खरेला (महोबा)। नगर पंचायत खरेला के बदले परिसीमन के बाद चौथी बार अनुसूचित वर्ग को अध्यक्ष पद पर नेतृत्व करने का मौका मिल गया है। सीट पर दिग्गजाें ने भाग्य आजमाने के लिए ताल ठाेंकना शुरू कर दिया है। वहीं सीट को पिछड़ा वर्ग और सामान्य होने का सपना संजोए बैठे दावेदाराें के मंसूबाें पर पानी फिर गया।
जिले की बहुचर्चित नगर पंचायत अध्यक्ष सीट चौथी बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई है। सत्ताधारी सरकार द्वारा लागू किए गए परिसीमन के आधार पर नेतृत्व का मौका अनुसूचित जाति के हाथ लग गया। गौरतलब है कि खरेला को 1988 में नगर पंचायत का दर्जा मिला था। यहां सामान्य सीट पर कुंवर बादशाह सिंह नगर पंचायत अध्यक्ष सीट पर पहली बार अध्यक्ष चुने गए थे। उसके बाद 1995 तक प्रशासनिक अधिकारी कार्यभार देखते रहे। 31 दिसंबर 1995 में अनुसूचित जाति पुरुष के लिए आरक्षित हुई अध्यक्ष सीट पर सुखलाल अनुरागी अध्यक्ष सुने गए। उसके बाद वर्ष 2000 में भी अनुसूचित जाति पुरुष के खाते में आरक्षित रही सीट पर प्रहलाद अनुरागी अध्यक्ष बने। वर्ष 2005 में हुए निकाय चुनाव में भी इस सीट को महिला अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया जिसका लाभ अनुसूचित जाति को ही मिला। इसमें प्रेमा देवी अनुरागी अध्यक्ष चुनी गईं। आगामी शहरी निकाय चुनाव के लिए लागू हुए वर्ष 2001 के परिसीमन के आधार पर चौथी बार अनुसूचित जाति के लिए यह सीट आरक्षित हो गई। सीट पर कब्जा जमाने के लिए कई दिग्गजाें ने मैदान पर उतरकर ताल ठाेंक दी है। भाजपा, कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशियाें की तलाश में कार्यकर्ताआें से टोह लेना शुरू कर दिया। उधर कई प्रत्याशी निर्दलीय रूप में भाग्य आजमाने के लिए जनसंपर्क में जुट गए हैं।