महोबा। जिले में बिजली संकट को लेकर हालात भयावह हो गए हैं। घोषित बिजली कटौती के अलावा अघोषित बिजली कटौती ने लोगाें को बेहाल कर दिया है। हालत यह है कि 24 घंटे में 14 घंटे ही बिजली मिल पाती है। इसका असर पेयजल आपूर्ति पर पड़ रहा है।
बिजली की बेहिसाब कटौती ने आम आदमी को झझकोर कर रख दिया है। भीषण गर्मी में जहां तापमान तेजी से बढ़ रहा है, वहीं बिजली कटौती आग में घी डालने का काम कर रही है। दिन में छह घंटे घोषित कटौती और एक घंटे अघोषित कटौती की जाती है। इसी तरह रात में दो घंटे घोषित और एक घंटे की अघोषित कटौती से लोगों की राताें की नींद हराम हो गई है। इतना ही नहीं दिन में हो रही सात घंटे की बिजली कटौती से इलेक्ट्रानिक कारोबार प्रभावित हो रहा है। कारोबार चालू रखने के लिए लोग जनरेटर कनेक्शन किराए पर ले रहे हैं जिससे प्रतिदिन 300 रुपए अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है।
बिजली विभाग के अधिकारियाें की उदासीनता के चलते बिजली बिल महीनाें नहीं भेजे जाते। इकट्ठे बिल भेजने से बिजली उपभोक्ताआें को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। एम रहमान का कहना है कि इकट्ठा बिल भेजने से जमा करना मुश्किल हो जाता है। उनका कहना है कि बिजली के बिल भी सही नहीं मिल रहे हैं। ठीक कराने के चक्कर में हफ्ताें गुजर जाते हैं। गांधीनगर निवासी जॉनी का कहना है कि बिजली की बेहिसाब कटौती से परेशान होकर 10 हजार रुपए खर्च कर इनवर्टर लिया। कचेहरी रोड निवासी अवनीश बुधौलिया का कहना है कि इससे पहले बिजली ने इतना कभी नहीं रुलाया। वह कहते हैं कि सुबह 7 बजे से बिजली की कटौती से पानी की सप्लाई प्रभावित हो रही है। इलेक्ट्रानिक कारोबारी मोहम्मद नौशाद का कहना है कि दिन में सात घंटे हो रही बिजली कटौती से उनका इलेक्ट्रानिक कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। वहीं बिजली न आने से सारा दिन पसीने से तरबतर होकर काम करना पड़ता है। किसानाें का कहना है कि माह मई में सिंचाई की थोड़ी बहुत ही जरूरत पड़ी है जो पांच घंटे मिलने वाली बिजली से कर ली जाती है। बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता रमेश चंद्रा का कहना है कि रात्रि में दो घंटे और दिन में दो घंटे बढ़ाई गई बिजली कटौती महज 30 मई तक के लिए की गई है। उनका कहना है कि जून से इस कटौती में कमी आएगी।