महोबा। सरकारी गेहूं क्रय केंद्राें में बारदाना और धन की कमी के चलते अधिकतर केंद्र प्रभारियाें ने गेहूं खरीद के मामले में हाथ खड़े कर दिए हैं। लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 84 फीसदी खरीद होने के कारण महकमा भी बेपरवाह हो गया। इधर सैकड्ऱों किसान रोजाना क्रय केंद्राें में गेहूं ले जाने के बाद मायूस लौटने को मजबूर हैं। समर्थन मूल्य का लाभ पाने की मंशा लेकर कृषक घाटे में खुले बाजार पर अपनी उपज बेच रहे हैं।
केंद्र और प्रदेश सरकार भले ही कृषकाें को गेहूं की उपज का समर्थन मूल्य दिलाने के लिए ढिंढोरा पीट रही हो, लेकिन किसानाें को समर्थन मूल्य की चाह में गेहूं की उपज को खुले बाजार में बेचने को मजबूर हैं। क्रय केंद्राें में कभी बारदाना की कमी, धन का अभाव तो कभी गोदाम में जगह न होने का हवाला देकर कृषकाें को लौटाया जा रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के निर्देश पर जिले में 19 क्रय केंद्राें की स्थापना की गई थी जिसमें 11998 मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया। उधर 1 अप्रैल से शुरू हुए केंद्राें में अब तक 10118 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो पाई है। लक्ष्य के सापेक्ष 84 फीसदी हुई खरीद के बाद अब अधिकतर केंद्र गेहूं खरीद से तौबा कर रहे हैं। सैकड़ाें कृषक रोजाना दर्जनाें ट्रैक्टराें में गेहूं लादकर केंद्राें तक ले जाते हैं। वहां दो टूक जवाब मिलने के बाद मजबूरन मंडी में उपज को औने पौने दामाें में बेचते हैं। बारदाना की समस्या अधिकतर केंद्राें में छाई है। अब तक हुई गेहूं की खरीद का भुगतान भी कृषकाें को महीनाें बाद नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में कृषक परेशान हैं।
मामले पर आरएमओ आरएस यादव ने बताया कि प्रदेश स्तर से बारदाना मुहैया नहीं कराया जा रहा है जिसके चलते 19 में से 8 केंद्रों में खरीद एक सप्ताह से ठप है। बकाया केंद्राें की भी खरीद एक दो दिन बाद बंद हो जाएगी। उन्हाेंने कहा कि बारदाना की मांग लगातार की जा रही है। प्रदेश स्तर से बारदाना नहीं भेजा जा रहा है। उन्हाेंने कहा कि कृषकाें की दो करोड़ से अधिक की देनदारी बकाया है। भारतीय खाद्य निगम को दो करोड़ भुगतान के बिल दस दिन पहले भेज दिए। फिर भी पैसा नहीं मिला।