खरेला (महोबा)। नगर पंचायत की उदासीनता के चलते लापरवाह सफाई कर्मचारियाें का नतीजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। महीनाें नालियाें और सड़काें की सफाई न होने के कारण ग्रामीण स्वयं नालियां और सड़क की सफाई करने के लिए अब आगे आ गए हैं। तमाम शिकायताें के बावजूद सफाई की समुचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है।
नगर पंचायत खरेला की आबादी के 12 वार्डों की समुचित साफ सफाई के लिए 23 सफाई कर्मचारियाें की तैनाती है लेकिन वार्डों की सफाई महीनाें तक न होने से नालियां कीचड़ से लबरेज हैं। उधर सड़काें में भी फैले कूड़े कचरे में आवारा पशु मुंह मारते नजर आते हैं। मंगली बाजार से पुन्निया रोड, मुख्य बाजार से शनीचरी बाजार के रास्ते के साथ हले, जालिब, स्वामीदास, डींगुरराय, सादराय और मानिक मोहल्ले गंदगी से भरे पड़े हैं। साफ सफाई के लिए वैसे तो सरकार लाखाें रुपए खर्च कर रही है, लेकिन यहां पर्याप्त बजट और कर्मचारियाें की मौजूदगी के बावजूद सफाई नियमित नहीं हो पा रही है।
पालिका कार्यालय में सफाई करवाने के लिए मौखिक और लिखित सूचना देने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होती। मजबूरन ग्रामीण अपने संसाधनाें से निजी खर्चे पर सफाई करवा रहे हैं तो कहीं कमजोर वर्ग के लोग स्वयं नालियाें का कीचड़ और सड़कें साफ कर रहे हैं। मोहल्ले के पुष्पेंद्र सिंह, रिंकू सिंह, लखन लाल, मंगल सिंह, महिपाल, गुलाब के साथ कांग्रेस नगर अध्यक्ष जीतेंद्र तिवारी और सपा नगर अध्यक्ष करन सिंह ने बताया कि निरंकुश व्यवस्था के चलते सफाई कर्मचारी काम को अंजाम देने के बजाए औपचारिकता पूरी करते हैं। परिणामत: लोग गंदगी के बीच जीवन गुजार रहे हैं।