महोबा। मौदहा बांध की तलहटी पर बसे ग्राम बल्लायं के ग्रामीण विकास की योजनाआें से अछूते हैं। लाखाें रुपए खर्च करने के बावजूद बिजली और सड़क जैसी योजनाएं अधूरी पड़ी हैं। तमाम शिकायताें और फरियादियाें के बावजूद अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी ग्रामीणाें की मौलिक सुविधाआें की तरफ ध्यान नहीं देते।
विकासखंड चरखारी के ग्राम बल्लायं के ग्रामीणाें को वर्षों बाद भी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। वर्ष 1975 में लोकार्पित हुए मौदहा बांध के डूब प्रभावित गांव में से 20 फीसदी लोग तो पलायन कर अन्य जगह बस गए लेकिन साढ़े तीन हजार से अधिक की आबादी बांध की तलहटी पर बसी रही। इनकी सुविधाआें के लिए लाखाें रुपए खर्च कर कराए गए अधिकतर कार्य अधूरे पड़े हैं। कुड़ार रोड से जोड़कर लोक निर्माण विभाग द्वारा बनवाया गया पक्का मार्ग अधूरा पड़ा है। इसी तरह चंदौली गांव से विद्युतीकरण जोड़कर आधे अधूरे गांव में खंभे और तार लगा दिए गए लेकिन बिजली अब तक नहीं जली। बल्लायं ग्राम के मान सिंह, राजकुमार, जयसिंह, अयोध्या ने बताया कि गांव में प्राथमिक और जूनियर स्कूल बना है लेकिन शिक्षकाें की कमी के चलते बच्चाें को समुचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है। मजरा तिसौनी में तो स्कूल वर्षों से शिक्षामित्र के भरोसे चल रहा है। कालीचरन ने बताया कि संपर्क मार्ग और बिजली की समस्या तमाम शिकायताें के बाद भी नहीं हो पाई।
ग्राम प्रधान भारत सिंह ने बताया कि अधूरी सड़क और बिजली की समस्या को संबंधित महकमा से लेकर प्रतिनिधि नजरंदाज कर रहे हैं। महज चुनाव के समय ही यहां नेता आते हैं। जीतने के बाद जनता के दुख दर्द को पूछने वाला कोई नहीं है।
उन्हाेंने बताया कि ग्रामीणाें को बारिश के मौसम में सर्वाधिक परेशानी होती है। बांध की तलहटी में बसे गांव में अराजक तत्वाें के विचरण से घटनाआें की आशंका बनी रहती है। ग्राम पंचायत में छोटी आबादी के कारण पर्याप्त धन नहीं मिल पाता जिसके कारण मौलिक सुविधाआें से जुड़े विकास कार्य पूरे नहीं हो पाते हैं।