संसाधनों की कमी के चलते पशु पालक उपचार के लिए भटकते रहते हैं। 12 राजकीय पशु अस्पतालों के भवन तो बन गए लेकिन वहां अभी तक पद ही सृजित नहीं हुए। वहीं 29 पशु सेवा केंद्र भी रिक्त पड़े हैं।
जिले में पशुओं के इलाज को शासन स्तर से गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। 21 राजकीय पशु चिकित्सालय के भवन स्थित हैं। इनमें से कुरावली और करीमंगज में चिकित्सक की तैनाती ही नहीं है। पशु सेवा केंद्रों की स्थिति और अधिक गंभीर है। जिले में 41 पशु सेवा केंद्र हैं। इन केंद्रों में से केवल 12 पर ही पशुधन प्रसार अधिकारी तैनात हैं। 29 पशुधन प्रसार केंद्र रिक्त चल रहे हैं। पशु चिकित्सालयों में डाक्टर न होने और पशु धन प्रसार केंद्रों पर पशुधन प्रसार अधिकारी न होने से पशु पालकों को पशुओं के इलाज के लिए झोलाछाप के चक्कर लगाते हैं। इसके चलते कई बार पशुओं की मौत भी हो जाती है।
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यहां नहीं हुआ पद सृजन
राजकीय पशु अस्पताल बघिरुआ, गोपालपुर, खिरिया पीपल, नगला झम्मन, पथरऊआ, ईसई गोपालपुर, रठेरा, बुर्रा, दौलतपुर, भनऊ, टोडरपुर और नगला तारा में अभी तक शासन स्तर से पदों का सृजन ही नहीं किया गया है। इसके चलते भवन बनने के बाद भी ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल रहा है।
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जिले में चिकित्सकों और पशुधन प्रसार अधिकारियों की कमी की सूचना उच्चाधिकारियों को दे दी गई है। नए अस्पताल भवनों में पदों के सृजन कराने की सूचना भी दी है। शीघ्र ही तैनाती का आश्वासन मिला है।
- डा. एसके द्विवेदी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी