महोबा। लंबे समय से सामान्य सीट की उम्मीद लगाए बैठे अध्यक्ष पद के दावेदारों की सपा सरकार आते ही खुशी काफूर हो गई जब पता चला कि शहर की नगरपालिका को फिर से अनुसूचित जाति में आरक्षित कर दिया गया है। आरक्षण में आपत्तियां मांगने के बाद दिए गए आंकड़ों के आधार पर अब दावेदारों को फिर से उम्मीद जागी है कि सीट बदल जाएगी। इसके चलते दावेदार खुलकर जनता के बीच आने से कतरा रहे हैं और निकाय आरक्षण की अंतिम सूची जारी होेने का इंतजार कर रहे हैं।
शहर की नगर पालिका को बसपा सरकार ने सामान्य वर्ग की श्रेणी में रखते हुए जनवरी के मध्य अंतिम आरक्षण की सूची जारी की थी जिसके चलते यहां के कई दावेदार तेजी से चुनाव प्रचार में लग गए थे और मतदाताओं की नब्ज टटोलने में लगे थे। तभी सपा की सरकार आने पर सीट बदल गई। सरकार ने महोबा नगर पालिका को फिर से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया जिससे चुनाव तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे दावेदारों की खुशी काफूर हो गई। 3 मई तक आरक्षण में आपत्तियां मांगी गईं, जिसमें शहर के विनोद सोनी, सौरभ तिवारी, जीवनलाल चौरसिया, चंद्रशेखर स्वर्णकार, विनोद पुरवार आदि ने अपने तरीके से आंकड़ों पर आधारित आपत्ति नगर विकास अनुभाग को दर्ज करा दी। उधर सरकार ने भी दावा किया कि आरक्षण में गड़बड़ी नहीं होने दी जाएगी और जो भी आबादी के आकड़े बोलेंगे, आरक्षण आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा। इसी बीच आरक्षण की अंतिम सूची का इंतजार करने के बाद भी शासन स्तर पर चल रहे मंथन के कारण आपत्ति लगाने वाले अध्यक्ष पद के दावेदारों को उम्मीद है कि शहर की सीट बदल जाएगी। सपा के कुछ नेता भी दबी जुबान सीट बदलने की बात कह रहे हैं। सीट बदलने में असमंजस की स्थिति को समझते हुए अनुसूचित जाति के दावेदार भी खुलकर मैदान में नहीं दिख रहे हैं।